(سعید المقبری رحمہ اللہ سے روایت ہے) ایک جنازے کے دوران سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے مروان کا ہاتھ پکڑ لیا اور وہ دونوں بیٹھ گئے قبل اس کے کہ جنازہ رکھا جائے۔ عین اسی وقت سیدنا ابو سعید خدری رضی اللہ عنہ آئے تو انہوں نے مروان کا ہاتھ پکڑا اور کہا اٹھ کھڑا ہو بیشک یہ (سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ) جانتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے ہم لوگوں کو اس سے منع فرمایا ہے تو سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے کہا کہ یہ سچ کہتے ہیں۔“
(सईद अल-मक़बरी रहम अल्लाह से रिवायत है) एक जनाज़े के बीच हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने मरवान का हाथ पकड़ लिया और वो दोनों बैठ गए इस से पहले कि जनाज़ा रखा जाए। ठीक उसी समय हज़रत अबु सईद ख़ुदरी रज़ि अल्लाहु अन्ह आए तो उन्हों ने मरवान का हाथ पकड़ा और कहा उठ खड़ा हो बेशक यह (हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह) जानते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हम लोगों को इस से मना किया है तो हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा कि यह सच कहते हैं।”