حج کے بیان میں हज के बारे में 1. حج کے واجب ہونے اور اس کی فضیلت کا بیان۔ 1. “ हज्ज के वाजिब होने और उसकी फ़ज़ीलत के बारे में ” 2. اللہ تعالیٰ کا (سورۃ الحج میں) فرمانا کہ ”لوگ تمہارے پاس پیادہ پا اور دبلے اونٹوں پر سوار ہو کر آئیں گے، دور دراز راہوں سے اس لیے کہ اپنے فوائد حاصل کریں۔“۔ 2. “ अल्लाह तआला ने ( सूरत अल-हज्ज में ) कहा कि " लोग अपने लाभ प्राप्त करने के लिए, दूर-दूर से, पैदल और दुबले ऊंटों पर आपके पास आएंगे " 3. سواری پر سوار ہو کر حج کے لیے جانا مسنون ہے۔ 3. “ सवारी पर सवार होकर हज्ज पर जाना सुन्नत है ” 4. حج مبرور کی فضیلت کا بیان۔ 4. “ हज्ज मबरूर की फ़ज़ीलत ” 5. یمن والے احرام کہاں سے باندھیں؟ 5. “ यमन वाले एहराम कहाँ से बाँधें ? ” 6. ((باب)) 6. “ ज़ुल-हुलैफ़ा के मैदान में नमाज़ पढ़ना ” 7. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا شجرہ کے راستے سے حج کے لیے جانا ثابت ہے۔ 7. “ रसूल अल्लाह ﷺ शजरा के रस्ते से हज्ज के लिए गए थे ” 8. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا فرمانا کہ عقیق نامی وادی ایک مبارک وادی ہے۔ 8. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने कहा कि अक़ीक़ नामक घाटी एक मुबारक घाटी है ” 9. اگر کپڑوں میں خوشبو لگی ہوئی ہو تو احرام باندھنے سے پہلے ان کو تین مرتبہ دھونا چاہیے۔ 9. “ यदि कपड़ों पर ख़ुश्बू लगी हो तो एहराम पहनने से पहले उन्हें तीन बार धोना चाहिए ” 10. احرام باندھنے کے وقت خوشبو لگانا کیسا ہے؟ اور جب احرام باندھنے کا ارادہ کرے تو کیا پہنے؟ 10. “ एहराम बाँधते समय ख़ुश्बू कैसे लगाएं ? और जब वह एहराम पहनना चाहे, तो उसे क्या पहनना चाहिए ? ” 11. جس نے بالوں کو جما کر احرام باندھا۔ 11. “ जिसने बालों को जमाकर एहराम बँधा ” 12. مسجد ذوالحلیفہ کے پاس (احرام باندھ کر) لبیک پکارنا منسون ہے۔ 12. “ मस्जिद ज़ुल-हुलैफ़ा के पास ( एहराम बँधाकर ) लब्बेक पुकारना सुन्नत है ” 13. حج میں (تنہا) یا کسی کے ساتھ سوار ہونا۔ 13. “ हज्ज में ( अकेले ) या किसी के साथ सवारी करना ” 14. محرم کس قسم کے کپڑے اور چادر اور تہہ بند پہنے؟ 14. “ महरम को किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए ? ” 15. تلبیہ یعنی لبیک کس طرح کہتے ہیں؟ 15. “ तल्बिया यानि लब्बेक कैसे कहते हैं ? ” 16. لبیک کہنے سے پہلے سواری پر سوار ہوتے وقت تحمید اور تسبیح اور تکبیر کہنا مسنون ہے۔ 16. “ लब्बेक कहने से पहले सवारी करते समय तहमीद और तस्बीह और तकबीर कहना मसनून है ” 17. قبلہ رو ہو کے احرام باندھنا مسنون ہے۔ 17. “ क़िबले की ओर मुंह करके एहराम बाँधना मसनून है ” 18. وادی میں اترتے ہوئے تلبیہ کہنا۔ 18. “ घाटी में उतरते समय तलबिया कहना ” 19. جس شخص نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے عہد میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے مثل احرام باندھا۔ 19. “ जिस ने नबी करीम ﷺ के समय में नबी करीम ﷺ की तरह एहराम बाँधा ” 20. اللہ تعالیٰ کا (سورۃ البقرہ میں یہ) فرمانا کہ ”حج کے چند معین مہینے ہیں“۔ 20. “ अल्लाह तआला ने फ़रमाया ( सूरह अल-बक़रह में ) " हज्ज के कुछ महीने हैं " 21. تمتع، قران اور حج مفرد کا بیان اور جس کے پاس قربانی نہ ہو اسے حج فسخ کر کے عمرہ بنا دینے کی اجازت ہے۔ 