سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
علم سنت اور حدیث نبوی
सुन्नतों की जानकारी और नबवी हदीसें
208. عقائد میں بھی خبر واحد حجت ہے
“ दलील का मिल जाना काफ़ी है ”
حدیث نمبر: 312
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" إن هذه الامة تبتلى في قبورها، فلولا ان لا تدافنوا لدعوت الله ان يسمعكم من عذاب القبر الذي اسمع منه. قال زيد: ثم اقبل علينا بوجهه فقال: تعوذوا بالله من عذاب النار، قالوا: نعوذ بالله من عذاب النار، فقال: تعوذوا بالله من عذاب القبر، قالوا: نعوذا بالله من عذاب القبر، قال: تعوذوا بالله من الفتن ما ظهر منها وما بطن، قالوا: نعوذ بالله من الفتن ما ظهر منها وما بطن، قال: تعوذوا بالله من فتنة الدجال، قالوا: نعوذ بالله من فتنة الدجال".-" إن هذه الأمة تبتلى في قبورها، فلولا أن لا تدافنوا لدعوت الله أن يسمعكم من عذاب القبر الذي أسمع منه. قال زيد: ثم أقبل علينا بوجهه فقال: تعوذوا بالله من عذاب النار، قالوا: نعوذ بالله من عذاب النار، فقال: تعوذوا بالله من عذاب القبر، قالوا: نعوذا بالله من عذاب القبر، قال: تعوذوا بالله من الفتن ما ظهر منها وما بطن، قالوا: نعوذ بالله من الفتن ما ظهر منها وما بطن، قال: تعوذوا بالله من فتنة الدجال، قالوا: نعوذ بالله من فتنة الدجال".
سیدنا زید بن ثابت رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم بنو نجار کے ایک باغ میں اپنے خچر پر سوار جا رہے تھے۔ اچانک خچر بدک گیا اور قریب تھا کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم گر جائیں۔ راوی حدیث جریر کے شک کے مطابق ادھر چار یا پانچ یا چھ قبریں تھیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کون ان قبر والوں کو جانتا ہے؟ ایک آدمی نے کہا: میں جانتا ہوں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: یہ لوگ کب مرے تھے؟ اس نے کہا: شرک کی حالت میں۔ (یہ سن کر) آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (انسانوں کی) امت کو قبروں میں آزمایا جاتا ہے اور اگر تمہارے دفن نہ کرنے کا اندیشہ نہ ہوتا تو میں اللہ تعالیٰ سے دعا کرتا کہ جو عذاب قبر میں سنتا ہوں وہ تمہیں بھی سنا دے۔ سیدنا زید رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم ہماری طرف متوجہ ہوئے اور کہا: اللہ تعالیٰ کی پناہ طلب کرو آگ کے عذاب سے۔ ہم نے کہا: ہم آگ کے عذاب سے بچنے کے لیے اللہ تعالیٰ کی پناہ چاہتے ہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پھر فرمایا: عذاب قبر سے اللہ تعالیٰ کی پناہ طلب کرو۔ ہم نے کہا: ہم عذاب قبر سے اللہ کی پناہ طلب کرتے ہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پھر فرمایا: ظاہری اور باطنی فتنوں سے اللہ کی پناہ طلب کرو۔ ہم نے کہا: ہم ظاہری اور باطنی فتنوں سے بچنے کے لئے اللہ تعالیٰ کی پناہ طلب کرتے ہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پھر فرمایا: دجال کے فتنے سے اللہ کی پناہ طلب کرو۔ ہم نے کہا: ہم دجال کے فتنے سے اللہ تعالیٰ کی پناہ چاہتے ہیں۔
हज़रत ज़ैद बिन साबित रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बनि नज्जार के एक बाग़ में अपने ख़च्चर पर सवार जा रहे थे। अचानक ख़च्चर बिदक गया और क़रीब था कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम गिर जाएं। हदीस रिवायत करने वाले जरीर के अनुसार उधर चार या पांच या छे क़ब्रें थीं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “कौन इन क़ब्र वालों को जानता है ?” एक आदमी ने कहा ! मैं जानता हूँ। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा ! “ये लोग कब मरे थे ?” उस ने कहा ! शिर्क की हालत में। (ये सुन कर) आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “(इन्सानों की) उम्मत को क़ब्रों में आज़माया जाता है और अगर तुम्हारे दफ़न न करने का डर न होता तो मैं अल्लाह तआला से दुआ करता कि जो क़ब्र के अज़ाब मैं सुनता हूँ वह तुम्हें भी सुना दे।” हज़रत ज़ैद रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं ! फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमारी तरफ़ ध्यान किया और कहा ! “अल्लाह तआला की शरण मांगो आग के अज़ाब से ।” हम ने कहा ! हम आग के अज़ाब से बचने के लिए अल्लाह तआला की शरण चाहते हैं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर फ़रमाया ! “क़ब्र के अज़ाब से अल्लाह तआला की शरण मांगो।” हम ने कहा ! हम अज़ाब क़ब्र से अल्लाह की शरण की मांगते हैं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर फ़रमाया ! “बहरी और अंदरूनी फ़ितनों से अल्लाह की शरण मांगो।” हम ने कहा ! हम बहरी और अंदरूनी फ़ितनों से बचने के लिए अल्लाह तआला की शरण मांगते हैं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर फ़रमाया ! “दज्जाल के फ़ितने से अल्लाह की शरण मांगो।” हम ने कहा ! हम दज्जाल के फ़ितने से अल्लाह तआला की शरण चाहते हैं।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 159

قال الشيخ الألباني:
- " إن هذه الأمة تبتلى في قبورها، فلولا أن لا تدافنوا لدعوت الله أن يسمعكم من عذاب القبر الذي أسمع منه. قال زيد: ثم أقبل علينا بوجهه فقال: تعوذوا بالله من عذاب النار، قالوا: نعوذ بالله من عذاب النار، فقال: تعوذوا بالله من عذاب القبر، قالوا: نعوذا بالله من عذاب القبر، قال: تعوذوا بالله من الفتن ما ظهر منها وما بطن، قالوا: نعوذ بالله من الفتن ما ظهر منها وما بطن، قال: تعوذوا بالله من فتنة الدجال، قالوا: نعوذ بالله من فتنة الدجال ".
