-" إن وجدت رجلا صالحا فتزوجي".-" إن وجدت رجلا صالحا فتزوجي".
مسروق اور عمرو بن عتبہ نے سیدنا سبیعہ بنت حارث رضی اللہ عنہا کی طرف خط لکھا اور اس سے اس کے معاملے کی وضاحت طلب کی۔ اس نے جواباً لکھا: میرے خاوند کی وفات کے پچیس دن بعد میرا بچہ پیدا ہو گیا تھا، میں نے دوسری شادی کے لیے تیاری کی۔ میرے پاس سے ابوسنابل بن بعکک گزرے اور کہا: تو جلدی کر رہی ہے، تو دونوں عدتوں میں سے طویل عدت یعنی چار ماہ اور دس دن عدت پوری کر۔ میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آئی اور کہا: اے الله کے رسول! میرے لئے بخشش طلب کیجئیے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”وہ کس لئے؟“ جب میں نے ساری تفصیل بتائی تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اگر کوئی نیک آدمی مل جائے تو اس سے شادی کر لے۔“(تیری عدّت پوری ہو چکی ہے۔)
मस्रूक़ और अमरो बिन उत्बह ने हज़रत सुबेअह बिन्त हारिस रज़ि अल्लाहु अन्हा की ओर पत्र लिखा और उन्हें अपना मआमला समझाने के लिए कहा गया। उस ने जवाब में लिखा कि मेरे पति की मृत्यु के पच्चीस दिन बाद मेरा बच्चा पैदा हो गया था, मैं ने दूसरी शादी के लिये तैयारी की। मेरे पास से अबू सनाबिल बिन बअकक गुज़रे और कहा कि तू जल्दी कर रही है, तू दोनों इददतों में से लम्बी ईददत यानी चार महीने और दस दिन ईददत पूरी कर। मैं नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आई और कहा, ऐ अल्लाहु के रसूल मेरे लिए क्षमा की मांग कीजिए। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “वह किस लिए ?” जब मैं ने सारी बात बताई तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “यदि कोई नेक आदमी मिल जाए तो उस से शादी करले।” (तेरी ईददत पूरी हो चुकी है।)
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2722
قال الشيخ الألباني: - " إن وجدت رجلا صالحا فتزوجي ". _____________________ أخرجه ابن ماجه (1 / 625 - 626) وابن راهويه في " مسنده " (4 / 266 / 1 - 2 ) من طريق داود بن أبي هند عن الشعبي عن مسروق وعمرو بن عتبة أنهما كتبا إلى سبيعة بنت الحارث يسألانها عن أمرها؟ فكتبت إليهما: أنها وضعت بعد وفاة زوجها بخمسة وعشرين [ليلة] فتهيأت تطلب الخير، فمر بها أبو السنابل بن بعكك ، فقال: قد أسرعت، اعتدي آخر الأجلين، أربعة __________جزء : 6 /صفحہ : 493__________ أشهر وعشرا، فأتيت النبي صلى الله عليه وسلم، فقلت: يا رسول الله! استغفر لي. قال: وفيم ذاك؟ فأخبرته [الخبر] ، فقال: والزيادتان لابن راهويه. قلت: وإسناده صحيح على شرط مسلم، وقد أخرجه هو والبخاري وغيرهما من طرق أخرى عن سبيعة وغيرها من الصحابة مختصرا ومطولا، وخرجت أحدها في " الإرواء " (2113) وإنما آثرت هذه الرواية بالتخريج لأنها تفردت عن سائر الطرق بهذه الفائدة التي فوق هذا التخريج، حيث أمرها صلى الله عليه وسلم بأن تتزوج بالرجل الصالح إن وجدته. وقد وهم الحافظ رحمه الله فعزاها في " الفتح " (9 / 476) لرواية الأسود عن أبي السنابل نفسه عند ابن ماجه. وهذه رواية أخرى لابن ماجه ليس فيها هذه الفائدة ، وهي عند ابن راهويه أيضا. وسبب الوهم - فيما يبدو لي والله أعلم - أن هذه عند ابن ماجه قبيل حديث الترجمة، فكأنه انتقل بصره عند النقل عنه إليها. والله أعلم. وفي الحديث فوائد فقهية أخرى ساق الحافظ الكثير الطيب منها كقوله : " وفيه جواز تجمل المرأة بعد انقضاء عدتها لمن يخطبها، لأن في رواية الزهري عند البخاري: فقال: مالي أراك تجملت للخطاب، وفي رواية ابن إسحاق: فتهيأت للنكاح واختضبت. وفي رواية معمر عن الزهري: وقد اكتحلت، وفي رواية الأسود: فتطيبت وتصنعت ". قلت: فما رأي المتحمسين للقول بأن المرأة كلها عورة دون استثناء في هذا الحديث الصحيح، وما ذكره الحافظ من الفائدة؟! لعلهم يقولون - كما هي عادتهم في مثل هذا النص الصريح -: كان ذلك قبل نزول آية الحجاب! فنجيبهم: رويدكم! فقد كان ذلك بحجة الوداع كما في " الصحيحين " * ( فهل من مدكر) * انظر كتابي " جلباب المرأة المسلمة " (ص 69 - الطبعة الجديدة) . __________جزء : 6 /صفحہ : 494__________ ¤