سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2301. مدینہ منورہ کی فضیلت
“ मदीना मुनव्वरा की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3501
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" إنها طيبة، وإنها تنفي الخبث، كما تنفي النار خبث الحديد".-" إنها طيبة، وإنها تنفي الخبث، كما تنفي النار خبث الحديد".
سیدنا زید بن ثابت رضی اللہ عنہ نے اس آیت «فَمَا لَكُمْ فِي الْمُنَافِقِينَ فِئَتَيْنِ» تمہیں کیا ہو گیا ہے کہ منافقوں کے بارے میں دو گروہ ہو رہے ہو۔ (۴-النساء:۸۸) کے بارے میں کہا: جب صحابہ کرام غزوۂ احد سے واپس لوٹے تو وہ (‏‏‏‏منافقوں کے بارے میں) دو گروہوں میں بٹ گئے۔ ایک کا خیال تھا کہ ان کو قتل دیا جائے اور دوسرے کا خیال تھا کہ قتل نہ کیا جائے۔ ان لوگوں کے بارے میں یہ آیت نازل ہوئی: «فَمَا لَكُمْ فِي الْمُنَافِقِينَ فِئَتَيْنِ» تمہیں کیا ہو گیا ہے کہ منافقوں کے بارے میں دو گروہ ہو رہے ہو۔ } اس وقت آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا یہ (‏‏‏‏مدینہ) طیّبہ ہے، یہ خباثت کی نفی کرتا ہے، جیسے آگ لوہے کی میل کچیل صاف کر دیتی ہے۔
हज़रत ज़ैद बिन साबित रज़ि अल्लाहु अन्ह ने « فَمَا لَكُمْ فِي الْمُنَافِقِينَ فِئَتَيْنِ » “तुम्हें किया हो गया है कि मुनाफ़िक़ों के बारे में दो दल होरहे हो।” (सूरत अन-निसा: 88) आयत के बारे में कहा ! जब सहाबा कराम अहद की लड़ाई से वापस लौटे तो वे (मुनाफ़िक़ों के बारे में) दो समूहों में बटगए। एक का कहना था कि उनको क़त्ल दिया जाए और दूसरे का कहना था कि क़त्ल न किया जाए। इन लोगों के बारे में यह आयत उत्तरी ! « فَمَا لَكُمْ فِي الْمُنَافِقِينَ فِئَتَيْنِ » “तुम्हें क्या हो गया है कि मुनाफ़िक़ों के बारे में दो समूह होरहे हो।” (सूरत अन-निसा: 88) उस समय आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया “यह (मदीना) तय्यबा है, यह गंदगी को नकारता है, जैसे आग लोहे की मेलकुचेल साफ़ करदेती है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 218

قال الشيخ الألباني:
- " إنها طيبة، وإنها تنفي الخبث، كما تنفي النار خبث الحديد ".
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‏‏‏‏أخرجه البخاري (4 / 77 - 78، 8 / 206) ومسلم (9 / 155 - 156) والترمذي
‏‏‏‏(4 / 89 - 90) وأحمد (6 / 184 / 187، 188) من طريق عبد الله ابن يزيد
‏‏‏‏وهو الخطمي عن زيد بن ثابت.
‏‏‏‏وقال الترمذي: " حديث حسن صحيح ".
‏‏‏‏قال العلماء: خبث الحديد: وسخه وقذره الذي تخرجه النار منها.
‏‏‏‏قال القاضي: الأظهر أن هذا مختص بزمن النبي صلى الله عليه وسلم ، لأنه لم يكن
‏‏‏‏يصبر على الهجرة
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 428__________
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‏‏‏‏والمقام معه إلا من ثبت إيمانه، وأما المنافقون وجهلة
‏‏‏‏الأعراب فلا يصبرون على شدة المدينة ولا يحتسبون الأجر في ذلك كما قال ذلك
‏‏‏‏الأعرابي الذي أصابه الوعك:
‏‏‏‏" أقلني بيعتي ". هذا كلام القاضي. وهذا الذي ادعى أنه الأظهر ليس بالأظهر،
‏‏‏‏لحديث أبي هريرة المتقدم بلفظ: " لا تقوم الساعة حتى تنفي المدينة شرارها.. "
‏‏‏‏فهذا والله أعلم في زمن الدجال كما جاء في الحديث الصحيح الذي ذكره مسلم في
‏‏‏‏أواخر الكتاب في " أحاديث الدجال ": أنه يقصد المدينة فترجف المدينة ثلاث
‏‏‏‏رجفات يخرج الله بها منها كل كافر منافق. فيحتمل أنه مختص بزمن الدجال،
‏‏‏‏ويحتمل أنه في أزمان متفرقة. كذا في " شرح مسلم " للنووي (9 / 154) .
‏‏‏‏وأقول: بل الأظهر أن ذلك كان خاصا بزمنه صلى الله عليه وسلم لحديث الأعرابي
‏‏‏‏المتقدم، وفي بعض الأوقات لا دائما لقول الله عز وجل (ومن أهل المدينة
‏‏‏‏مردوا على النفاق) ، والمنافق خبيث بلا شك كما قال الحافظ، بل هو المراد
‏‏‏‏صراحة في حديث زيد بن ثابت، فعلى هذا فقوله في هذه الأحاديث " تنفي " ليست
‏‏‏‏للاستمرار، بل للتكرار، فقد وقع ذلك في زمنه صلى الله عليه وسلم ما شاء الله
‏‏‏‏وسيقع أيضا مرة أخرى زمن الدجال كما في حديث أنس المشار إليه، وإلى هذا مال
‏‏‏‏الحافظ في " الفتح " (4 / 70) وختم كلامه بقوله:
‏‏‏‏" وأما ما بين ذلك فلا ".
‏‏‏‏فهذا هو الراجح بل الصواب، والواقع يشهد بذلك. والله أعلم.
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 429__________ ¤


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