مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر

مختصر صحيح بخاري
  حج کے بیان میں  
हज के बारे में
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1
“ हज्ज के वाजिब होने और उसकी फ़ज़ीलत के बारे में ”
1 769
2
“ अल्लाह तआला ने ( सूरत अल-हज्ज में ) कहा कि " लोग अपने लाभ प्राप्त करने के लिए, दूर-दूर से, पैदल और दुबले ऊंटों पर आपके पास आएंगे "
1 770
3
“ सवारी पर सवार होकर हज्ज पर जाना सुन्नत है ”
1 771
4
“ हज्ज मबरूर की फ़ज़ीलत ”
2 772 سے 773
5
“ यमन वाले एहराम कहाँ से बाँधें ? ”
1 774
6
“ ज़ुल-हुलैफ़ा के मैदान में नमाज़ पढ़ना ”
1 775
7
“ रसूल अल्लाह ﷺ शजरा के रस्ते से हज्ज के लिए गए थे ”
1 776
8
“ रसूल अल्लाह ﷺ ने कहा कि अक़ीक़ नामक घाटी एक मुबारक घाटी है ”
2 777 سے 778
9
“ यदि कपड़ों पर ख़ुश्बू लगी हो तो एहराम पहनने से पहले उन्हें तीन बार धोना चाहिए ”
1 779
10
“ एहराम बाँधते समय ख़ुश्बू कैसे लगाएं ? और जब वह एहराम पहनना चाहे, तो उसे क्या पहनना चाहिए ? ”
1 780
11
“ जिसने बालों को जमाकर एहराम बँधा ”
1 781
12
“ मस्जिद ज़ुल-हुलैफ़ा के पास ( एहराम बँधाकर ) लब्बेक पुकारना सुन्नत है ”
1 782
13
“ हज्ज में ( अकेले ) या किसी के साथ सवारी करना ”
1 783
14
“ महरम को किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए ? ”
1 784
15
“ तल्बिया यानि लब्बेक कैसे कहते हैं ? ”
1 785
16
“ लब्बेक कहने से पहले सवारी करते समय तहमीद और तस्बीह और तकबीर कहना मसनून है ”
1 786
17
“ क़िबले की ओर मुंह करके एहराम बाँधना मसनून है ”
1 787
18
“ घाटी में उतरते समय तलबिया कहना ”
1 788
19
“ जिस ने नबी करीम ﷺ के समय में नबी करीम ﷺ की तरह एहराम बाँधा ”
1 789
20
“ अल्लाह तआला ने फ़रमाया ( सूरह अल-बक़रह में ) " हज्ज के कुछ महीने हैं "
1 790
21
“ हज्ज तमत्तअ, क़िरान और मुफ़रद के बारे में और जिसके पास क़ुर्बानी का जानवर नहीं है, उसके लिए हज्ज रद्द करना और उमराह करना ठीक है ”
7 791 سے 797
22
“ रसूल अल्लाह के समय में हज्ज तमत्तअ किया गया था ”
1 798
23
“ मक्का में किस जगह से प्रवेश करना सुन्नत है ? ”
1 799
24
“ मक्का और उसकी इमारतों की फ़ज़ीलत ”
2 800 سے 801
25
“ मक्का के घरों में विरासत और घरों को बेचना और ख़रीदना ठीक है और मस्जिद अल-हराम में लोगों का बराबर का अधिकार है ”
1 802
26
“ यह साबित है कि नबी ﷺ मक्का में उतरे थे ”
1 803
27
“ कअबा गिरा दिया जाएगा ”
1 804
28
“ अल्लाह तआला ने फ़रमाया ( सूरह अल-माइदाह में ) " अल्लाह ने कअबा ( यानि ) पवित्र घर को लोगों के लिए एक केंद्र बनाया और पवित्र महीने को भी ”
2 805 سے 806
29
“ कअबा को तोड़ने पर रोक ”
1 807
30
“ हजर अस्वद के बारे में क्या बताया गया है ? ”
1 808
31
“ जो हज्ज के दौरान काअबे के अंदर नहीं गया ”
1 809
32
“ जिस ने काबा के चारों ओर तकबीर कही ”
1 810
33
“ तवाफ़ में रमल की शरुआत कैसे हुई ? ”
1 811
34
“ मक्का में आने के बाद पहले तवाफ़ में हजर अस्वद को चूमना और तीन चक्करों में रमल करना मसनून है ”
1 812
35
“ हज्ज और उमरा दोनों में रमल करना ”
2 813 سے 814
36
“ हजर अस्वद को लाठी से चूमना ”
1 815
37
“ हजर अस्वद को चूमना मसनून है ”
1 816
38
“ अपने घर जाने से पहले मक्का आने पर कअबा का तवाफ़ करना ”
2 817 سے 818
39
“ तवाफ़ में बोलना ठीक है ”
