سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
ایمان توحید، دین اور تقدیر کا بیان
तौहीद पर ईमान, दीन और तक़दीर
38. مبلغین کی صفات
“ प्रचारकों के गुण ”
حدیث نمبر: 79
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" ادعوا الناس، وبشرا ولا تنفرا، ويسرا ولا تعسرا".-" ادعوا الناس، وبشرا ولا تنفرا، ويسرا ولا تعسرا".
سیدنا ابوبردہ رضی اللہ عنہ اپنے باپ ابوموسیٰ اشعری رضی اللہ عنہ سے بیان کرتے ہیں، وہ کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے اور سیدنا معاذ رضی اللہ عنہ کو یمن کی طرف بھیجا اور فرمایا: لوگوں کو (اسلام کی) دعوت دینا، خوشخبریاں سنانا، متنفر نہ کرنا اور آسانیاں پیدا کرنا (دین کو) دشوار نہ بنا دینا۔ میں نے کہا: دو قسم کی شراب، جو ہم یمن میں تیار کرتے تھے، کے بارے میں شرعی حکم کی وضاحت کریں: «بتع» یعنی شہد کی نبیذ جو سخت ہو کر (شراب کی صورت اختیار کر لے)۔ اور «مزر» یعنی مکئی کی نبیذ، وہ بھی سخت ہو کر (شراب کی صورت اختیار کر جائے)۔ راوی کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو حد درجہ جامع و مانع کلمات عطا کئے گئے تھے۔ آپ نے فرمایا: میں ہر اس نشہ آور چیز سے منع کرتا ہوں جو نماز سے بے ہوش کر دے (وہ جس چیز كي بھی بنی ہوئی ہو)۔ صحیح مسلم کی روایت میں «ولا تعسرا» کی بجائے «وعلما» اور لوگوں کو تعلیم دینا کے الفاظ ہیں۔
हज़रत अबु बुरदह रज़ि अल्लाहु अन्ह अपने पिता अबु मूसा अशअरी रज़ि अल्लाहु अन्ह से सुना हुआ कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे और हज़रत मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह को यमन की तरफ़ भेजा और फ़रमाया ! “लोगों को (इस्लाम की) दावत देना, अच्छी ख़बरें सुनाना, निराश न करना और आसानियां पैदा करना (दीन को) कठिन न बना देना।” मैं ने कहा कि दो तरह की शराब, जो हम यमन में तैयार करते थे, उसके लिए शरई हुक्म क्या है इस बारे में बताएं ! “बितअ” « بتع » यानी शहद की नबीज़ जो सख़्त होकर (शराब बन जाती है)। और “मिज़र” « مزر » यानी मकई की नबीज़, वह भी सख़्त होकर (शराब बन जाती है)। रावी कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बहुत हद तक पूरी तरह अच्छा और बुरा समझाने वाले शब्द दिये गए थे। आप ने फ़रमाया ! “मैं हर उस नशे वाली चीज़ से मना करता हूँ जो नमाज़ पढ़ना भुलादे (वह किसी चीज़ की भी बनि हुई हो)।” सहीह मुस्लिम की रिवायत में « ولا تعسرا » की बजाए « وعلما » “और लोगों को जानकारी देना” के शब्द हैं।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 421

قال الشيخ الألباني:
- " ادعوا الناس، وبشرا ولا تنفرا، ويسرا ولا تعسرا ".
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‏‏‏‏أخرجه مسلم (6 / 100) من طريق زيد بن أبي أنيسة عن سعيد بن أبي بردة حدثنا
‏‏‏‏أبو بردة عن أبيه قال:
‏‏‏‏" بعثني رسول الله صلى الله عليه وسلم ومعاذا إلى اليمن فقال ": فذكره.
‏‏‏‏وزاد قال: " فقلت يا رسول الله أفتنا في شرابين كنا نصنعهما باليمن البتع،
‏‏‏‏وهو من العسل ينبذ حتى يشتد، والمزر وهو من الذرة والشعير ينبذ حتى يشتد -
‏‏‏‏قال: وكان رسول الله صلى الله عليه وسلم قد أعطي جوامع الكلم بخواتمه،
‏‏‏‏فقال: أنهى عن كل مسكر أسكر عن الصلاة ".
‏‏‏‏وفي رواية (6 / 99) : " وعلما " بدل: " ولا تعسرا ".
‏‏‏‏وقد ورد الحديث بلفظ " كان إذا بعث أحدا " و " يسرا ولا تعسرا ". ¤


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