562. یوم عاشورا کا روزہ اگر یکم رمضان کے روزے کی اطلاع طلوع فجر کے بعد ملے تو، کیا طلوع فجر کے بعد فرضی روزے کی نیت کی جا سکتی ہے؟
“ आशूरा के दिन ( 10 मुहर्रम ) का रोज़ा ، यदि रमजान के पहले दिन ( चाँद निकलने ) की सूचना फ़जर के बाद मिलती है तो क्या फ़जर के बाद फ़र्ज़ रोज़े की नियत की जा सकती है ? ”
- (إن عاشوراء يوم من ايام الله، فقن شاء صامه، ومن شاء تركه).- (إنّ عاشوراء يومٌ من أيام الله، فقن شاء صامه، ومن شاء تركه).
سیدنا عبداللہ بن عمر رضی اللہ عنہما سے روایت ہے کہ دور جاہلیت کے لوگ یوم عاشورا (یعنی دس محرم) کا روزہ رکھتے تھے اور رمضان کے روزوں کی فرضیت سے پہلے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم اور دوسرے مسلمان بھی روزہ رکھتے تھے۔ جب رمضان فرض ہوا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”بے شک اللہ تعالیٰ کے دنوں میں سے ایک دن عاشورا ہے، جو چاہتا ہے اس کا روزہ رکھ لے اور جو چاہتا ہے نہ رکھے۔“
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है कि जाहिलियत के समय के लोग आशूरा के दिन (यानी दस मुहर्रम) का रोज़ा रखते थे और रमज़ान के रोज़ों के फ़र्ज़ होने से पहले रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और दूसरे मुसलमान भी रोज़ा रखते थे। जब रमज़ान फ़र्ज़ हुआ तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “बेशक अल्लाह तआला के दिनों में से एक दिन आशूरा है, जो चाहता है इस का रोज़ा रख ले और जो चाहता है न रखे।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 3531
قال الشيخ الألباني: - (إنّ عاشوراء يومٌ من أيام الله، فقن شاء صامه، ومن شاء تركه) . _____________________ أخرجه مسلم (3/147) ، وابن أبي شيبة في "المصنف " (3/55) ، وأحمد (2/143) ، والبيهقي في "السنن " (4/289) من طريق نافع عن ابن عمر: أن أهل الجاهلية كانوا يصومون يوم عاشوراء، وأن رسول الله - صلى الله عليه وسلم - صامه والمسلمون قبل أن يفترض رمضان، فلما افترض رمضان قال رسول الله: ... فذكره. * ¤