اللٰهم إني اسالك بان لك الحمد، لا إله إلا انت، وحدك لا شريك لك، المنان، بديع السموات والارض، ذو الجلال والإكرام اللَٰهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ بِأَنَّ لَكَ الْحَمْدَ، لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ، وَحْدَكَ لَا شَرِيكَ لَكَ، الْمَنَّانُ، بَدِيعُ السَّمَوَاتِ وَالْأَرْضِ، ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ
”اے اللہ! میں تجھ سے سوال کرتا ہوں کہ تمام تعریفات تیرے لئے ہی ہیں، تیرے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں تو اکیلا ہے، تیرا کوئی شریک نہیں، بے شمار احسانات کرنے والا، اے آسمانوں اور زمین کو نئے سرے سے بنانے والے، اے بزرگی اور عزّت والے، اے ہمیشہ زندہ رہنے والے اے قائم رکھنے والے، میں تجھ سے جنّت کا سوال کرتا ہوں اور آگ سے تیری پناہ میں آتا ہوں۔“[اسناده حسن، سنن ابن ماجه:3858، مسند احمد:120/3] ، نیز دیکھئے [سنن ابي داؤد:1495، سنن نسائي:1301] ، اور اس میں یہ الفاظ یہ ہیں «يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ، إِنِّي أَسْأَلُكَ» ۔
“ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से सवाल करता हूँ कि सारी ताअरीफ़ें तेरे लिए ही हैं, तेरे सिवा कोई सच्चा ईश्वर नहीं तू अकेला है, तेरा कोई साझी नहीं, बेहद एहसान करने वाला, ऐ आसमानों और ज़मीन को नए सिरे से बनाने वाले, ऐ बड़ाई और इज़्ज़त वाले, ऐ हमेशा ज़िंदा रहने वाले ऐ संभाल के रखने वाले, मैं तुझ से स्वर्ग का सवाल करता हूँ और नर्क की आग से तेरी शरण में आता हूँ ।” [असनादा हसन, सुनन इब्न माजा: 3858, मसनद अहमद: 120/3] , और देखिए [सुनन अबी दाऊद: 1495, सुनन निसाई: 1301] , और इस में ये शब्द ऐसे हैं « يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ, إِنِّي أَسْأَلُكَ » ।