-" لا يحل للخليفة إلا قصعتان قصعة ياكلها هو واهله، وقصعة يطعمها".-" لا يحل للخليفة إلا قصعتان قصعة يأكلها هو وأهله، وقصعة يطعمها".
عبداللہ بن زریر غفاری کہتے ہیں کہ ہم عیدالاضحیٰ کے موقع پر سیدنا علی بن ابوطالب رضی اللہ عنہ کے پاس گئے، انہوں نے (بطور ضیافت) خزیرہ پیش کیا، (یہ قیمے اور آٹے سے تیار کیا جانے والا ایک قسم کا کھانا ہوتا ہے)۔ ہم نے کہا: امیر المؤمنین! اگر آپ بطخ اور مرغابی کا گوشت پیش کر دیتے تو (بہت اچھا ہوتا) اور مال کثیر موجود ہے۔ انہوں نے کہا: ابن زریر! میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے سنا: ”خلیفہ کے لیے صرف دو پیالے حلال ہیں: ایک پیالہ اس کے اور اہل کے کھانے کے لیے اور ایک کسی کو کھلانے کے لیے۔“
अब्दुल्लाह बिन ज़रीर ग़फ़्फ़ारी कहते हैं कि हम ईद अल-अज़हा के दिन हज़रत अली बिन अबु तालिब रज़ि अल्लाहु अन्ह के पास गए उन्हों ने (महमानदारी के लिये) ख़ज़िरह आगे रखा। (यह क़ीमे और आटे से तैयार किया जाने वाला एक तरह का खाना होता है), हम ने कहा अमीरुल मोमिनीन यदि आप बत्तख़ और मुर्ग़ाबी का मांस आगे रख देते तो (बहुत अच्छा होता) और माल अधिक मौजूद है। उन्हों ने कहा इब्न ज़रीर मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुना ! “ख़लीफ़ह के लिये केवल दो पियाले हलाल हैं, एक प्याला उस के और परिवार के खाने के लिये और एक किसी को खिलाने के लिये।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 362
قال الشيخ الألباني: - " لا يحل للخليفة إلا قصعتان قصعة يأكلها هو وأهله، وقصعة يطعمها ". _____________________ رواه ابن أبي الدنيا في " الورع " (168 / 2) : حدثنا إبراهيم بن المنذر الحزامي قال: أنبأنا عبد الله بن وهب عن ابن لهيعة عن عبد الله بن هبيرة عن عبد الله بن زرير الغافقي قال: __________جزء : 1 /صفحہ : 703__________ دخلنا على علي بن أبي طالب يوم أضحى فقدم إلينا خزيرة، فقلنا يا أمير المؤمنين لو قدمت إلينا من هذا البط والوز، والخير كثير، قال: يا ابن زرير إني سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم ، فذكره. ورواه أحمد (رقم 1 / 78) وعنه ابن عساكر (12 / 188 / 1) من طريقين آخرين عن ابن لهيعة به. ورواه ابن عساكر من طريق حرملة عن ابن وهب به موقوفا على علي. قلت: وهذا سند صحيح رجاله كلهم ثقات، وابن لهيعة إنما يخشى من سوء حفظه إذا لم يكن الحديث من رواية أحد العبادلة عنه كما صرح بذلك بعض الأئمة المتقدمين، وهذه كما ترى من رواية عبد الله بن وهب عنه. والحديث قال الهيثمي في " مجمع الزوائد " (5 / 231) : " رواه أحمد، وفيه ابن لهيعة، وحديثه حسن، وفيه ضعف ". وأقول: الصواب فيه أنه ضعيف الحديث في غير رواية العبادلة عنه. صحيح الحديث من رواية أحدهم عنه كما سبق. وقال الحافظ في " التقريب ": " صدوق، خلط بعد احتراق كتبه، ورواية ابن المبارك وابن وهب عنه أعدل من غيرهما، وله في " مسلم " بعض شيء مقرون ". ¤