جب تم میں سے کوئی شخص کسی دوسرے کی تعریف کرنا ہی چاہتا ہو تو وہ یوں کہے: ”میں فلاں کے متعلق گمان کرتا ہوں (کہ وہ اچھا ہے) اور اللہ تعالیٰ اس کا حساب لینے والا ہے میں کسی کو اللہ کے ہاں پاک قرار نہیں دیتا میں فلاں کو ایسا ایسا گمان کرتا ہوں بشرطیکہ وہ اسے اچھی طرح جانتا ہو۔“[صحيح مسلم: 3000]
जब तुम में से कोई व्यक्ति किसी दूसरे की ताअरीफ़ करना ही चाहता हो तो वह यूँ कहे: “मैं उस व्यक्ति के बारे में समझता हूँ कि (वह अच्छा है) और अल्लाह तआला उस का हिसाब लेने वाला है मैं किसी को अल्लाह के पास पवित्र नहीं ठहरा सकता मैं उस व्यक्ति को ऐसा ऐसा (नेक या पवित्र) समझता हूँ शर्त यह है कि वह उसे अच्छी तरह जानता हो ।” [सहीह मुस्लिम: 3000]