-" إن شهداء الله في الارض امناء الله في الارض في خلقه، قتلوا او ماتوا".-" إن شهداء الله في الأرض أمناء الله في الأرض في خلقه، قتلوا أو ماتوا".
محمد بن زیاد الہانی کہتے ہیں: جب ابوعنبہ خولانی کے پاس شہادت کا (حکم رکھنے والے) لوگوں کا ذکر کیا گیا تو (حاضرین) نے پیٹ کے عارضے سے، طاعون سے مرنے والے لوگوں اور نفاس سے مرنے والی عورت کا ذکر کیا۔ لیکن ابوعنبہ کو غصہ آ گیا، انہوں نے کہا: ہمیں صحابہ کرام رضی اللہ عنہم نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے بیان کیا کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”خلق خدا کے حق میں دیانتدار لوگ اللہ تعالیٰ کے گواہ ہے، وہ شہید ہوں یا طبعی موت مرنے والے۔“
मुहम्मद बिन ज़ियाद अलहानी कहते हैं कि जब अबु इनबह ख़ोलानी के पास शहादत के (दर्जे में आने वाले) लोगों के बारे में बताया गया तो लोगों ने पेट के रोग से और महामारी से मरने वाले लोगों और निफ़ास से मरने वाली औरतों के बारे में बात की। लेकिन अबु इनबह को ग़ुस्सा आ गया, उन्हों ने कहा कि हमें सहाबा कराम रज़ि अल्लाह अन्हुम ने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बयान किया। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अल्लाह के बंदों के लिए ईमानदार लोग अल्लाह तआला के गवाह है, वह शहीद हों या सामान्य मौत मरने वाले।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1902
قال الشيخ الألباني: - " إن شهداء الله في الأرض أمناء الله في الأرض في خلقه، قتلوا أو ماتوا ". _____________________ أخرجه أحمد (4 / 200) حدثنا أبو اليمان قال: حدثنا إسماعيل بن عياش عن محمد ابن زياد الألهاني قال: ذكر عند أبي عنبة الخولاني الشهداء، فذكروا المبطون، والمطعون والنفساء، فغضب أبو عنبة وقال: حدثنا أصحاب نبينا عن بينا صلى الله عليه وسلم أنه قال: فذكره. قلت: وهذا إسناد جيد رجاله ثقات معروفون غير أبي عنبة الخولاني، قال ابن أبي حاتم (4 / 2 / 418 - 419) : " ليست: له صحبة وهو من الطبقة الأولى من تابعي أهل الشام ". ثم ذكر أنه روى عنه جماعة من الثقات غير الألهاني. لكن ذكره غيره في الصحابة، ورجح الحافظ في " الإصابة " قول أحمد بن محمد بن عيسى: " أدرك الجاهلية وعاش إلى خلافة عبد الملك وكان ممن أسلم على يد معاذ والنبي صلى الله عليه وسلم حي ". ¤