1 819
40
“ न तो नंगे होकर काअबे का तवाफ़ करना चाहिए और न ही किसी मुशरिक को हज्ज करना चाहिए ”
1 820
41
“ एक व्यक्ति जिसने पहला तवाफ़ यानी तवाफ़ क़दूम किया, फिर कअबा के पास नहीं गया और दोबारा तवाफ़ नहीं किया यहां तक की अराफ़ात पहुंच गया ”
1 821
42
“ हाजियों को पानी पिलाना ”
3 822 سے 824
43
“ सफ़ा और मरवा के बीच सई करना वाजिब है ”
1 825
44
“ सफ़ा और मरवा के बीच सई करने के बारे में क्या कहा गया है ? ”
1 826
45
“ जिस महिला को माहवारी हो उसको कअबे का तवाफ़ छोड़कर हज्ज के सभी काम करना चाहिए ”
1 827
46
“ 8 ज़ुल-हिज्जा के दिन ज़ुहर की नमाज़ कहाँ पढ़ी जाए ? ”
1 828
47
“ क्या अरफ़ात के दिन ( 9 ज़ुल-हिज्जा ) को रोज़ा रखना ज़रूरी है या नहीं ? ”
1 829
48
“ अरफ़ात के दिन ( निमरा से ठहरने की जगह ) दोपहर में जाना ”
1 830
49
“ अरफ़ात में ठहरने के लिए जल्दी जाना चाहिए ”
1 830
50
“ अरफ़ात में ठहरना चाहिए न कि मुज़्दलिफ़ह में ”
1 831
51
“ अरफ़ात से रवाना होने के बारे में ”
1 832
52
“ अराफ़ात से लौटने पर, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सुकून से चलने का हुक्म देना और चाबुक से इशारा करना ”
1 833
53
“ महिलाओं और बच्चों को रात में मुज़्दलिफ़ा में रहने और नमाज़ पढ़ने और चांद डूबने के बाद जाने की अनुमति ”
2 834 سے 835
54
“ मुज़्दलिफ़ा में फ़ज्र की नमाज़ किस समय पढ़ी जानी चाहिए ? ”
1 836
55
“ मुज़्दलिफ़ा से किस समय रवाना होना चाहिए ? ”
1 837
56
“ क़ुर्बानी के जानवर ( ऊंट आदि ) की सवारी ठीक है ”
1 838
57
“ क़ुर्बानी का जानवर साथ ले जाने वाला ”
1 839
58
“ ज़ुल-हुलैफ़ा पहुंच कर क़ुर्बानी के गले में माला पहनाना और एक छोटा सा घाव लगाकर जानवर का ख़ून निकलना फिर एहराम बांधना ”
1 840
59
“ जानवर के गले में अपने हाथ से माला पहनाना ”
1 841
60
“ क़ुर्बानी की बकरियों को माला पहनाना मसनून है ”
1 842
61
“ रुई की बनी हुई माला के बारे में ”
1 843
62
“ क़ुर्बानी के जानवरों को पहनाए गए कम्बलों और उनकी खालों को दान करदेना ”
1 844
63
“ बिना उनकी अनुमति के अपनी महिलाओं की ओर से कुर्बानी करना ठीक है ”
1 845
64
“ मिना में उस जगह पर क़ुर्बानी करना जहाँ रसूल अल्लाह ﷺ ने की थी, अफ़ज़ल है ”
1 846
65
“ ऊंट का पैर बांधकर नहर ( क़ुर्बानी ) करना ”
1 847
66
“ मांस या खाल जैसी कोई भी चीज़ क़साई को मज़दूरी के रूप में न दे ”
1 848
67
“ क़ुर्बानी के जानवर में से क्या खाना चाहिए और दान में क्या देना चाहिए ”
1 849
68
“ एहराम खोलते समय बाल मुंडवा लें या कटवा लें ”
4 850 سے 853
69
“ शैतान को कंकरियां मरना यानि रमी करना ज़रूरी है ”
1 854
70
“ घाटी के तल से कंकरियां मारना ”
1 855
71
“ सारे शैतानों को सात सात कंकरियां मरना ”
1 856
72
“ दोनों शैतानों की रमी करते समय क़िब्ले की और मुंह करके चिकनी नरम ज़मीन पर खड़ा होना चाहिए ”
1 857
73
“ तवाफ़ विदाअ का बयान ”
2 858 سے 859
74
“ यदि किसी महिला को तवाफ़ अफ़ज़ा के बाद माहवारी शरू होजाए ”
1 860
75
“ मुहस्सब में उतरने का बयान ”
1 861
76
“ ज़ी-तवा में मक्का में प्रवेश करने से पहले जो मक्का से सटा हुआ है और मक्का से मदीना लौटते समय पथरीले मैदान ( बतहा ) ​​में ठहरना जो कि ज़ुल-हुलैफ़ा में है ”
1 862

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