مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر

مختصر صحيح بخاري
علم کا بیان
ज्ञान के बारे में
28. جو شخص (محفل میں) موجود ہو، وہ علمی بات غیرحاضر لوگوں تک پہنچا دے۔
“ सभा में मौजूद व्यक्ति को उन लोगों को ज्ञान पहुँचाना चाहिए जो मौजूद न हों ”
حدیث نمبر: 89
Save to word مکررات اعراب Hindi
سیدنا ابوشریح رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فتح مکہ کے دوسرے دن بیان فرمایا تھا، جس کو میرے دونوں کانوں نے سنا ہے اور اس کو میرے دل نے یاد رکھا ہے اور جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اس (خطبہ) کو بیان فرمایا تو میری آنکھیں آپ کو دیکھ رہی تھیں۔ آپ نے اللہ کی حمد و ثنا بیان فرمائی پھر فرمایا: مکہ (میں جنگ و جدل وغیرہ) کو اللہ نے حرام کیا ہے، اسے لوگوں نے حرام نہیں کیا۔ پس جو شخص اللہ پر اور قیامت پر ایمان رکھتا ہو، تو اس کو جائز نہیں کہ مکہ میں خونریزی کرے اور نہ (یہ جائز ہے کہ) وہاں کوئی درخت کاٹے، پھر اگر کوئی شخص رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے مکہ میں لڑنے سے (ان چیزوں کا) جواز بیان کرے تو اس سے کہہ دینا کہ اللہ نے اپنے رسول کو اجازت دے دی تھی اور تمہیں اجازت نہیں دی اور مجھے بھی صرف ایک گھڑی بھر دن کی وہاں اجازت دی تھی، پھر آج اس کی حرمت (حسب سابق) ویسی ہی ہو گئی ہے جیسے کل تھی، پس حاضر کو چاہیے کہ وہ غائب کو (یہ خبر) پہنچا دے۔
हज़रत अबु शुरैह रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मक्का की विजय के दूसरे दिन कहा था कि जिसको मेरे दोनों कानों ने सुना है और जिसको मेरे दिल ने याद रखा है और जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह कहा तो मेरी ऑंखें आप को देख रही थीं। आप ने अल्लाह की तारीफ़ और बड़ाई की फिर फ़रमाया ! “मक्का में (लड़ाई झगड़े) को अल्लाह ने हराम किया है, इसे लोगों ने हराम नहीं किया। बस जो व्यक्ति अल्लाह पर और क़यामत पर ईमान रखता हो, तो उसको जायज़ नहीं कि मक्का में ख़ून-ख़राब करे और न (यह जायज़ है कि) वहां कोई पेड़ काटे, फिर यदि कोई व्यक्ति मक्का में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की लड़ाई को ठीक मानते हुए मक्का में लड़ता है तो उस से कह देना कि अल्लाह ने अपने रसूल को अनुमति देदी थी और तुम्हें अनुमति नहीं दी और मुझे भी वहां केवल दिन में घड़ी भर के लिए अनुमति दी थी, आज फिर इसका हराम होना वैसा ही होगया है जैसा पहले था, बस जो लोग मौजूद हैं उनको चाहिए कि यह (जानकारी) उन लोगों को पहुंचादे जो मौजूद नहीं हैं।”


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