”اللہ کے نام سے جو رحمان و رحیم ہے، اے نبی ( صلی اللہ علیہ وسلم )! کہہ دیجئے اللہ ایک ہی ہے، اللہ بے نیاز ہے، نہ اس نے کسی کو جنا نہ اس سے کوئی جنا گیا، اور کوئی اس کا ہمسر نہیں۔“، ”اللہ کے نام سے جو رحمان و رحیم ہے، اے نبی ( صلی اللہ علیہ وسلم )! کہہ دیجئے کہ رب کی پناہ میں آتا ہوں، ہر اس چیز کے شر سے جو اس نے پیدا کی، اور اندھیری رات کی تاریکی کے شر سے جب وہ چھا جائے، اور گرہوں میں پھونک مارنے والیوں کے شر سے، اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرنے لگے۔“، ”اللہ کے نام سے جو رحمان و رحیم ہے، اے نبی ( صلی اللہ علیہ وسلم )! کہہ دیجئے میں لوگوں کے رب کی پناہ میں آتا ہوں، لوگوں کے مالک کی، لوگوں کے معبود کی، وسوسہ ڈالنے والے پیچھے ہٹ جانے والے (شیطان) کے شر سے، جو لوگوں کے سینوں میں وسوسہ ڈالتا ہے، جنوں میں سے ہو یا انسانوں میں سے۔“
“अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है, ऐ नबी (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) ! कह दीजिए अल्लाह एक ही है, अल्लाह बे परवाह है, न उस ने किसी को जना न उस से कोई जना गया, और कोई उस के जैसा नहीं ।” [सूरत अलइख़्लास] “अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है, ऐ नबी (सल-अल्लाहु अलैहि वसल्लम) ! कह दीजिए कि रब की शरण में आता हूँ, हर उस चीज़ की बुराई से जो उस ने पैदा की, और अँधेरी रात के अंधकार की बुराई से जब वह छा जाए, और गाँठों पे फूंक मारने वालियों की बुराई से, और हसद (जलन) करने वाले की बुराई से जब वह हसद (जलन) करने लगे ।” [सूरत अलफ़लक़] “अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है, ऐ नबी (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ! कह दीजिए मैं लोगों के रब की शरण में आता हूँ, लोगों के मालिक की, लोगों के ईश्वर की, वस्वसा (वहम) डालने वाले पीछे हट जाने वाले (शैतान) की बुराई से, जो लोगों के सीनों में वस्वसा (वहम) डालता है, जिन्नों में से हो या इंसानों में से ।” [सूरत अन-नास]