سبحانك اللٰهم وبحمدك، اشهد ان لا إله إلا انت، استغفرك واتوب إليك سُبْحَانَكَ اللَٰهُمَّ وَبِحَمْدِكَ، أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ، أَسْتَغْفِرُكَ وَأَتُوبُ إِلَيْكَ
”اے اللہ! تو اپنی تعریف کے ساتھ پاک ہے، اور میں گواہی دیتا ہوں کہ تیرے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں، میں تجھ سے بخشش طلب کرتا ہوں اور تیری طرف توبہ کرتا ہوں۔“[ صحيح، السنن الكبري للنسائي:36/9ح2829، عمل اليوم و الليلة للنسائي:81ح82]
“ऐ अल्लाह ! तू अपनी ताअरीफ़ के साथ पवित्र है, और मैं गवाही देता हूँ कि तेरे सिवा कोई सच्चा ईश्वर नहीं, मैं तुझ से क्षमा की मांग करता हूँ और तेरी तरफ़ तौबा करता हूँ ।” [सहीह, अलसुनन अलकिब्री लिलनिसाई: 36/9ح2829, अमल अलयोम और अल्लेलाह लिलनिसाई: 81ح82]