21. “ हज्ज तमत्तअ, क़िरान और मुफ़रद के बारे में और जिसके पास क़ुर्बानी का जानवर नहीं है, उसके लिए हज्ज रद्द करना और उमराह करना ठीक है ” 22. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے عہد میں تمتع کا ہونا ثابت ہے۔ 22. “ रसूल अल्लाह के समय में हज्ज तमत्तअ किया गया था ” 23. مکہ میں کس مقام سے داخل ہونا مسنون ہے؟ 23. “ मक्का में किस जगह से प्रवेश करना सुन्नत है ? ” 24. مکہ اور اس کی عمارتوں کی فضیلت۔ 24. “ मक्का और उसकी इमारतों की फ़ज़ीलत ” 25. مکہ کے گھروں میں وارثت جاری ہونا اور ان کی خریدوفروخت درست ہے اور لوگ مسجدالحرام میں برابر کا حق رکھتے ہیں۔ 25. “ मक्का के घरों में विरासत और घरों को बेचना और ख़रीदना ठीक है और मस्जिद अल-हराम में लोगों का बराबर का अधिकार है ” 26. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا مکہ میں اترنا ثابت ہے۔ 26. “ यह साबित है कि नबी ﷺ मक्का में उतरे थे ” 27. کعبہ کا منہدم ہونا۔ 27. “ कअबा गिरा दिया जाएगा ” 28. اللہ تعالیٰ کا (سورۃ المائدہ میں یہ) فرمانا کہ ”اللہ نے کعبے، حرمت والے گھر کو لوگوں کے لیے مرکز بنایا اور حرمت والے مہینے کو بھی ....“۔ 28. “ अल्लाह तआला ने फ़रमाया ( सूरह अल-माइदाह में ) " अल्लाह ने कअबा ( यानि ) पवित्र घर को लोगों के लिए एक केंद्र बनाया और पवित्र महीने को भी ” 29. کعبہ کے گرانے کی ممانعت کا بیان۔ 29. “ कअबा को तोड़ने पर रोक ” 30. حجراسود کے بارے میں کیا بیان کیا گیا ہے؟ 30. “ हजर अस्वद के बारे में क्या बताया गया है ? ” 31. جو شخص حج کے دوران کعبہ کے اندر نہیں گیا۔ 31. “ जो हज्ज के दौरान काअबे के अंदर नहीं गया ” 32. جس شخص نے کعبہ کے گرد تکبیر کہی۔ 32. “ जिस ने काबा के चारों ओर तकबीर कही ” 33. رمل کی ابتداء طواف میں کس طرح ہوئی؟ 33. “ तवाफ़ में रमल की शरुआत कैसे हुई ? ” 34. مکہ آ کر پہلے طواف میں حجراسود کو بوسہ دینا اور تین چکروں میں رمل کرنا مسنون ہے۔ 34. “ मक्का में आने के बाद पहले तवाफ़ में हजर अस्वद को चूमना और तीन चक्करों में रमल करना मसनून है ” 35. حج و عمرہ دونوں میں رمل کرنا۔ 35. “ हज्ज और उमरा दोनों में रमल करना ” 36. حجراسود کو لاٹھی سے بوسہ دینا۔ 36. “ हजर अस्वद को लाठी से चूमना ” 37. حجراسود کو بوسہ دینا مسنون ہے۔ 37. “ हजर अस्वद को चूमना मसनून है ” 38. جس شخص نے مکہ میں آتے ہی کعبہ کا طواف کیا قبل اس کے کہ اپنے مکان میں جائے۔ 38. “ अपने घर जाने से पहले मक्का आने पर कअबा का तवाफ़ करना ” 39. حالت طواف میں کلام کرنا درست ہے۔ 39. “ तवाफ़ में बोलना ठीक है ” 40. کوئی شخص برہنہ ہو کر کعبہ کا طواف نہ کرے اور نہ ہی کوئی مشرک حج کرے۔ 40. “ न तो नंगे होकर काअबे का तवाफ़ करना चाहिए और न ही किसी मुशरिक को हज्ज करना चाहिए ” 41. جو شخص پہلا طواف یعنی طواف قدوم کر کے پھر کعبہ کے قریب نہ گیا اور اس نے دوبارہ طواف نہ کیا یہاں تک کہ عرفات تک ہو آیا۔ 41. “ एक व्यक्ति जिसने पहला तवाफ़ यानी तवाफ़ क़दूम किया, फिर कअबा के पास नहीं गया और दोबारा तवाफ़ नहीं किया यहां तक की अराफ़ात पहुंच गया ” 42. حاجیوں کو پانی پلانا۔ 