سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
فضائل قرآن، دعا ئیں، اذکار، دم
क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
2003. آپ صلی اللہ علیہ وسلم پر جادو اور اس کا توڑ۔ انبیا ء و رسل جادو سے متاثر ہو سکتے تھے
“ आप ﷺ पर जादू और उस का तोड़ ، नबियों और रसूलों पर जादू किया जा सकता है ”
حدیث نمبر: 2943
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" كان رجل [من اليهود] يدخل على النبي صلى الله عليه وسلم، [وكان يامنه]، فعقد له عقدا، فوضعه في بئر رجل من الانصار، [فاشتكى لذلك اياما، (وفي حديث عائشة: ستة اشهر) ]، فاتاه ملكان يعودانه، فقعد احدهما عند راسه، والآخر عند رجليه، فقال احدهما: اتدري ما وجعه؟ قال: فلان الذي [كان] يدخل عليه عقد له عقدا، فالقاه في بئر فلان الانصاري، فلو ارسل [إليه] رجلا، واخذ [منه] العقد لوجد الماء قد اصفر. [فاتاه جبريل فنزل عليه بـ (المعوذتين)، وقال: إن رجلا من اليهود سحرك، والسحر في بئر فلان، قال:] فبعث رجلا (وفي طريق اخرى: فبعث عليا رضي الله عنه) [فوجد الماء قد اصفر] فاخذ العقد [فجاء بها]، [فامره ان يحل العقد ويقرا آية]، فحلها، [فجعل يقرا ويحل]، [فجعل كلما حل عقدة وجد لذلك خفة] فبرا، (وفي الطريق الاخرى: فقام رسول الله صلى الله عليه وسلم كانما نشط من عقال)، وكان الرجل بعد ذلك يدخل على النبي صلى الله عليه وسلم فلم يذكر له شيئا منه، ولم يعاتبه [قط حتى مات]".-" كان رجل [من اليهود] يدخل على النبي صلى الله عليه وسلم، [وكان يأمنه]، فعقد له عقدا، فوضعه في بئر رجل من الأنصار، [فاشتكى لذلك أياما، (وفي حديث عائشة: ستة أشهر) ]، فأتاه ملكان يعودانه، فقعد أحدهما عند رأسه، والآخر عند رجليه، فقال أحدهما: أتدري ما وجعه؟ قال: فلان الذي [كان] يدخل عليه عقد له عقدا، فألقاه في بئر فلان الأنصاري، فلو أرسل [إليه] رجلا، وأخذ [منه] العقد لوجد الماء قد اصفر. [فأتاه جبريل فنزل عليه بـ (المعوذتين)، وقال: إن رجلا من اليهود سحرك، والسحر في بئر فلان، قال:] فبعث رجلا (وفي طريق أخرى: فبعث عليا رضي الله عنه) [فوجد الماء قد اصفر] فأخذ العقد [فجاء بها]، [فأمره أن يحل العقد ويقرأ آية]، فحلها، [فجعل يقرأ ويحل]، [فجعل كلما حل عقدة وجد لذلك خفة] فبرأ، (وفي الطريق الأخرى: فقام رسول الله صلى الله عليه وسلم كأنما نشط من عقال)، وكان الرجل بعد ذلك يدخل على النبي صلى الله عليه وسلم فلم يذكر له شيئا منه، ولم يعاتبه [قط حتى مات]".
سیدنا زید بن ارقم رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ ایک یہودی، نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آتا تھا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم اس پر اعتماد کرتے تھے، اس نے (‏‏‏‏آپ صلی اللہ علیہ وسلم پر جادو کرنے کے لیے) گرہیں لگائیں اور اس عمل کو ایک انصاری کے کنویں میں رکھ دیا۔ اس وجہ سے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کچھ دن (‏‏‏‏سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا کی حدیث کے مطابق چھ مہینے) بیمار رہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی تیما رداری کرنے کے لیے دو فرشتے آئے، ایک آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے سر کے پاس اور دوسرا ٹانگوں کے پاس بیٹھ گیا۔ ایک نے دوسرے سے پوچھا: کیا تجھے علم ہے کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو کیا تکلیف ہے؟ اس نے جواب دیا: فلاں (‏‏‏‏یہودی)، جو آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا کرتا تھا، نے گرہیں لگائیں اور فلاں انصاری کے کنویں میں اپنا عمل رکھ دیا، اگر وہ گرہیں لانے کے لیے کسی آدمی کو وہاں بھیجا جائے تو وہ کنویں کے پانی کو زرد پائے گا۔ جبریل ‏‏‏‏علیہ السلام آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس معوذتین (‏‏‏‏سورۃ الفلق اور سورۃ الناس) لے کر تشریف لائے اور کہا: فلاں یہودی نے آپ پر جادو کیا ہے اور جادو کا عمل فلاں کنویں میں ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے ایک آدمی (‏‏‏‏ایک روایت کے مطابق سیدنا علی رضی اللہ عنہ) کو بھیجا، انہوں کے دیکھا کہ پانی زرد ہو چکا تھا، وہ گرہیں لے کر واپس آ گئے۔ جبریل علیہ السلام نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم سے کہا کہ ایک ایک آیت پڑھ کر ایک ایک گرہ کھولتے جائیں، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے ایک گرہ کھولی، پھر ایک ایک آیت پڑھ کر گرہیں کھولتے گئے، جونہی گرہ کھلتی تھی، آپ صلی اللہ علیہ وسلم خفت محسوس کرتے تھے، بالآخر صحت یاب ہو گئے اور ایک روایت میں ہے کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم ایسے کھڑے ہوئے، گویا کہ (‏‏‏‏رسیوں میں جکڑے ہوئے تھے) اور رسیاں کھول کر آزاد کر دیا ہو۔ وہی (‏‏‏‏یہودی جادوگر) اس وقوعہ کے بعد نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آتا تھا، لیکن آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اس کے سامنے کسی چیز کا ذکر نہیں کیا اور نہ اسے کبھی ڈانٹ ڈپٹ کی، یہاں تک کہ وہ مر گیا۔
