-" امرت بقرية تاكل القرى، يقولون: يثرب، وهي المدينة، تنفي الناس، كما ينفي الكير خبث الحديد".-" أمرت بقرية تأكل القرى، يقولون: يثرب، وهي المدينة، تنفي الناس، كما ينفي الكير خبث الحديد".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو یہ فرماتے ہوئے سنا: ”مجھے ایسی بستی میں جانے کا حکم دیا گیا ہے جس (کے باسی) دوسری بستیوں پر غالب آ جائیں گے۔ لوگ اسے یثرب کہتے ہیں، جبکہ وہ مدینہ ہے، جو لوگوں سے برائیوں کو اس طرح دور کرتی ہے، جس طرح دھونکنی لوہے کی میل کچیل صاف کر دیتی ہے۔“ ایک اور روایت میں ہے: ”لوگوں پر ایسا زمانہ بھی آئے گا کہ آدمی اپنے چچیرے بھائی یا کسی رشتہ دار کو یوں بلائے گا: (مدینہ کو چھوڑو اور) خوشحالی کی طرف آؤ، آسودگی کی طرف آؤ۔ لیکن مدینہ میں بسیرا کرنا ان کے لیے بہتر ہو گا۔ کاش انہیں اس حقیقت کا علم ہوتا۔ اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! جب کوئی آدمی مدینہ سے بےرغبتی کرتے ہوئے نکل جائے گا، اللہ تعالیٰ اس کے بدلے اس سے بہترین فرد کو لے آئے گا۔ آگاہ رہو! مدینہ تو دھونکنی ہے جو خبیث لوگوں کو خارج کر دیتا ہے۔ قیامت اس وقت تک قائم نہیں ہو گی جب تک مدینہ شر پسند لوگوں (کو جلاوطن کر کے ان کی) یوں نفی نہ کر دے گا جس طرح کہ بھٹی لوہے کی کھوٹ کو ختم کر دیتی ہے۔“
हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह कहते हुए सुना ! “मुझे ऐसी बस्ती में जाने का हुक्म दिया गया है जिस (के बसने वाले) दूसरी बस्तियों पर भरी पड़ जाएंगे। लोग उसे यसरब कहते हैं, जबकि वह मदीना है, जो लोगों से बुराइयों को इस तरह दूर करता है, जिस तरह धौंकनी लोहे की मेलकुचेल साफ़ करदेती है।” एक और रिवायत में है ! “लोगों पर ऐसा समय भी आएगा कि आदमी अपने चचेरे भाई या किसी रिश्तेदार को यूँ बुलाएगा ! (मदीने को छोड़ो और) ख़ुशहाली की ओर आओ, आराम की ओर आओ। लेकिन मदीने में बसेरा करना उनके लिये बेहतर होगा। काश उन्हें इस सच्चाई की जानकारी होती। उस ज़ात की क़सम जिस के हाथ में मेरी जान है, जब कोई आदमी मदीने को पसंद न करेगा और छोड़ जाएगा, अल्लाह तआला उसके बदले उस से अच्छे लोगों को लेआए गा। ख़बरदार रहो ! मदीना तो धौंकनी है जो बुरे लोगों को निकाल देता है। क़यामत उस समय तक नहीं आएगी जब तक मदीना बुरे लोगों (को निकाल कर उनका) यूँ इनकार न करदेगा जिस तरह कि भट्टी लोहे की खोट को ख़त्म करदेती है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 274
قال الشيخ الألباني: - " أمرت بقرية تأكل القرى، يقولون: يثرب، وهي المدينة، تنفي الناس، كما ينفي الكير خبث الحديد ". _____________________ أخرجه البخاري (4 / 69 - 70) ومسلم (9 / 154) ومالك (3 / 84 - 85) والطحاوي في " مشكل الآثار " (2 / 232 - 233) وأحمد (رقم 7231، 7364) والخطيب في " الفقيه والمتفقه " (62 / 2) . وأبو يعلى في " مسنده " (300 / 2) عن أبي هريرة قال: سمعت رسول الله صلى الله صلى الله عليه وسلم يقول: فذكره. وفي رواية من طريق أخرى عنه مرفوعا بلفظ: (يأتي على الناس زمان يدعو الرجل ابن عمه وقريبه هلم إلى الرخاء، هلم إلى الرخاء، والمدينة خير لهم لو كانوا يعلمون، والذي نفسي بيده لا يخرج منهم أحد رغبة عنها إلا أخلف الله فيها خيرا منه، ألا إن المدينة كالكير تخرج الخبيث، لا تقوم الساعة حتى تنفي المدينة شرارها، كما ينفي الكير خبث الحديد) . __________جزء : 1 /صفحہ : 556__________ أخرجه مسلم (9 / 153) . الغريب 1 - أمرت بقرية ... قال الخطيب: " المعنى أمرت بالهجرة إلى قرية (تأكل القرى) أي يأكل أهلها القرى كما قال الله تعالى: (وضرب الله مثلا قرية كانت آمنة مطمئنة) يعني قرية كان أهلها مطمئنين، وكان ذكر القرية عن هذا كناية عن أهلها، وأهلها المرادون بها لا هي، والدليل على ذلك قوله تعالى " (فأذاقها الله لباس الجوع والخوف بما كانوا يصنعون) والقرية لا صنع لها، وقوله: (فكفرت بأنعم الله) والقرية لا كفر لها. 2 - (تأكل القرى) بمعنى تقدر عليها، كقوله تعالى: (إن الذين يأكلون أموال اليتامى ظلما) ليس يعني بذلك أكلتها دون محتجبيها عن اليتامى، لا بأكل لها، وكقوله تعالى: (ولا تأكلوها إسرافا وبدارا أن يكبروا) يعني تغلبوا عليها إسرافا على أنفسكم، وبدارا أن يكبروا فيقيموا الحجة عليكم بها فينتزعوها منكم لأنفسهم، فكان الأكل فيما ذكرنا يراد به الغلبة على الشيء، فكذلك في الحديث ". ¤