42. “ हाजियों को पानी पिलाना ” 43. صفا مروہ (کے درمیان سعی) کا واجب ہونا۔ 43. “ सफ़ा और मरवा के बीच सई करना वाजिब है ” 44. صفا و مروہ کے درمیان سعی کرنے کے بارے میں کیا وارد ہوا ہے؟ 44. “ सफ़ा और मरवा के बीच सई करने के बारे में क्या कहा गया है ? ” 45. حائضہ عورت کو چاہیے کہ وہ تمام افعال حج ادا کرے سوائے طواف کعبہ کے۔ 45. “ जिस महिला को माहवारी हो उसको कअबे का तवाफ़ छोड़कर हज्ज के सभी काम करना चाहिए ” 46. آٹھویں ذوالحجہ کے دن ظہر کی نماز کہاں پڑھے؟ 46. “ 8 ज़ुल-हिज्जा के दिन ज़ुहर की नमाज़ कहाँ पढ़ी जाए ? ” 47. عرفہ (نویں ذوالحجہ) کے دن کا روزہ رکھنا ضروری ہے یا نہیں؟ 47. “ क्या अरफ़ात के दिन ( 9 ज़ुल-हिज्जा ) को रोज़ा रखना ज़रूरी है या नहीं ? ” 48. عرفہ کے دن (مقام نمرہ سے موقف کی طرف) دوپہر کے وقت جانا۔ 48. “ अरफ़ात के दिन ( निमरा से ठहरने की जगह ) दोपहर में जाना ” 49. عرفات میں ٹھہرنے کے لیے جلدی جانا۔ 49. “ अरफ़ात में ठहरने के लिए जल्दी जाना चाहिए ” 50. عرفات میں ٹھہرنا چاہیے نہ کہ مزدلفہ میں۔ 50. “ अरफ़ात में ठहरना चाहिए न कि मुज़्दलिफ़ह में ” 51. عرفات سے روانہ ہونے کا بیان۔ 51. “ अरफ़ात से रवाना होने के बारे में ” 52. عرفات سے واپسی پر نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا سکون و اطمینان سے چلنے کا حکم دینا اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا کوڑے سے اشارہ فرمانا۔ 52. “ अराफ़ात से लौटने पर, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सुकून से चलने का हुक्म देना और चाबुक से इशारा करना ” 53. جس شخص نے عورتوں اور بچوں کو رات کے وقت روانہ کر دیا تاکہ وہ مزدلفہ میں ٹھہریں اور دعا کریں اور چاند ڈوبتے ہی چل دیں۔ 53. “ महिलाओं और बच्चों को रात में मुज़्दलिफ़ा में रहने और नमाज़ पढ़ने और चांद डूबने के बाद जाने की अनुमति ” 54. مزدلفہ میں فجر کس وقت پڑھے؟ 54. “ मुज़्दलिफ़ा में फ़ज्र की नमाज़ किस समय पढ़ी जानी चाहिए ? ” 55. مزدلفہ سے کس وقت کوچ کرے؟ 55. “ मुज़्दलिफ़ा से किस समय रवाना होना चाहिए ? ” 56. قربانی کے جانور (اونٹ وغیرہ) پر سوار ہونا جائز ہے۔ 56. “ क़ुर्बानी के जानवर ( ऊंट आदि ) की सवारी ठीक है ” 57. جو شخص اپنے ساتھ قربانی کا جانور لے کر چلے۔ 57. “ क़ुर्बानी का जानवर साथ ले जाने वाला ” 58. جس شخص نے ذی الحلیفہ پہنچ کر قربانی کے گلے میں ہار ڈالا اور جانور کو تھوڑا سا زخم لگا کر خون نکال دیا اس کے بعد احرام باندھا۔ 58. “ ज़ुल-हुलैफ़ा पहुंच कर क़ुर्बानी के गले में माला पहनाना और एक छोटा सा घाव लगाकर जानवर का ख़ून निकलना फिर एहराम बांधना ” 59. جس نے اپنے ہاتھ سے قلادہ پہنایا۔ 59. “ जानवर के गले में अपने हाथ से माला पहनाना ” 60. (بیت اللہ میں قربانی کے لیے) قربانی کی بکریوں کو ہار پہنانا مسنون ہے۔ 60. “ क़ुर्बानी की बकरियों को माला पहनाना मसनून है ” 61. روئی کے بنے ہوئے ہار کا بیان۔ 61. “ रुई की बनी हुई माला के बारे में ” 62. قربانی کے جانوروں کو جھول پہنانا اور ان کا صدقہ کر دینا۔ 62. “ क़ुर्बानी के जानवरों को पहनाए गए कम्बलों और उनकी खालों को दान करदेना ” 63. اپنی عورتوں کی طرف سے ان کی اجازت کے بغیر قربانی کر دینا درست ہے۔ 