-" يا معاذ ثكلتك امك، وهل يكب الناس على مناخرهم في جهنم إلا ما نطقت به السنتهم، فمن كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليقل خير او يسكت عن شر، قولوا خيرا تغنموا، واسكتوا عن شر تسلموا".-" يا معاذ ثكلتك أمك، وهل يكب الناس على مناخرهم في جهنم إلا ما نطقت به ألسنتهم، فمن كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليقل خير أو يسكت عن شر، قولوا خيرا تغنموا، واسكتوا عن شر تسلموا".
سیدنا عبادہ بن صامت رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ ایک دن رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم اپنی سواری پر نکلے اور صحابہ کرام آپ کے آگے آگے چل رہے تھے۔ سیدنا معاذ بن جبل رضی اللہ نے کہا: اے اللہ کے نبی! کیا آپ مجھے برضا و رغبت اپنی طرف آنے کی اجازت دیں گے؟ آپ نے فرمایا: ”ہاں“۔ سیدنا معاذ آپ کے قریب ہو گئے اور دونوں ایک ساتھ چلتے رہے۔ چلتے چلتے سیدنا معاذ رضی اللہ عنہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! میرا باپ آپ پر قربان ہو، میں اللہ تعالیٰ سے سوال کرتا ہوں کہ میری موت کا وقت آپ کی وفات سے پہلے ہو۔ آپ کا کیا خیال کہ اگر (اس کے برعکس) کچھ ہوا تو ہمیں آپ کے بعد کون سے عمل کرنے چاہئیں؟ البتہ فی الحال کوئی علامت نظر تو نہیں آ رہی۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم خاموش رہے۔ میں نے کہا: اللہ کے راستے میں جہاد کرنا؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”جہاد تو بہترین عمل ہے، اور جو چیز لوگوں کے پاس ہے وہ اس سے بھی زیادہ نیکیوں کی حفاظت کرنے والی ہے۔“ میں نے کہا: وہ روزے اور صدقات ہیں؟ آپ نے فرمایا: ”روزے اور صدقہ و خیرات بہترین اعمال ہیں۔“ سیدنا معاذ رضی اللہ عنہ نے ابن آدم کے ہر نیک عمل کا تذکرہ کر دیا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اس سے بھی زیادہ اچھی چیز لوگوں کے پاس موجود ہے۔“ سیدنا معاذ رضی اللہ عنہ نے کہا: میرے والدین آپ پر قربان ہوں، کون سی چیز ان سب (اعمال) سے بہتر ہے؟ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے جواباً اپنے منہ مبارک کی طرف اشارہ کیا اور فرمایا: خیر و بھلائی والے امور کے علاوہ (ہر چیز سے) خاموشی اختیار کرنا۔“ انہوں نے کہا: ہم اپنی زبانوں میں جو گفتگو کرتے ہیں، آیا اس پر ہمارا مؤاخذہ ہو گا؟ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے معاذ کی ران پر ہاتھ مارا اور فرمایا: ”تیری ماں تجھے گم پائے، یہ زبانوں کے بول ہی ہوں گے جو لوگوں کو ان کے نتھنوں کے بل جہنم میں گرا دیں گے۔ اس لیے جو آدمی اللہ تعالیٰ اور یوم آخرت پر ایمان رکھتا ہے وہ خیر پر مشتمل بات کرے یا (پھر دوسری) بری باتوں سے خاموش رہے۔ (لوگو!) اچھی باتیں کیا کرو، غنیمت پاؤ گے اور بری باتوں سے رک جایا کرو، محفوظ رہو گے۔“
हज़रत उबादा बिन सामित रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि एक दिन रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी सवारी पर निकले और सहाबा कराम आप के आगे आगे चल रहे थे। हज़रत मआज़ बिन जबल रज़ि अल्लाह ने कहा ऐ अल्लाह के नबी, क्या आप मुझे ख़ुशी से अपनी ओर आने की अनुमति देंगे ? आप ने फ़रमाया कि हाँ।” हज़रत मआज़ आप के क़रीब हो गए और दोनों एक साथ चलते रहे। चलते चलते हज़रत मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ऐ अल्लाह के रसूल मेरा पिता आप पर क़ुरबान हो, मैं अल्लाह तआला से सवाल करता हूँ कि मेरी मौत का समय आप की मौत से पहले हो। आप का क्या विचार है यदि (इस के विपरीत) कुछ हुआ तो हमें आप के बाद कौन से कर्म करने चाहिएं ? फ़िलहाल कुछ ऐसा नज़र तो नहीं आ रहा। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम चुप रहे। मैं ने कहा कि अल्लाह के रस्ते में जिहाद करना ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया “जिहाद तो सबसे अछा कर्म है और जो चीज़ लोगों के पास है वह इस से भी अधिक नेकिओं की सुरक्षा करने वाली है।” मैं ने कहा कि वे रोज़े और सदक़ाह हैं ? आप ने फ़रमाया “रोज़े और सदक़ह और दान अच्छे कर्म हैं।” हज़रत मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह ने आदम की औलाद के हर नेक कर्म के बारे में कहा। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया “इस से भी अधिक अच्छी चीज़ लोगों के पास मौजूद है।” हज़रत मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा कि मेरे माता-पिता आप पर क़ुरबान हों, कौन सी चीज़ इन सब (कर्मों) से अच्छी है ? रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब में अपने मुंह मुबारक की ओर इशारा किया और फ़रमाया, अच्छाई और भलाई वाले मआमलों के सिवा (हर चीज़ से) ख़ामोशी अपना लेना।” उन्हों ने कहा कि हम अपनी ज़बानों में जो बातचीत करते हैं, क्या इस पर भी हम से पूछताछ की जाए गी ? रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मआज़ की रान पर हाथ मारा और फ़रमाया “तेरी मां तुझे गुम पाए, यह ज़बानों के शब्द ही होंगे जो लोगों को उन के नथनों के बल जहन्नम में गिरा देंगे। इस लिये जो आदमी अल्लाह तआला और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता है वह भलाई की बात करे या बुरी बातों से चुप रहे। (लोगों) अच्छी बातें किया करो, वरदान पाओगे और बुरी बातों से रुक जाया करो, सुरक्षित रहोगे।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 412
قال الشيخ الألباني: - " يا معاذ ثكلتك أمك، وهل يكب الناس على مناخرهم في جهنم إلا ما نطقت به ألسنتهم، فمن كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليقل خير أو يسكت عن شر، قولوا خيرا تغنموا، واسكتوا عن شر تسلموا ". _____________________ أخرجه الحاكم (4 / 286 - 287) من طريق الربيع بن سليمان حدثنا عبد الله ابن وهب أخبرني أبو هانىء عن عمرو بن مالك عن فضالة بن عبيد عن عبادة بن الصامت رضي الله عنه: " أن رسول الله صلى الله عليه وسلم خرج ذات يوم على راحلته وأصحابه معه بين يديه فقال معاذ بن جبل: يا نبي الله أتأذن لي في أن أتقدم إليك على طيبة نفس؟ قال: نعم، فاقترب معاذ إليه فسارا جميعا، فقال معاذ: بأبي أنت يا رسول الله أسأل الله أن يجعل يومنا قبل يومك، أرأيت إن كان شيء - ولا نرى شيئا إن شاء الله تعالى - فأي الأعمال نعملها بعدك؟ فصمت رسول الله صلى الله عليه وسلم فقال: الجهاد في سبيل الله ثم قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : نعم الشيء الجهاد، والذي بالناس أملك من ذلك، فالصيام والصدقة، قال: نعم الشيء الصيام والصدقة، فذكر معاذ كل خير يعمله ابن آدم، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم: وعاد بالناس خير من ذلك، قال: فماذا بأبي أنت وأمي عاد بالناس خير من ذلك؟ قال: فأشار رسول الله صلى الله عليه وسلم إلى فيه قال: الصمت إلا من خير، قال: __________جزء : 1 /صفحہ : 772__________ وهل نؤاخذ بما تكلمت به ألسنتنا قال: فضرب رسول الله صلى الله عليه وسلم فخذ معاذ ثم قال: فذكره. وقال الحاكم: " صحيح على شرط الشيخين ". ووافقه الذهبي. وأقول: كلا بل هو صحيح فقط فإن الربيع بن سليمان وعمرو بن مالك الجنبي لم يخرج لهما الشيخان وإنما أخرج البخاري للجنبي في " الأدب المفرد " وكذلك أخرج لأبي هانىء واسمه حميد بن هانىء، وهو من رجال مسلم فقط. والحديث أوده الهيثمي (10 / 299) بطوله وقال: " رواه الطبراني ورجاله رجال الصحيح غير عمرو بن مالك الجنبي وهو ثقة ". ¤