اللٰهم اعوذ بك ان اضل، او اضل، او ازل، او ازل، او اظلم، او اظلم، او اجهل، او يجهل علي اللَٰهُمَّ أَعُوذُ بِكَ أَنْ أَضِلَّ، أَوْ أُضَلَّ، أَوْ أَزِلَّ، أَوْ أُزَلَّ، أَوْ أَظْلِمَ، أَوْ أُظْلَمَ، أَوْ أَجْهَلَ، أَوْ يُجْهَلَ عَلَيَّ
”اے اللہ! میں تیری پناہ میں آتا ہوں کہ میں گمراہ ہو جاؤں یا گمراہ کر دیا جاؤں، یا میں پھسل جاؤں یا پھسلا دیا جاؤں یا میں ظلم کروں یا مجھ پر ظلم کیا جائے یا میں کوئی جہالت (کا کام) کروں یا مجھ پر جہالت (کا کام) کیا جائے۔“[ اسناده ضعيف، سنن ابي داؤد:5094، سنن ترمذي3427، سنن ابن ماجه:3884] نوٹ:- «بسم الله» پڑھ کر گھر سے نکلیں اور گھر کا دروازہ بند کریں۔ [صحيح مسلم:2012]
“ऐ अल्लाह ! मैं तेरी पनाह में आता हूँ कि मैं गुमराह हो जाऊँ या गुमराह कर दिया जाऊँ, या मैं फिसल जाऊँ या फिसला दिया जाऊँ या मैं अत्याचार करूँ या मुझ पर अत्याचार किया जाए या मैं कोई जहालत (का काम) करूँ या मुझ पर जहालत (का काम) किया जाए ।” [असनादा ज़ईफ़, सुनन अबी दाऊद: 5094, सुनन तिर्मिज़ी: 3427, सुनन इब्न माजा: 3884] नोट: - « بسم الله » पढ़ कर घर से निकलें और घर का दरवाज़ा बंद करें । [सहीह मुस्लिम: 2012]