سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2250. بحیثیت شاعر سیدنا حسان رضی اللہ عنہ کی فضیلت
“ कवि के रूप में हज़रत हस्सान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3424
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" إن روح القدس لا يزال يويدك ما نافحت عن الله ورسوله".-" إن روح القدس لا يزال يويدك ما نافحت عن الله ورسوله".
سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: قریش کی مذمت کرو، یہ چیز ان پر تیروں کی بوچھاڑ سے بھی گراں گزرتی ہے۔ پھر آپ نے سیدنا عبداللہ بن رواحہ رضی اللہ عنہ کی طرف پیغام بھیجا: ان کی ہجو کرو۔ اس نے ان کے معائب و نقائص تو بیان کئے لیکن آپ خوش نہ ہوئے۔ پھر آپ نے سیدنا کعب بن مالک رضی اللہ عنہ کی طرف اور ان کے بعد سیدنا حسان بن ثابت کی طرف پیغام بھیجا۔ حسان نے آ کر کہا: اب تمہیں چاہیئے کہ اس معاملے کو اس شیر کے سپرد کر دو جو حملے کے لیے کمربستہ ہے، پھر انہوں نے اپنی زبان باہر نکالی، اسے حرکت دی اور کہا: اس ذات کی قسم جس نے آپ کو حق کے ساتھ مبعوث فرمایا! میں اپنی زبان کے ذریعے ان کو چمڑے کی طرح چاک کر دوں گا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏جلدی نہ کرو، قریش کے نسب کو سب سے زیادہ جاننے والے ابوبکر رضی اللہ عنہ ہیں۔ چونکہ میرا نسب بھی ان سے ملتا ہے، اس لیے وہ پہلے تجھ پر میرے نسب کی وضاحت کریں گے۔ سیدنا حسان، سیدنا ابوبکر کے پاس گئے اور واپس آ کر کہا: اے اللہ کے رسول! انہوں نے میرے لیے آپ کے نسب کی وضاحت کر دی ہے، اس ذات کی قسم جس نے آپ کو حق کے ساتھ بھیجا ہے! میں آپ کے نسب کو (‏‏‏‏ہجو سے) یوں باہر نکال دوں گا جس طرح آٹے سے بال کو کھینچ لیا جاتا ہے۔ سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا فرماتی ہیں: میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو حسان کے حق میں فرماتے سنا: ‏‏‏‏روح قدس (‏‏‏‏ ‏‏‏‏جبریل امین) تیری تائید کرتا رہے گا، جب تک تم اللہ اور اس کے رسول کا دفاع کرتے رہو گے۔ ‏‏‏‏وہ کہتی ہیں کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے ہوئے سنا: حسان نے ان کی مذمت کر کے دل کو مطمئن کر دیا اور دشمن کو زیر کر دیا۔ سیدنا حسان رضی اللہ عنہ نے کہا: تو نے محمد (‏‏‏‏ ‏‏‏‏ صلی اللہ علیہ وسلم ) کی مذمت کی . . . میں نے ان کی طرف سے جواب دیا . . . اور اللہ تعالیٰ کے ہاں اس عمل میں اجر و ثواب ہے . . . تو نے محمد صلی اللہ علیہ وسلم کی مذمت کی . . . حالانکہ وہ نیک اور یکسو ہیں . . . وہ اللہ کے رسول ہیں، ان کی کی عادت وفا ہے . . . بیشک میرا باپ اور اس کا والد اور میری عزت . . .تم سے محمد (‏‏‏‏ صلی اللہ علیہ وسلم ) کی عزت کا دفاع کرنے والے ہیں . . . میں نے اپنے پیاروں کو گم پایا . . . اگرچہ تم ان (‏‏‏‏لشکروں) کو نہیں دیکھ رہے. . . وہ کدا میں گرد و غبار اڑاتے ہوئے آ رہے ہیں. . . انہوں نے لگامیں تھامی ہوئی ہیں اور وہ چڑھے آ رہے ہیں. . . ان کے کندھوں پر پیاسے تیر سجے ہوئے ہیں . . . ہمارے لشکر رواں دواں ہیں. . . یہ عورتیں اپنے دوپٹوں کے ساتھ ان کا مقابلہ کریں گی. . . اگر تم راستے سے ہٹ جاؤ تو ہم عمرہ کر لیں گے. . . اور اس طرح فتح ہو جائے گی اور پردہ چاک ہو جائے گا . . . وگرنہ اس دن کی مار پر صبر کرو . . . جس دن اللہ تعالیٰ اپنی مرضی کے مطابق عزتیں دے گا. . . اللہ نے کہا: میں نے ایک بندے کو بطور رسول بھیج دیا ہے . . . وہ حق کہتا ہے، اس میں کوئی خفا نہیں ہے. . . اور اللہ نے کہا کہ میں لشکر چلا لایا ہوں. . . وہ انصار ہیں، میں نے ان کو لڑنے کے لیے پیش کر دیا ہے. . . وہ ہر روز معد قبیلہ سے وصول کرتے ہیں. . . گالیاں، لڑیاں اور مزمتیں . . . اگر تم میں سے کوئی رسول اللہ کی مذمت کرے. . . یا مدح کرے یا نصرت کرے، اس سے کوئی فرق نہیں پڑتا. . . اور ہم میں جبریل اللہ تعالیٰ کا قاصد ہے . . . وہ روح القدس ہے، اس کا مقابلہ کرنے والا کوئی نہیں۔
हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “क़ुरैश की निंदा करो, यह चीज़ उन पर तीरों की बौछाड़ से भी भारी होती है।” फिर आप ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन रवाहा रज़ि अल्लाहु अन्ह की ओर संदेश भेजा ! “इन की निंदा करो।” उसने उनकी बुराइयों और कमियों के बारे में कहा लेकिन आप ख़ुश न हुए। फिर आप ने हज़रत काअब बिन मालिक रज़ि अल्लाहु अन्ह की ओर और उन के बाद हज़रत हसान बिन साबित की ओर संदेश भेजा। हस्सान ने आकर कहा ! अब तुम्हें चाहिए कि इस मामले को इस शेर के हवाले करदो जो हमले के लिये कमर बाँधे हुए तैयार है, फिर उन्हों ने अपनी ज़बान बाहर निकाली, उसे हरकत दी और कहा ! उस ज़ात की क़सम जिस ने आप को सच्च के साथ भेजा, मैं अपनी ज़बान के द्वारा इन को चमड़े की तरह चाक कर दूँगा। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जल्दी न करो, क़ुरैश के वंश को सब से अधिक जानने वाले अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह हैं। चूँकि मेरा वंश भी उन से मिलता है, इस लिये वह पहले तुझे मेरे वंश के बारे में बताएंगे।” हज़रत हस्सान, हज़रत अबु बक्र के पास गए और वापस आकर कहा ! ऐ अल्लाह के रसूल, उन्हों ने मुझे आपके वंश के बारे में सब साफ़ साफ़ बता दिया है, उस ज़ात की क़सम जिस ने आप को सच्च के साथ भेजा है, मैं आप के वंश को (‏‏‏‏निंदा से) यूँ बाहर निकाल दूँगा जिस तरह आटे से बाल को खीँच लिया जाता है। हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं ! मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हस्सान के बारे में कहते हुए सुना ! “रुहुल कुदुस (‏‏‏‏जिब्रईल अमीन) तेरा साथ देता रहेगा, जब तक तुम अल्लाह और उस के रसूल का बचाओ करते रहोगे।” वह कहती हैं कि मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कहते हुए सुना ! “हस्सान ने उन की निंदा करके दिल को संतुष्ट कर दिया और दुश्मन को नीचा कर दिखाया।” हज़रत हस्सान रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! तू ने मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की निंदा की, मैं ने उन की ओर से जवाब दिया और अल्लाह तआला के हाँ इस काम के लिए बदला और सवाब है।.. तू ने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की निंदा की, हालांकि वह नेक और एक ओर हैं।.. वह अल्लाह के रसूल हैं, उन की आदत वफ़ा है।.. बेशक मेरा पिता और उस का पिता और मेरी इज़्ज़त और तुम से मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की इज़्ज़त का बचाओ करने वाले हैं।.. मैं ने अपने प्यारों को गुम पाया।.. अगरचे तुम इन (फ़ौज) को नहीं देख रहे वह मैदान में मिट्टी और धूल उड़ाते हुए आरहे हैं।.. उन्हों ने लगामें थामी हुई हैं और वह चढ़े आरहे हैं।.. उन के कंधों पर प्यासे तीर सजे हुए हैं।.. हमारी सेनाएं आगे बढ़ रही हैं।.. यह औरतें अपने दुपट्टों के साथ उन का मुक़ाब्ला करेंगी।.. यदि तुम रस्ते से हट जाओ तो हम उमरह करलेंगे।.. और इस तरह विजय हो जाएगी और पर्दा चाक हो जाएगा।.. वरना उस दिन की मार पर सब्र करो।.. जिस दिन अल्लाह तआला अपनी मर्ज़ी के अनुसार इज़्ज़तें देगा।.. अल्लाह ने कहा ! मैं ने एक बंदे को रसूल के रूप में भेज दिया है।.. वह सच्च केहता है, वह असन्तुष्ट नहीं है।.. और अल्लाह ने कहा कि मैं फ़ौज ले आया हूँ।.. वे अन्सार हैं, मैं ने उन को लड़ने के लिये आगे बढ़ा दिया।.. वे हर दिन मअद क़बीले से लेते हैं।.. गालियां और निंदा यदि तुम में से कोई रसूल अल्लाह की निंदा करे।.. या प्रशंसा करे या सहायता करे, उस से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।.. और हम में जिब्रईल अल्लाह तआला का प्रतिनिधि है।.. वह रुहुल कुदुस है, उस का मुक़ाब्ला करने वाला कोई नहीं।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1180

قال الشيخ الألباني:
- " إن روح القدس لا يزال يويدك ما نافحت عن الله ورسوله ".
