اللٰهم إني اسالك اني اشهد انك انت اللٰه، لا إله إلا انت، الاحد الصمد الذي لم يلد، ولم يولد، ولم يكن له كفوا احد اللَٰهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ أَنِّي أَشْهَدُ أَنَّكَ أَنْتَ اللَٰهُ، لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ، الْأَحَدُ الصَّمَدُ الَّذِي لَمْ يَلِدْ، وَلَمْ يُولَدْ، وَلَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُوًا أَحَدٌ
”اے اللہ! میں تجھ سے اس وجہ سے سوال کرتا ہوں کہ میں گواہی دیتا ہوں کہ یقیناً تو ہی اللہ ہے تیرے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں، تو اکیلا ہے، بے نیاز ہے، جس نے نہ کسی کو جنا، نہ خود کسی سے جنا گیا اور نہ کوئی اس کے برابر ہے۔“[صحيح، سنن ابي داؤد:1493، سنن ترمذي:3475، واللفظ له،سنن ابن ماجه:3857، مسند احمد:360/5]
“ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से इस लिए सवाल करता हूँ कि मैं गवाही देता हूँ कि बेशक तू ही अल्लाह है तेरे सिवा कोई सच्चा ईश्वर नहीं, तू अकेला है, बे परवाह है, जिस ने न किसी को जना, जो न किसी से जना गया और न कोई उस के जैसा है ।” [सहीह, सुनन अबी दाऊद: 1493, सुनन त्रिमीज़ी: 3475, واللفظ له, सुनन इब्न माजा: 3857, मसनद अहमद: 360/5]