”اے اللہ! اسے ہمارے ارد گرد برسا، اسے ہم پر نہ برسا، اے اللہ! (اس بارش کو تو) ٹیلوں پر، پہاڑوں کی چوٹیوں پر، وادیوں کے اندر اور درخت اگنے کی جگہوں پر (لے جا)“[صحيح بخاري: 1014، صحيح مسلم: 897]
“ऐ अल्लाह ! इसे हमारे आसपास बरसा, इसे हम पर न बरसा, ऐ अल्लाह ! इस को तू टीलों पर, पहाड़ों की चोटियों पर, वादियों में और पेड़ उगने की जगहों पर लेजा” [सहीह बुख़ारी: 1014, सहीह मुस्लिम: 897]