हज़रत ज़ैद बिन अरक़म रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि एक यहूदी, नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आता था, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस पर विश्वास करते थे, उस ने (आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर जादू करने के लिये) गांठें लगाईं और उस को एक अन्सारी के कुएं में रख दिया। इस कारण आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कुछ दिन (हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा की हदीस के अनुसार छे महीने) बीमार रहे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की देखभाल करने के लिये दो फ़रिश्ते आए, एक आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सिर के पास और दूसरा टांगों के पास बैठ गया। एक ने दूसरे से पूछा, क्या तु जानता है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को क्या कष्ट है ? उस ने जवाब दिया कि फ़लां (यहूदी) जो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया करता था, उस ने गांठें लगाईं और फ़लां अन्सारी के कुएं में रख दिया, यदि वे गांठें लाने के लिये किसी आदमी को वहां भेजा जाए तो वह कुएं के पानी को नारंगी पाए गा। जिब्रईल अलैहिस्सलाम आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास माऊज़तेन (सूरत अल-फ़लक़ « قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ » और सूरत अन-नास « قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ » ) लेकर आए और कहा कि फ़लां यहूदी ने आप पर जादू किया है और जादू की गाठें फ़लां कुएं में हैं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक आदमी (एक रिवायत के अनुसार हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह) को भेजा, उन्हों ने देखा कि पानी नारंगी हो चूका था, वह गांठें लेकर वापस आगए। जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा कि एक एक आयत पढ़ कर एक एक गांठ खोलते जाएं, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक गांठ खोली, फिर एक एक आयत पढ़ कर गांठें खोलते गए, जैसे ही गांठ खुलती थी, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हल्का पन महसूस करते थे, अंत में स्वस्थ हो गए और एक रिवायत में है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ऐसे खड़े हुए, जैसे कि (रस्सियों में जकड़े हुए थे) और रस्सियां खोल कर मुक्त कर दिया हो। वही (यहूदी जादूगर) इस के बाद नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आता था, लेकिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस को किसी चीज़ के बारे में नहीं बताया और न उसे कभी डांटा, यहाँ तक कि वह मर गया।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2761

قال الشيخ الألباني:
- " كان رجل [من اليهود] يدخل على النبي صلى الله عليه وسلم ، [وكان يأمنه] ، فعقد له عقدا، فوضعه في بئر رجل من الأنصار، [فاشتكى لذلك أياما، (وفي حديث عائشة: ستة أشهر) ] ، فأتاه ملكان يعودانه، فقعد أحدهما عند رأسه، والآخر عند رجليه، فقال أحدهما: أتدري ما وجعه؟ قال: فلان الذي [كان] يدخل عليه عقد له عقدا، فألقاه في بئر فلان الأنصاري، فلو أرسل [إليه] رجلا، وأخذ [منه] العقد لوجد الماء قد اصفر. [فأتاه جبريل فنزل عليه بـ ( المعوذتين) ، وقال: إن رجلا من اليهود سحرك، والسحر في بئر فلان، قال:] فبعث رجلا (وفي طريق أخرى: فبعث عليا رضي الله عنه) [فوجد الماء قد اصفر] فأخذ العقد [فجاء بها] ، [فأمره أن يحل العقد ويقرأ آية] ، فحلها، [فجعل يقرأ ويحل] ، [فجعل كلما حل عقدة وجد لذلك خفة] فبرأ، (وفي الطريق الأخرى: فقام رسول الله صلى الله عليه وسلم كأنما نشط من عقال) ، وكان الرجل بعد ذلك يدخل على النبي صلى الله عليه وسلم فلم يذكر له شيئا منه، ولم يعاتبه [قط حتى مات] ".
