سبحان الله وبحمده، عدد خلقه ورضا نفسه وزنة عرشه ومداد كلماته سُبْحَانَ اللهِ وَبِحَمْدِهِ، عَدَدَ خَلْقِهِ وَرِضَا نَفْسِهِ وَزِنَةَ عَرْشِهِ وَمِدَادَ كَلِمَاتِهِ
”اللہ تعالی پاک ہے اپنی تعریف کے ساتھ، اپنی مخلوق کی تعداد کے برابر، اپنے نفس کی خوشنودی کے برابر، اپنے عرش کے وزن کے برابر اور اپنے کلمات کی سیاہی کے برابر۔“(تین مرتبہ صبح کے وقت)[صحيح مسلم:2726]
“अल्लाह तआला पवित्र है अपनी ताअरीफ़ के साथ, अपने प्राणियों की संख्या के बराबर, अपने नफ़्स की ख़ुशी के बराबर, अपने अर्श के भार के बराबर और अपने शब्दों की स्याही के बराबर ।” (तीन मर्तबा सुबह के समय) [सहीह मुस्लिम: 2726]