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‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه مسلم (7 / 164 - 165) عن أبي سلمة بن عبد الرحمن عن عائشة أن رسول
‏‏‏‏الله صلى الله عليه وسلم قال: " اهجوا قريشا فأنه أشد عليها من رشق بالنبل ".
‏‏‏‏فأرسل إلى ابن رواحة فقال: اهجهم، فهجاهم فلم يرض، فأرسل إلى كعب بن مالك،
‏‏‏‏ثم أرسل إلى حسان بن ثابت، فلما دخل عليه قال حسان: قد آن لكم أن ترسلوا إلى
‏‏‏‏هذا الأسد الضارب بذنبه، ثم أدلع لسانه فجعل يحركه، فقال: والذي بعثك بالحق
‏‏‏‏لأفرينهم بلساني فري الأديم، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم : " لا تعجل
‏‏‏‏فإن أبا بكر أعلم قريش بأنسابها وإن لي فيهم نسبا حتى يلخص لك نسبي ". فأتاه
‏‏‏‏حسان ثم رجع فقال: يا رسول الله صلى الله عليه وسلم قد لخص لي نسبك والذي
‏‏‏‏بعثك بالحق لأسلنك منهم كما تسل الشعرة من العجين، قالت عائشة: فسمعت رسول
‏‏‏‏الله صلى الله عليه وسلم يقول لحسان: الحديث. وقالت: سمعت رسول الله صلى
‏‏‏‏الله عليه وسلم يقول: " هاجهم حسان فشفى واشتفى ". قال حسان:
‏‏‏‏هجوت محمدا فأجبت عنه وعند الله في ذاك الجزاء
‏‏‏‏هجوت محمدا برا حنيفا رسول الله شيمته الوفاء
‏‏‏‏فإن أبي ووالده وعرضي لعرض محمد منكم وقاء
‏‏‏‏ثكلت بنيتي إن لم تروها تثير النقع من كنفي كداء
‏‏‏‏يبارين الأعنة مصعدات على أكتافها الأسل الضماء
‏‏‏‏تظل جيادنا متمطرات تلطمهن بالخمر النساء
‏‏‏‏فإن أعرضتموا عنا اعتمرنا وكان الفتح وانكشف الغطاء
‏‏‏‏وإلا فاصبروا لضراب يوم يعز الله فيه من يشاء
‏‏‏‏وقال الله قد أرسلت عبدا يقول الحق ليس به خفاء
‏‏‏‏وقال الله قد يسرت جندا هم الأنصار عرضتها اللقاء
‏‏‏‏يلاقي كل يوم من معد سباب أو قتال أو هجاء
‏‏‏‏فمن يهجو رسول الله منكم ويمدحه وينصره سواء
‏‏‏‏وجبريل رسول الله فينا وروح القدس ليس له كفاء
‏‏‏‏__________جزء : 3 /صفحہ : 176__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏وللحديث طريق أخرى عن عائشة مختصرا بلفظ: " إن الله يؤيد ... ". وقد مضى.
‏‏‏‏وله شاهد بلفظ: " إن روح القدس معك ما هاجيتهم ". أخرجه الحاكم (3 / 487)
‏‏‏‏من طريق عيسى بن عبد الرحمن حدثنا عدي بن ثابت عن البراء بن عازب قال: قال
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم لحسان بن ثابت: فذكره. وقال: صحيح. وأقره
‏‏‏‏الذهبي. وهو كما قالا. وقد رواه غير عيسى عن عدي وغيره بلفظ: (اهج
‏‏‏‏المشركين) . كما يأتي. ¤


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