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‏‏‏‏أخرجه مسلم (8 / 160 - 161) من طريق ابن علية قال: وأخبرنا سعيد الجريري
‏‏‏‏عن أبي نضرة عن أبي سعيد الخدري عن زيد بن ثابت قال أبو سعيد: ولم أشهده من
‏‏‏‏النبي صلى الله عليه وسلم ولكن حدثنيه زيد بن ثابت قال:
‏‏‏‏" بينما النبي صلى الله عليه وسلم في حائط لبني النجار على بغلة له، ونحن معه
‏‏‏‏إذ حادت به، فكادت تلقيه، وإذا أقبر ستة أو خمسة أو أربعة - شك الجريري -
‏‏‏‏فقال: من يعرف أصحاب هذه الأقبر؟ فقال رجل: أنا قال: فمتى مات هؤلاء؟
‏‏‏‏قال: ماتوا في الإشراك فقال ... " فذكره.
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 294__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏وأخرجه أحمد (5 / 190) : حدثنا يزيد بن هارون أنبأنا أبو مسعود الجريري به
‏‏‏‏إلا أنه قال: " تعوذوا من فتنة المحيا والممات "، بدل " تعوذوا من الفتن ما
‏‏‏‏ظهر منها وما بطن ".
‏‏‏‏وأخرجه ابن حبان (785) بنحو رواية مسلم، لكن لم يذكر فيه زيد بن ثابت.
‏‏‏‏غريب الحديث
‏‏‏‏(تدافنوا) أصله تتدافنوا فحذف إحدى التاءين. أي: لولا خشية أن يفضي سماعكم
‏‏‏‏إلى ترك أن يدفن بعضكم بعضا.
‏‏‏‏(شهباء) : بيضاء.
‏‏‏‏(حاصت) أي حامت كما في رواية لأحمد أي اضطربت.
‏‏‏‏(خربا) بكسر الخاء وفتح الراء جمع خربة، كنقمة ونقم.
‏‏‏‏(تبتلى) أي تمتحن. والمراد امتحان الملكين للميت بقولهما: " من ربك؟ ":
‏‏‏‏" من نبيك ".
‏‏‏‏من فوائد الحديث
‏‏‏‏وفي هذه الأحاديث فوائد كثيرة أذكر بعضها أو أهمها:
‏‏‏‏1 - إثبات عذاب القبر، والأحاديث في ذلك متواترة، فلا مجال للشك فيه بزعم
‏‏‏‏أنها آحاد! ولو سلمنا أنها آحاد فيجب الأخذ بها لأن القرآن يشهد لها، قال
‏‏‏‏تعالى: (وحاق بآل فرعون سوء العذاب. النار يعرضون عليها غدوا وعشيا.
‏‏‏‏ويوم تقوم الساعة أدخلوا آل فرعون أشد العذاب) .
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 295__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏ولو سلمنا أنه لا يوجد في القرآن ما يشهد لها، فهي وحدها كافية لإثبات هذه
‏‏‏‏العقيدة، والزعم بأن العقيدة لا تثبت بما صح من أحاديث الآحاد زعم باطل دخيل
‏‏‏‏في الإسلام، لم يقل به أحد من الأئمة الأعلام كالأربعة وغيرهم، بل هو مما
‏‏‏‏جاء به بعض علماء الكلام، بدون برهان من الله ولا سلطان، وقد كتبنا فصلا
‏‏‏‏خاصا في هذا الموضوع الخطير في كتاب لنا، أرجو أن أوفق لتبييضه ونشره على
‏‏‏‏الناس.