63. “ बिना उनकी अनुमति के अपनी महिलाओं की ओर से कुर्बानी करना ठीक है ” 64. منیٰ میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے قربانی کے مقام پر قربانی کرنا افضل ہے۔ 64. “ मिना में उस जगह पर क़ुर्बानी करना जहाँ रसूल अल्लाह ﷺ ने की थी, अफ़ज़ल है ” 65. اونٹ کا پیر باندھ کر نحر (قربانی) کرنا۔ 65. “ ऊंट का पैर बांधकर नहर ( क़ुर्बानी ) करना ” 66. قصاب کی اجرت میں قربانی کی کوئی چیز گوشت یا کھال وغیرہ نہ دے۔ 66. “ मांस या खाल जैसी कोई भी चीज़ क़साई को मज़दूरी के रूप में न दे ” 67. قربانی کے جانور میں سے کیا کھائے اور کیا صدقہ کرے۔ 67. “ क़ुर्बानी के जानवर में से क्या खाना चाहिए और दान में क्या देना चाहिए ” 68. احرام کھولتے وقت بالوں کا منڈوا لینا یا کتروا لینا۔ 68. “ एहराम खोलते समय बाल मुंडवा लें या कटवा लें ” 69. جمروں کو کنکریاں مارنا یعنی رمی کرنا ضروری ہے۔ 69. “ शैतान को कंकरियां मरना यानि रमी करना ज़रूरी है ” 70. وادی کے نشیب سے جمروں کو کنکریاں مارنا۔ 70. “ घाटी के तल से कंकरियां मारना ” 71. تمام جمروں کو سات سات کنکریاں مارنا۔ 71. “ सारे शैतानों को सात सात कंकरियां मरना ” 72. جب دونوں جمروں کی رمی کرے تو چاہیے کہ قبلہ رو ہو کر نرم ہموار زمین پر کھڑا ہو۔ 72. “ दोनों शैतानों की रमी करते समय क़िब्ले की और मुंह करके चिकनी नरम ज़मीन पर खड़ा होना चाहिए ” 73. طواف وداع کا بیان۔ 73. “ तवाफ़ विदाअ का बयान ” 74. جب کسی عورت کو طواف افاضہ کرنے کے بعد حیض آ جائے۔ 74. “ यदि किसी महिला को तवाफ़ अफ़ज़ा के बाद माहवारी शरू होजाए ” 75. مقام محصب میں اترنے کا بیان۔ 75. “ मुहस्सब में उतरने का बयान ” 76. مکہ میں داخل ہونے سے پہلے (مقام) ذی طویٰ میں جو کہ مکہ کے ساتھ متصل ہے اور مکہ سے مدینہ لوٹتے وقت اس کنکریلے میدان (بطحاء) میں ٹھہرنا جو ذوالحلیفہ میں ہے۔ 76. “ ज़ी-तवा में मक्का में प्रवेश करने से पहले जो मक्का से सटा हुआ है और मक्का से मदीना लौटते समय पथरीले मैदान ( बतहा ) में ठहरना जो कि ज़ुल-हुलैफ़ा में है ” |
مختصر صحيح بخاري
حج کے بیان میں हज के बारे में اللہ تعالیٰ کا (سورۃ المائدہ میں یہ) فرمانا کہ ”اللہ نے کعبے، حرمت والے گھر کو لوگوں کے لیے مرکز بنایا اور حرمت والے مہینے کو بھی ....“۔ “ अल्लाह तआला ने फ़रमाया ( सूरह अल-माइदाह में ) " अल्लाह ने कअबा ( यानि ) पवित्र घर को लोगों के लिए एक केंद्र बनाया और पवित्र महीने को भी ”
ام المؤمنین عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں کہ (ہم) رمضان کے روزے فرض ہونے سے پہلے عاشورے کا روزہ رکھا کرتے تھے اور وہ ایک ایسا دن تھا کہ اس میں کعبہ پر غلاف بھی ڈالا جاتا تھا پھر جب اللہ تعالیٰ نے رمضان کو فرض فرمایا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”(اب) جو شخص عاشورے کا روزہ رکھنا چاہے رکھ لے اور جو نہ رکھنا چاہے وہ نہ رکھے۔“
سیدنا ابو سعید خدری رضی اللہ عنہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے روایت کرتے ہیں کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”یاجوج ماجوج کے خروج کے بعد بھی کعبہ کا حج و عمرہ کیا جائے گا۔“
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