हेज़ ( माहवारी ) के बारे में
1. “ माहवारी की समस्याओं के बारे में जबकि एक महिला को माहवारी हो रही है ”
2. “ माहवारी वाली महिला का अपने पति के सिर को धोना और कंघी करना ”
3. “ पति का पत्नी की गोद में सिर रखकर क़ुरआन की तिलावत करना जबकि वह माहवारी से हो ”
4. “ जो कोई माहवारी को निफ़ास कहता है ”
5. “ एक महिला के साथ मेल-जोल ठीक है जो माहवारी से हो ”
6. “ माहवारी वाली महिला का फ़र्ज़ रोज़े छोड़ देना ”
7. “ इस्तिहाज़ा वाली महिला का एतिकाफ़ ”
8. “ माहवारी के बाद ग़ुस्ल करते समय ख़ुश्बू लगाना ठीक है ”
9. “ माहवारी से छुटकारे के बाद महिला का अपने शरीर को मलना ”
10. “ महिला का माहवारी से छुटकारे के बाद ग़ुस्ल करते समय कंघी करना ”
11. “ माहवारी से छुटकारे वाले ग़ुस्ल में महिला को अपने बाल खोलना चाहिए ”
12. “ माहवारी वाली महिला पर नमाज़ की क़ज़ा नहीं ”
13. “ माहवारी वाली महिला के साथ सो सकते हैं जब वह माहवारी वाले कपड़ों में हो ”
14. “ ईद की नमाज़ में माहवारी वाली महिला की मौजूदगी ”
15. “ समय से पहले माहवारी में पिले और मटियाले रंग की चीज़ दिखाईदे तो वह माहवारी में नहीं गिना जाता ”
16. “ तवाफ़ के बाद यदि किसी महिला को माहवारी शरू होजाए तो क्या हुक्म है ? ”
17. “ जिस महिला की मोत होजाए तो उसकी नमाज़ जनाज़ा पढ़ना और उसका तरीक़ा ”
18. “ जब कोई नमाज़ पढ़े और सामने माहवारी वाली महिला लेटीहो ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
حیض کا بیان
हेज़ ( माहवारी ) के बारे में
عورت کا اپنے غسل حیض (کے وقت) کنگھی کرنا (ثابت ہے)۔
“ महिला का माहवारी से छुटकारे के बाद ग़ुस्ल करते समय कंघी करना ”
حدیث نمبر: 214
Save to word مکررات اعراب Hindi
ام المؤمنین عائشہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ہمراہ حجتہ الوداع میں احرام باندھا، میں ان لوگوں میں شامل تھی جنہوں نے (حج) تمتع (کا ارادہ) کیا تھا اور قربانی کا جانور اپنے ہمراہ نہ لائے تھے۔ پھر انھوں نے کہا کہ وہ حائضہ ہو گئیں اور شب عرفہ تک پاک نہ ہوئیں، تب انھوں نے عرض کی کہ یا رسول اللہ! یہ عرفہ کے دن کی رات ہے اور میں نے عمرہ کے ساتھ تمتع کیا تھا تو رسول اللہ نے ان سے فرمایا: تم اپنا سر (احرام) کھول دو اور کنگھی کرو اور اپنے عمرہ سے رکی رہو (اور حج کر لو)۔ چنانچہ میں نے (ایسا ہی) کیا پس جب میں حج کر چکی تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے عبدالرحمن (بن ابی بکر رضی اللہ عنہ) کو حصبہ کی رات میں حکم دیا اور وہ میرے اس عمرہ کے بدلے جس کا میں نے احرام باندھا تھا، لیکن کیا نہیں تھا، مجھے تنعیم سے عمرہ کروا لائے۔

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