مختصر حصن المسلم کل احادیث 276 :حدیث نمبر

مختصر حصن المسلم
मुख़्तसर हिसनुल मुस्लिम
متفرق
विभिन्न
27. سلام پھیرنے کے بعد کے اذکار
सलाम फेरने के बाद के अज़कार
حدیث نمبر: 79
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بسم اللٰه الرحمٰن الرحيم​ «قل هو اللٰه احد (١) «‏‏‏‏اللٰه الصمد (٢) «لم يلد ولم يولد (٣) «ولم يكن له كفوا احد (٤) [سورۃ الاخلاص:1-4]
۲۔ «بسم اللٰه الرحمٰن الرحيم​ «قل اعوذ برب الفلق (۱) «من شر ما خلق (۲) «ومن شر غاسق إذا وقب (۳) «ومن شر النفاثات في العقد (۴) «ومن شر حاسد إذا حسد (۵) [سورة الفلق:1-5 ]
۳۔ «بسم اللٰه الرحمٰن الرحيم​ «قل اعوذ برب الناس (۱) «ملك الناس (۲) «إله الناس (۳) «من شر الوسواس الخناس (۴) «الذي يوسوس في صدور الناس (۵) «من الجنة والناس (۶) [سورة الناس:1-6]
بِسْمِ اللَٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ​ «قُلْ هُوَ اللَٰهُ أَحَدٌ (١) «‏‏‏‏اللَٰهُ الصَّمَدُ (٢) «لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ (٣) «وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ (٤) [سورۃ الاخلاص:1-4]
۲۔ «بِسْمِ اللَٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ​ «قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ (۱) «مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ (۲) «وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ (۳) «وَمِنْ شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ (۴) «وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ (۵) [سورة الفلق:1-5 ]
۳۔ «بِسْمِ اللَٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ​ «قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ (۱) «مَلِكِ النَّاسِ (۲) «إِلَهِ النَّاسِ (۳) «مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ (۴) «الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ (۵) «مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ (۶) [سورة الناس:1-6]
اے نبی ( صلی اللہ علیہ وسلم )! کہہ دیجئے اللہ ایک ہی ہے، اللہ بے نیاز ہے، نہ اس نے کسی کو جنا، نہ اس سے کوئی جنا گیا، اور کوئی اس کا ہمسر نہیں۔ اے نبی ( صلی اللہ علیہ وسلم )! کہہ دیجئے کہ رب کی پناہ میں آتا ہوں، ہر اس چیز کے شر سے جو اس نے پیدا کی، اور اندھیری رات کی تاریکی کے شر سے جب وہ چھا جائے، اور گرہوں میں پھونک مارنے والیوں کے شر سے، اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرنے لگے۔، اے نبی ( صلی اللہ علیہ وسلم )! کہہ دیجئے میں لوگوں کے رب کی پناہ میں آتا ہوں، لوگوں کے مالک کی، لوگوں کے معبود کی، وسوسہ ڈالنے والے پیچھے ہٹ جانے والے (شیطان) کے شر سے، جو لوگوں کے سینوں میں وسوسہ ڈالتا ہے، جنوں میں سے ہو یا انسانوں میں سے۔
نوٹ:- نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے ہر نماز کے بعد معوذتین پڑھنا مسنون عمل ہے۔ [اسناده حسن، سنن ابي داؤد:1523، سنن النسائي:1338، مسند احمد:201/4]
“अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है । ऐ नबी (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ! कह दीजिए अल्लाह एक ही है, अल्लाह बे परवाह है, न उस ने किसी को जना, न उस से कोई जना गया, और कोई इस के जैसा नहीं ।” [सूरत अलइख़्लास]
“अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है । ऐ नबी (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ! कह दीजिए कि रब की शरण में आता हूँ, हर उस चीज़ की बुराई से जो उस ने पैदा की, और अँधेरी रात के अंधकार की बुराई से जब वह छा जाए, और गाँठों में फूंक मारने वालियों की बुराई से, और जलन करने वाले की बुराई से जब वह जलन करने लगे ।” [सूरत अलफ़लक़]
“अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है । ऐ नबी (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ! कह दीजिए मैं लोगों के रब की शरण में आता हूँ, लोगों के मालिक की, लोगों के ईश्वर की, वहम डालने वाले पीछे हट जाने वाले (शैतान) की बुराई से, जो लोगों के सीनों में वहम डालता है, जिन्नों में से हो या इंसानों में से ।” [सूरत अन नास]
नोट: - नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से हर नमाज़ के बाद माऊज़तेन (सूरत अलफ़लक़, सूरत अन नास) पढ़ना मसनून अमल है । [असनादा हसन, सुनन अबी दाऊद: 1523, सुनन अलनिसाई: 1338, मसनद अहमद: 201/4]


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