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‏‏‏‏
‏‏‏‏قلت: هذا من حديث زيد بن أرقم رضي الله عنه، وله عنه طريقان مدارهما على
‏‏‏‏الأعمش رحمه الله تعالى. الأول: عنه عن ثمامة بن عقبة عن زيد رضي الله عنه.
‏‏‏‏أخرجه الطبراني في " المعجم الكبير " (5 / 201 / 5011) والسياق له،
‏‏‏‏والحاكم (4 / 360 - 361) والزيادة الرابعة والخامسة والسادسة له، كلاهما
‏‏‏‏من طريق جرير عن الأعمش به. وقال الحاكم: " صحيح على شرط الشيخين ". ورده
‏‏‏‏الذهبي بقوله: " قلت: لم يخرجا لثمامة شيئا، وهو صدوق ". قلت: بل هو ثقة
‏‏‏‏كما قال الذهبي نفسه في " الكاشف "، تبعا لابن معين والنسائي، وكذا قال
‏‏‏‏الحافظ في " التقريب "، فالسند صحيح. وقد تابعه شيبان عن الأعمش به. أخرجه
‏‏‏‏الطبراني (5012) وقال: " خالفهما أبو معاوية في إسناده ". قلت: يشير إلى
‏‏‏‏الطريق الآتي. وقد تابعهما سفيان الثوري عن الأعمش به. أخرجه ابن سعد في "
‏‏‏‏الطبقات " (2 / 199) والزيادة الثانية له. الطريق الثاني: يرويه أبو
‏‏‏‏معاوية عن الأعمش عن يزيد بن حبان عن زيد بن
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 616__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أرقم به أخرجه النسائي في " السنن
‏‏‏‏" (2 / 172) وابن أبي شيبة في " المصنف " (8 / 29 - 30 / 3569) وأحمد (4
‏‏‏‏/ 367) وعبد بن حميد في " المنتخب من المسند " (ق 40 / 1 - 2) والطبراني
‏‏‏‏أيضا (5 / 202 / 5013 و 5016) . قلت: وهذا إسناد صحيح كما قال الحافظ
‏‏‏‏العراقي في " تخريج الإحياء " (2 / 336) وهو على شرط مسلم، فإن رجاله رجال
‏‏‏‏الشيخين غير يزيد بن حبان فهو من رجال مسلم. وأبو معاوية هو محمد بن خازم
‏‏‏‏الضرير، قال الحافظ في " التقريب ": " ثقة، أحفظ الناس لحديث الأعمش ". قلت
‏‏‏‏: وهذا مما يمنعنا من الحكم على إسناده بالشذوذ لمخالفته للثقات الثلاثة
‏‏‏‏المتقدمين، فالظاهر أن للأعمش فيه شيخين عن زيد بن أرقم. والله أعلم. ثم إن
‏‏‏‏سائر الزيادات لابن أبي شيبة وأحمد، إلا زيادة قراءة آية فهي لعبد بن حميد،
‏‏‏‏وكذا زيادة نزول جبريل بـ (المعوذتين) ، وسندها صحيح أيضا. ولها شاهد من
‏‏‏‏حديث عمرة عن عائشة قالت: كان لرسول الله صلى الله عليه وسلم غلام يهودي يخدمه
‏‏‏‏يقال له: لبيد بن أعصم، وكانت تعجبه خدمته، فلم تزل به يهود حتى سحر النبي
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم ، فكان صلى الله عليه وسلم يذوب ولا يدري ما وجعه، فبينما
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم ذات ليلة نائم إذ أتاه ملكان، فجلس أحدهما عند
‏‏‏‏رأسه، والآخر عند رجليه، فقال الذي عند رأسه للذي عند رجليه: ما وجعه؟ قال
‏‏‏‏: مطبوب. فقال: من طبه؟ قال: لبيد بن أعصم. قال: بم طبه؟ قال: بمشط
‏‏‏‏ومشاطة وجف طلعة ذكر بـ (ذي أروى) ، وهي تحت راعوفة البئر.