‏‏‏‏2 - أن النبي صلى الله عليه وسلم يسمع ما لا يسمع الناس، وهذا من خصوصياته
‏‏‏‏عليه الصلاة والسلام، كما أنه كان يرى جبريل ويكلمه والناس لا يرونه ولا
‏‏‏‏يسمعون كلامه، فقد ثبت في البخاري وغيره أنه صلى الله عليه وسلم قال يوما
‏‏‏‏لعائشة رضي الله عنها: هذا جبريل يقرئك السلام، فقالت: وعليه السلام
‏‏‏‏يا رسول الله، ترى ما لا نرى. ولكن خصوصياته عليه السلام إنما تثبت بالنص
‏‏‏‏الصحيح، فلا تثبت بالنص الضعيف ولا بالقياس والأهواء، والناس في هذه
‏‏‏‏المسألة على طرفي نقيض، فمنهم من ينكر كثيرا من خصوصياته الثابتة بالأسانيد
‏‏‏‏الصحيحة، إما لأنها غير متواترة بزعمه، وإما لأنها غير معقولة لديه! ومنهم
‏‏‏‏من يثبت له عليه السلام ما لم يثبت مثل قولهم: إنه أول المخلوقات، وإنه لا
‏‏‏‏ظل له في الأرض وإنه إذا سار في الرمل لا تؤثر قدمه فيه، بينما إذا داس على
‏‏‏‏الصخر علم عليه، وغير ذلك من الأباطيل.
‏‏‏‏والقول الوسط في ذلك أن يقال: إن النبي صلى الله عليه وآله وسلم بشر بنص
‏‏‏‏القرآن والسنة وإجماع الأمة، فلا يجوز أن يعطى له من الصفات والخصوصيات إلا
‏‏‏‏ما صح به النص في الكتاب والسنة، فإذا ثبت ذلك وجب التسليم له، ولم يجز رده
‏‏‏‏بفلسفة خاصة علمية أو عقلية، زعموا، ومن المؤسف، أنه قد انتشر في العصر
‏‏‏‏الحاضر انتشارا مخيفا رد الأحاديث الصحيحة لأدنى شبهة ترد من بعض الناس، حتى
‏‏‏‏ليكاد يقوم في النفس أنهم يعاملون أحاديثه عليه السلام معاملة أحاديث غيره من
‏‏‏‏البشر الذين ليسوا معصومين، فهم
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 296__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏يأخذون منها ما شاؤوا، ويدعون ما شاؤوا،
‏‏‏‏ومن أولئك طائفة ينتمون إلى العلم، وبعضهم يتولى مناصب شرعية كبيرة! فإنا
‏‏‏‏لله وإنا إليه راجعون، ونسأله تعالى أن يحفظنا من شر الفريقين المبطلين
‏‏‏‏والغالين.
‏‏‏‏3 - إن سؤال الملكين في القبر حق ثابت، فيجب اعتقاده أيضا، والأحاديث فيه
‏‏‏‏أيضا متواترة.
‏‏‏‏4 - إن فتنة الدجال فتنة عظيمة ولذلك أمر بالاستعاذة من شرها في هذا الحديث
‏‏‏‏وفي أحاديث أخرى، حتى أمر بذلك في الصلاة قبل السلام كما ثبت في البخاري
‏‏‏‏وغيره. وأحاديث الدجال كثيرة جدا، بل هي متواترة عند أهل العلم بالسنة.
‏‏‏‏ولذلك جاء في كتب العقائد وجوب الإيمان بخروجه في آخر الزمان، كما جاء فيها
‏‏‏‏وجوب الإيمان بعذاب القبر وسؤال الملكين.
‏‏‏‏5 - إن أهل الجاهلية الذين ماتوا قبل بعثته عليه الصلاة والسلام معذبون بشركهم
‏‏‏‏وكفرهم، وذلك يدل على أنهم ليسوا من أهل الفترة الذين لم تبلغهم دعوة نبي،
‏‏‏‏خلافا لما يظنه بعض المتأخرين. إذ لو كانوا كذلك لم يستحقوا العذاب لقوله
‏‏‏‏تعالى: (وما كنا معذبين حتى نبعث رسولا) . وقد قال النووي في شرح حديث
‏‏‏‏مسلم: " أن رجلا قال يا رسول الله أين أبي؟ قال: في النار ... " الحديث.
‏‏‏‏قال النووي (1 / 114 طبع الهند) :
‏‏‏‏" فيه أن من مات على الكفر فهو في النار، ولا تنفعه قرابة المقربين، وفيه
‏‏‏‏أن من مات على الفترة على ما كانت عليه العرب من عبادة الأوثان فهو من أهل
‏‏‏‏النار، وليس هذا مؤاخذة قبل بلوغ الدعوة، فإن هؤلاء كانت قد بلغتهم دعوة
‏‏‏‏إبراهيم وغيره من الأنبياء صلوات الله تعالى وسلامه عليهم ".
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 297__________ ¤


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