“ सदक़ह की फ़ज़ीलत ” |
1 |
906 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ और आप की आल और आप के ग़ुलामों के लिए सदक़ह हलाल नहीं ” |
1 |
907 |
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“ जिन लोगों के ज़िम्मेदार हो उन पर ख़र्च करना अफ़ज़ल है ” |
1 |
908 |
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“ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह का सदक़ह और दान की सराहना ” |
2 |
909 سے 910 |
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“ पत्नी पर ख़र्च करना भी सदक़ह है ” |
2 |
911 سے 912 |
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“ सदक़ह में अच्छी चीज़ दी जाए और सब से क़रीबी रिश्तेदार से देना शुरू किया जाए ” |
2 |
913 سے 914 |
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“ ग़ैर मुस्लिम को भी सदक़ह दिया जा सकता है ” |
1 |
915 |
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“ सदक़ह फ़ित्र यानि फ़ित्रा ” |
2 |
916 سے 917 |
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“ सदक़ह करने के लिए जल्दी करना और माल की थोड़ी मात्रा के माध्यम से भी आग से बचा जा सकता है ” |
1 |
918 |
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“ अधिक माल देना अच्छा है और सदक़ह देने वाला व्यक्ति लेने वाले से अच्छा है ” |
1 |
919 |
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“ सदक़ह करने से माल कम नहीं होता ” |
1 |
920 |
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“ विभिन्न प्रकार का सदक़ह ” |
1 |
921 |
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“ सदक़ह के अफ़ज़ल रूप ” |
3 |
922 سے 923 |
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“ छुपा कर सदक़ह करना अल्लाह तआला के ग़ुस्से को मिटाता है ” |
1 |
924 |
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“ सदक़ह करने में देर नहीं करनी चाहिए ” |
1 |
925 |
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“ सदक़ह करने वालों के लिए जन्नत में सदक़ह का दरवाज़ा ” |
2 |
926 سے 927 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ का ख़र्च करने का जोश ” |
2 |
928 سے 929 |
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“ ख़र्च करने वालों के लिए फरिश्तों की दुआ और न करने वालों के लिए बद दुआ ” |
2 |
930 سے 931 |
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“ हर माल से जोड़ा ( दो दो की मात्रा में ) सदक़ह देने की फ़ज़ीलत ” |
1 |
932 |
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“ भूके को खाना खिलाना ” |
1 |
933 |
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“ ईद अल-फ़ित्र और ईद अल-अज़हा के दिन सदक़ह करने का हुक्म ” |
1 |
934 |
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“ पानी मांगने वाले को पानी उपलब्ध कराना भी सदक़ह है ” |
1 |
935 |
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“ माता पिता की ओर से सदक़ह करना ، पानी अच्छा सदक़ह है ” |
1 |
936 |
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“ हर अंग पर सदक़ह है ” |
3 |
937 سے 939 |
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“ क़र्ज़ देने का बदला और सवाब ” |
2 |
940 سے 941 |
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“ माल को संभाल कर न रखा जाए वरना... ” |
1 |
942 |
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“ माल दौलत हलाकत का कारण है सिवाए यह कि... ” |
1 |
943 |
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“ दुसरे का माल कब स्वीकार किया जाए ” |
3 |
944 سے 946 |
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“ पत्नी अपने पति की आज्ञा के बिना अपना माल ख़र्च नहीं कर सकती ” |
1 |
947 |
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“ लोगों से बेनियाज़ होने की कोशिश करनी चाहिए ” |
1 |
948 |
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“ हाथ केवल भलाई और अच्छाई के लिए आगे बढ़ाना चाहिए ” |
1 |
949 |
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“ दिलों को मिलाने के लिए कुछ लोगों को देना या न देना ” |
3 |
950 سے 952 |
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“ इमारतें बनाने पर ख़र्च करने का कोई लाभ नहीं सिवाए इस के... ” |
2 |
953 سے 954 |
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“ दान वापस लेने वाले की बुरी मिसाल ” |
1 |
955 |
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“ अल्लाह तआला की ओर से सहायता और सब्र करने का समर्थन कब मिलता है ” |
1 |
956 |
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“ ग़रीब और कंगाल लोगों की अल्लाह तआला के यहां एहमियत ” |
1 |
957 |
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“ ज़कात के बिना इस्लाम पूरा नहीं होता ” |
1 |
958 |
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“ जानवरों की ज़कात कहां लेनी चाहिए ” |
1 |
959 |
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“ घोड़े और ग़ुलाम पर ज़कात नहीं ” |
1 |
960 |
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“ जिस माल की ज़कात न दी जाए उस की निंदा ” |
2 |
961 سے 962 |
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“ किस फ़सल में ज़कात होती है ? ” |
1 |
963 |
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“ फ़सलों की ज़कात के नियम ” |
1 |
964 |
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“ ज़कात लेने वाला ठीक मात्रा से अधिक नहीं ले सकता ” |
1 |
965 |
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“ ज़कात देने वालों का दुनिया का अंत और इस्लाम के आगे के हालत के बारे में ” |
1 |
966 |
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“ ऊंटों की ज़कात के नियम ” |
1 |
967 |
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“ ज़कात के सिवा ज़रूरत से अधिक माल पर हक़ है ” |
1 |
968 |
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“ मुशरिकों से उपहार लेना कैसा है ” |
2 |
969 سے 970 |
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“ ग़ुलाम और लोंडी को मुक्त करने का सवाब ” |
1 |
971 |
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“ कौन सा ग़ुलाम मुक्त करना अफ़ज़ल है ” |
1 |
972 |
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“ विरासत में छोड़ना कैसा है ” |
1 |
973 |
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“ दौलत जान का बोझ भी है ” |
1 |
974 |
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“ ग़ुलाम के लाभ से अधिक लाभ देने वाली तस्बीह ” |
1 |
975 |
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“ लालच बुरी चीज़ है ” |
1 |
976 |
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“ कंजूस को कम से कम अपने आप पर ख़र्च करना चाहिए ” |
1 |
977 |
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“ फ़रअ का अर्थ और उस का हुक्म ” |
1 |
978 |
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“ सदक़ह करने से सत्तर शैतानों के जबड़े टूट जाते हैं ” |
1 |
979 |
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“ अल्लाह तआला के नाम पर मांगना कैसा है ” |
3 |
980 سے 982 |
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“ हर एहसान का बदला दिया जाए चाहे दुआ ही दी जाए ” |
1 |
983 |
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“ यदि भूके को खाना खिलाने के बाद मौत आजाए तो ... ” |
1 |
984 |
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“ ज़रूरत से अधिक पानी और घास हो तो फिर भी न देने वाले का अंत ” |
1 |
985 |
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“ क्या ओक़िया का मालिक नहीं मांग सकता है और कितने माल का मालिक नहीं मांग सकता ” |
1 |
986 |
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“ मांगने के बजाए कोई न कोई काम करलेना चाहिए ” |
1 |
987 |
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“ क्षमा स्वीकार कर लेनी चाहिए ” |
2 |
988 سے 988 |
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“ इन्सान को दौलत नहीं अपनी हक़ीक़त देखनी चाहिए ” |
1 |
989 |
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