ام المؤمنین عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نوافل میں سے کسی نفل نماز کا اتنا التزام نہیں فرماتے تھے جتنا کہ فجر کی دو رکعتوں (سنتوں) کا (اہتمام فرماتے تھے)۔
उम्मुल मोमिनीन आयशा सिद्दीक़ा रज़ि अल्लाहु अन्हा कहती हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नफ़ली नमाज़ में से किसी नफ़िल नमाज़ की इतनी पाबंदी नहीं कहते थे जितना कि फ़ज्र की दो रकअतों (सुन्नतों) की करते थे।