سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ کھجور کے تنے کا ایک ستون تھا جس پر (ٹیک لگا کر) نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کھڑے ہوتے تھے پھر جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے لیے منبر رکھ دیا گیا تو ہم نے ستون سے دس ماہ کی حاملہ اونٹنی جیسی رونے کی آواز سنی، یہاں تک کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم منبر سے اترے اور اپنا ہاتھ اس ستون پر رکھا۔ (تب وہ آواز ختم ہو گئی)۔
हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि खजूर के तने का एक खम्बा था जिस पर (टेक लगाकर) नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खड़े होते थे फिर जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए मिम्बर रख दिया गया तो हमने खम्बे से दस महीने की गर्भवती ऊँटनी जैसी रोने की आवाज़ सुनी, यहाँ तक कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मिम्बर से उतरे और अपना हाथ उस खम्बे पर रखा। (तब वह आवाज़ ख़त्म होगई)।