-" تكون هدنة على دخن، ثم تكون دعاة الضلالة، قال: فإن رايت يومئذ خليفة في الارض فالزمه، وإن نهك جسمك واخذ مالك، فإن لم تره فاهرب في الارض ولو ان تموت وانت عاض بجذل شجرة".-" تكون هدنة على دخن، ثم تكون دعاة الضلالة، قال: فإن رأيت يومئذ خليفة في الأرض فالزمه، وإن نهك جسمك وأخذ مالك، فإن لم تره فاهرب في الأرض ولو أن تموت وأنت عاض بجذل شجرة".
سبیع کہتے ہیں: لوگوں نے مجھے کچھ جانور خریدنے کے لیے پانی کے گھاٹ سے کوفہ کی طرف بھیجا، ہم ایک کوڑا خانہ کے پاس سے گزرے، ہم نے ایک آدمی دیکھا، اس کے ارداگرد لوگ جمع تھے، میرا دوست جانوروں کی طرف چلا گیا اور میں اس آدمی کے پاس آ گیا، میں کیا دیکھتا ہوں کہ وہ سیدنا حذیفہ رضی اللہ عنہ تھے، وہ کہہ رہے تھے: صحابہ کرام، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے خیر کے بارے میں پوچھتے تھے اور میں شر کے بارے میں سوال کرتا تھا۔ میں نے کہا: اے اللہ کے رسول! کیا اس خیر (یعنی اسلام) کے بعد پھر وہی شر منظر عام پر آئے گی جو اس سے پہلے تھی؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”ہاں۔“ میں نے کہا: اس سے بچنے کا کیا طریقہ ہو گا؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”تلوار۔“ میں نے کہا: پھر کیا ہو گا؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”لیکن بباطن لڑائی ہو گی اور ظاہری صلح ہو گی، اس کے بعد ضلالت و گمراہی کی طرف پکارنے والے منظر عام پر آئیں گے، اگر ان دنوں میں تجھے کوئی خلیفہ نظر آ جائے تو اسے لازم پکڑ لینا، اگرچہ وہ تیرے جسم کو اذیت پہنچائے اور تیرا مال سلب کر لے اور اگر کوئی خلیفہ نظر نہ آئے تو زمین ( کے کسی گوشہ کی طرف) بھاگ جانا، اگرچہ تجھے اس حال میں موت آ جائے کہ تو درخت کے تنے کے ساتھ چمٹا ہوا ہو۔“ میں نے کہا: پھر کیا ہو گا؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”پھر دجال نمودار ہو گا . . . . .“
सुबेअ कहते हैं कि लोगों ने मुझे कुछ जानवर ख़रीदने के लिये पानी के घाट से कूफ़ा की ओर भेजा, हम कचरे के पास से गुज़रे, हम ने एक आदमी देखा, उस के आसपास लोग इकट्ठा थे, मेरा दोस्त जानवरों की ओर चला गया और मैं उस आदमी के पास आ गया, मैं क्या देखता हूँ कि वह हज़रत हुज़ैफ़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह थे, वह कह रहे थे कि सहाबा कराम, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से भलाई के बारे में पूछते थे और मैं बुराई के बारे में पूछा करता था। मैं ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, क्या इस भलाई (यानि इस्लाम) के बाद फिर वही बुराई फेल जाएगी जो इस से पहले थी ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “हाँ।” मैं ने कहा कि इस से बचने का क्या तरीक़ा होगा ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “तलवार।” मैं ने कहा कि फिर क्या होगा ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “लेकिन आंतरिक लड़ाई और बाहरी तोर पर सुलह होगी, इस के बाद रुस्वाई और गुमराही की ओर बुलाने वाले नज़र आने लगेंगे, यदि उन दिनों में तुझे कोई ख़लीफ़ह नज़र आ जाए तो उस का साथ ज़रूर पकड़ लेना, चाहे वह तेरे शरीर को तकलीफ़ पहुंचाए और तेरा माल छीन ले और यदि कोई ख़लीफ़ह नज़र न आए तो ज़मीन (के किसी कोने की ओर) भाग जाना, चाहे तुझे उस हाल में मौत आ जाए कि तू पेड़ के तने के साथ चिमटा हुआ हो।” मैं ने कहा कि फिर किया होगा ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “फिर दज्जाल पैदा होगा।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1791
قال الشيخ الألباني: - " تكون هدنة على دخن، ثم تكون دعاة الضلالة، قال: فإن رأيت يومئذ خليفة في الأرض فالزمه، وإن نهك جسمك وأخذ مالك، فإن لم تره فاهرب في الأرض ولو أن تموت وأنت عاض بجذل شجرة ". _____________________ أخرجه أبو داود (4247) وأحمد (5 / 403) من طريق صخر بن بدر العجلي عن سبيع قال: " أرسلوني من ماء إلى الكوفة أشتري الدواب، فأتينا الكناسة، فإذا رجل عليه جمع، قال: فأما صاحبي فانطلق إلى الدواب، وأما أنا فأتيته، فإذا هو حذيفة. فسمعته يقول: كان أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم يسألونه عن الخير، وأسأله عن الشر، فقلت: يا رسول الله: هل بعد هذا الخير شر، كما كان قبله شر؟ قال: نعم، قلت: فما العصمة منه؟ قال: السيف، أحسب. قال: قلت: ثم ماذا قال: ثم تكون هدنة ... (الحديث) ، قال: قلت: ثم ماذا؟ قال : ثم يخرج الدجال ... " الحديث وفي آخره: قال شعبة: وحدثني أبو بشر في إسناد له عن حذيفة عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: قلت: يا رسول الله ما هدنة على دخن؟ قال: " قلوب لا تعود على ما كانت ". وقال: " خليفة الله " وفيه ما يأتي. __________جزء : 4 /صفحہ : 399__________ قلت: وهذا إسناد ضعيف، سبيع وهو ابن خالد اليشكري، روى عنه جماعة من الثقات، وذكره ابن حبان في " الثقات " (1 / 82) ، ووثقه العجلي أيضا كما فى " التهذيب "، ولم أره في " ترتيب ثقات العجلي " للحافظ الهيثمي. وقال الحافظ في " التقريب ": " مقبول ". يعني عند المتابعة. وصخر بن بدر العجلي ، مجهول، قال الذهبي: " ما روى عنه سوى أبي التياح الضبعي ". قلت: لكن تابعه نصر بن عاصم الليثي عن خالد به نحوه وفيه: " فإن كان لله يومئذ في الأرض خليفة جلد ظهرك وأخذ مالك، فالزمه ". أخرجه أبو داود (4244 و4245) وأحمد. قلت: وهذا إسناد حسن، فإن من دون خالد ثقات رجال مسلم، فهو أصح من رواية صخر بن بدر التي فيها " خليفة الله "، فإن هذه الإضافة استنكرها شيخ الإسلام ابن تيمية رحمه الله تعالى، ولو صحت عن رسول الله صلى الله عليه وسلم ، لم نعبأ باستنكاره. ولطرف الحديث الأخير طريق أخرى عن عبد الرحمن بن قرط عن حذيفة بن اليمان بلفظ: " تكون فتن، على أبوابها دعاة إلى النار، فأن تموت وأنت عاض على جذل شجرة خير لك من أن تتبع أحد منهم ". أخرجه ابن ماجة (3981) . لكن ابن قرط هذا مجهول. __________جزء : 4 /صفحہ : 400__________ ¤