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 617__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏فاستيقظ رسول
‏‏‏‏الله صلى الله عليه وسلم ، فدعا عائشة فقال: يا عائشة! أشعرت أن الله قد
‏‏‏‏أفتاني بوجعي، فلما أصبح غدا رسول الله صلى الله عليه وسلم ، وغدا أصحابه معه
‏‏‏‏إلى البئر، وإذا ماؤها كأنه نقيع الحناء، وإذا نخلها الذي يشرب من مائها قد
‏‏‏‏التوى سيفه كأنه رؤوس الشياطين، قال: فنزل رجل فاستخرج جف طلعة من تحت
‏‏‏‏الراعوفة، فإذا فيها مشط رسول الله صلى الله عليه وسلم ومن مشاطة رأسه،
‏‏‏‏وإذا تمثال من شمع تمثال رسول الله صلى الله عليه وسلم : وإذا فيها إبر مغروزة
‏‏‏‏، وإذا وتر فيه إحدى عشرة عقدة، فأتاه جبريل بـ (المعوذتين) فقال: يا محمد
‏‏‏‏* (قل أعوذ برب الفلق) * وحل عقدة، * (من شر ما خلق) * وحل عقدة حتى فرغ
‏‏‏‏منها، وحل العقد كلها، وجعل لا ينزع إبرة إلا وجد لها ألما ثم يجد بعد ذلك
‏‏‏‏راحة. فقيل: يا رسول الله! لو قتلت اليهودي؟ فقال رسول الله صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم: قد عافاني الله عز وجل، وما وراءه من عذاب الله أشد، قال: فأخرجه.
‏‏‏‏رواه البيهقي في " دلائل النبوة " (2 / 2 / 226 / 1 - 2 و 7 / 92 - 94 ط) من
‏‏‏‏طريق سلمة ابن حبان: حدثنا يزيد بن هارون أخبرنا محمد بن عبيد الله عن أبي بكر
‏‏‏‏بن محمد عن عمرة به. قلت: وهذا إسناد ضعيف جدا، محمد بن عبيد الله هو
‏‏‏‏العرزمي، وهو متروك. وسلمة بن حبان - وهو بفتح الحاء (¬1) - روى عنه جمع من
‏‏‏‏الثقات، وذكره ابن حبان في " ثقاته " (8 / 287) فالعلة من العرزمي. وإن
‏‏‏‏مما يوهن حديثه هذا أنه قد جاء مختصرا من طريق هشام بن عروة عن أبيه عن عائشة
‏‏‏‏مرفوعا نحوه دون ذكر التمثال وما بعده.
‏‏‏‏¬
‏‏‏‏__________
‏‏‏‏(¬1) كما في " التبصير "، وذكر أنه من شيوخ أبي يعلى وعبد الله بن أحمد
‏‏‏‏ويوسف القاضي. اهـ.
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 618__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه البخاري (3268 و 5763 و 5765
‏‏‏‏و5766 و 6391) ومسلم (7 / 14) وابن أبي شيبة (8 / 30 / 3570) ومن طريقه
‏‏‏‏ابن ماجه (3590 - الأعظمي) وأحمد (6 / 50 و 57 و 63 و 96) والحميدي (259
‏‏‏‏) وابن سعد (2 / 196) وأبو يعلى (3 / 194) والبيهقي (2 / 2 / 157 / 2)
‏‏‏‏من طرق عن هشام به. وزيادة ستة أشهر المذكورة في حديث الترجمة، هي عند أحمد
‏‏‏‏في رواية، وسندها صحيح، وصححها الحافظ في " الفتح " (10 / 226) .
‏‏‏‏وبالجملة، فحديث العرزمي وما فيه من الزيادات منكر جدا، إلا ما وافق حديث
‏‏‏‏هشام عن عروة، وحديث الترجمة، ومن ذلك نزول (المعوذتين) ، فقد ذكره
‏‏‏‏الرافعي في كتابه، فقال الحافظ في " تلخيصه " (4 / 40) : " وهذا ذكره
‏‏‏‏الثعلبي في " تفسيره " من حديث ابن عباس تعليقا، ومن حديث عائشة أيضا تعليقا
‏‏‏‏، طريق عائشة صحيح، أخرجه سفيان بن عيينة في " تفسيره " رواية أبي عبيد الله
‏‏‏‏عنه عن هشام بن عروة عن أبيه عن عائشة - فذكر الحديث - وفيه: ونزلت * (قل
‏‏‏‏أعوذ برب الفلق) * ". وهذه فائدة هامة من الحافظ رحمه الله تعالى، لم ترد في
‏‏‏‏كتابه " فتح الباري "، وهي شاهد قوي لحديث الترجمة. والله أعلم. ومن
‏‏‏‏المفيد أن نذكر أن بعض المبتدعة قديما وحديثا قد أنكروا هذا الحديث الصحيح،
‏‏‏‏بشبهات هي أوهى من بيت العنكبوت، وقد رد عليهم العلماء في شروحهم، فليرجع
‏‏‏‏إليها من شاء. وقد أخطأ المعلق على " الدلائل " خطأ فاحشا في عزوه رواية
‏‏‏‏البيهقي إلى الشيخين وغيرهما، دون أن ينبه إلى ما فيه من المنكرات المخالفة
‏‏‏‏لروايتيهما!
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 619__________
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