حسبي اللٰه لا إلٰه إلا هو، عليه توكلت وهو رب العرش العظيم حَسْبِيَ اللَٰهُ لَا إِلٰهَ إِلَّا هُوَ، عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ
”میرے لئے اللہ ہی کافی ہے جس کے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں۔ میں نے اسی پر بھروسہ کیا اور وہ عرش عظیم کا رب ہے۔“، جس شخص نے صبح و شام یہ کلمات سات مرتبہ کہے، اللہ تعالی دنیا و آخرت کے اہم معاملات میں اسے کافی ہو جاتا ہے۔ [اسناده حسن، سنن ابي داؤد:5081، عمل اليوم و الليلة لابن السني:89/1ح43]
“मेरे लिए अल्लाह ही काफ़ी है जिस के सिवा कोई सच्चा ईश्वर नहीं । में ने उसी पर विश्वास किया और वह विशाल अर्श का रब है ।” जिस व्यक्ति ने सुबह और शाम ये शब्द सात मर्तबा कहे, अल्लाह तआला दुनिया और मृत्यु के बाद के अहम मामलों में उसे काफ़ी हो जाता है । [असनादा हसन, सुनन अबी दाऊद: 5081, अमल अलयोम व अल्लेलाह लिअब्न अलसीनि: 89/1ح43]