سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
حدود، معاملات، احکام
सीमाएं, मामले, नियम
909. شریعت کی نافرمانی میں خلیفہ کی کوئی اطاعت نہیں
“ शरिअत के ख़िलाफ़ हाकिम की आज्ञाकारी नहीं ”
حدیث نمبر: 1309
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" من امركم من الولاة بمعصية فلا تطيعوه".-" من أمركم من الولاة بمعصية فلا تطيعوه".
سیدنا ابوسعید خدری رضى اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلى اللہ علیہ وسلم نے سیدنا علقمہ بن مجزز رضى اللہ عنہ کو ایک لشکر، (جس میں میں بھی تھا) کا امیر بنا کر بھیجا۔ جب وہ غزدہ کی جگہ پر پہنچا یا راستے میں تھا، تو لشکر کے ایک حصے نے اس سے اجازت طلب کی، اس نے اجازت دے دی اور سیدنا عبداللہ بن حذافہ بن قیس سہمی رضى اللہ عنہ کو ان کا امیر بنا دیا، میں بہی انھی کے ساتھ غزوہ کرنے والوں میں تھا۔ وہ راستے میں ہی تھا کہ اس نے گرمی حاصل کرنے کے لیے یا کوئی چیز پکانے کے لیے آگ جلائی۔ لشکر کے امیر عبداللہ نے کہا:، جن کے مزاج میں خوش طبعی پائی جاتی تہی، کیا تمہارے لیے ضروری نہیں کہ تم میرا حکم سنو اور مانو؟ انہوں نے کہا: کیوں نہیں؛ اس نے کہا: میں تمہیں جس چیز کا حکم دوں گا، تم اس کی تعیل کرو گے؟ انہوں نے کہا: جی ہاں۔ اس نے کہا: میں تمہیں سختی کے ساتھ حکم دیتا ہوں کہ اس آگ میں کود پڑو۔ لوگوں نے کمروں پر پیٹیاں باندہ لیں۔ جب اسے گمان ہوا کہ یہ آگ میں کودنے والے ہیں، تو ان سے کہا: ٹھر جاؤ، میں تو تمہارے ساتھ مذاق کر رہا تہا۔ جب ہم نبی کریم صلى اللہ علیہ وسلم کے پاس آئے تو یہ سارا واقعہ آپ صلى اللہ علیہ وسلم کو سنایا۔ رسول اللہ صلى اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جو امرا تمہیں (اللہ تعالىٰ کی) نافرمانی کا حکم دیں، ان کی اطاعت نہ کرو۔
हज़रत अबु सईद ख़ुदरी रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत अलक़मह बिन मुजज़्ज़ज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह को एक फ़ौजी दस्ते (जिस में मैं भी था) का अमीर बनाकर भेजा। जब वह ग़ज़्दह की जगह पर पहुंचा या रस्ते में था तो फ़ौज के एक भाग ने उस से अनुमति मांगी तो उसने अनुमति देदी और हज़रत अब्दुल्लाह बिन हुज़ाफ़ह बिन क़ेस सहमी रज़ि अल्लाहु अन्ह को उनका अमीर बना दिया, मैं भी उन्ही के साथ ग़ज़्वह करने वालों में था। वह रस्ते में ही था कि उसने गर्मी के लिये या कोई चीज़ पकाने के लिये आग जलाई। फ़ौज के अमीर अब्दुल्लाह ने कहा जो एक अच्छे स्वभाव वाले थे, क्या तुम्हारे लिये ज़रूरी नहीं कि तुम मेरा हुक्म सुनो और मानो ? उन्हों ने कहा क्यों नहीं उसने कहा मैं तुम्हें जिस चीज़ का हुक्म दूँगा तुम उसका पालन करोगे ? उन्हों ने कहा कि जी हाँ, उस ने कहा मैं तुम्हें सख़्ती के साथ हुक्म देता हूँ कि इस आग में कूद पड़ो। लोगों ने पीठ पर पेटियां बांध लीं। जब उसे गुमान हुआ कि ये आग में कूदने वाले हैं तो उनसे कहा ठहर जाओ, मैं तो तुम्हारे साथ मज़ाक़ कर रहा था। जब हम नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आए तो यह सारी घटना आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सुनाई। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जो हाकिम तुम्हें (अल्लाह तआला की) आज्ञा का पालन न करने का हुक्म दें, उनकी आज्ञाकारी न करो।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2324

قال الشيخ الألباني:
- " من أمركم من الولاة بمعصية فلا تطيعوه ".
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‏‏‏‏أخرجه ابن ماجة (2 / 201 - 202) وابن حبان (1552) وأحمد (3 / 67) عن
‏‏‏‏محمد بن عمرو عن عمر بن الحكم بن ثوبان عن أبي سعيد الخدري: " أن رسول
‏‏‏‏الله صلى الله عليه وسلم بعث علقمة بن مجزز على بعث وأنا فيهم، فلما انتهى
‏‏‏‏إلى رأس عزاته، أو كان ببعض الطريق، استأذنته طائفة من الجيش، فأذن لهم،
‏‏‏‏وأمر عليهم عبد الله بن حذافة بن قيس السهمي، فكنت فيمن غزا معه، فلما كان في
‏‏‏‏بعض الطريق، أوقد القوم نارا ليصطلوا، أو ليصنعوا عليها صنيعا، فقال عبد
‏‏‏‏الله - وكانت فيه دعابة -: أليس لي عليكم السمع والطاعة؟ قالوا: بلى، قال
‏‏‏‏: فما أنا بآمركم بشيء إلا صنعتموه؟ قالوا: نعم، قال، فإني أعزم عليكم إلا
‏‏‏‏تواثبتم في هذه النار، فقام ناس فتحجزوا، فلما ظن أنهم واثبون قال: أمسكوا
‏‏‏‏على أنفسكم، فإنما كنت أمزح معكم، فلما قدمنا ذكروا ذلك للنبي صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم : ... " فذكره. وروى الحاكم (3 /
‏‏‏‏630) طرفا من أوله. قلت: وإسناده حسن.
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