مسنون اذکار اور قرآن مجید کی تلاوت: نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اپنے گھروں کو قبرستان نہ بناؤ کیونکہ شیطان اس گھر سے بھا گتا ہے جس میں سورہ بقرہ کی تلاوت کی جائے۔“[صحيح مسلم: 780] مندرجہ ذیل امور کے اہتمام سے شیطان بھاگتا ہے: صبح و شام کے اذکار، سونے اور جاگنے کی دعائیں، گھر میں داخل ہونے اور نکلنے کی دعائیں، مسجد میں داخل ہونے اور نکلنے کی دعائیں، سوتے وقت آیت الکرسی اور سورہ بقرہ کی آخری دو آیات، اس کے علاوہ دیگر مسنون اذکار اسی طرح جس شخص نے سو مرتبہ یہ کلمات کہے: «لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ، لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ، وَلَهُ الْحَمْدُ، وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ»”اللہ کے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں وہ اکیلا ہے، اس کا کوئی شریک نہیں، اسی کے لئے بادشاہت ہے اور اسی کے لئے تمام تعریفات، اور وہ ہر چیز پر قادر ہے۔“ وہ سارادن شیطان کے شر سے محفوظ رہتا ہے۔ اذان کی آواز سن کر بھی شیطان بھاگ جاتا ہے۔ [صحيح بخاري: 3293، صحيح مسلم: 2291]
मसनून दुआएं और क़ुरान मजीद की तिलावत: नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “अपने घरों को क़ब्रिस्तान न बनाओ क्यूंकि शैतान इस घर से भागता है जिस में सूरत अलबक़रह की तिलावत की जाए ।” [सहीह मुस्लिम: 780] नीचे लिखे मामलों के करने से शैतान भागता है: सुबह और शाम की दुआएं, सोने और जागने की दुआएं, घर के अंदर जाने और बाहर निकलने की दुआएं, मस्जिद के अंदर जाने और बाहर निकलने की दुआएं, सोते समय आयत अल्कुरसी और सूरत अलबक़रह की आख़िरी दो आयात, इस के सिवा और अन्य मसनून दुआएं इसी तरह जिस व्यक्ति ने सौ (100) मर्तबा ये शब्द कहे: « لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ, لَا شَرِيكَ لَهُ, لَهُ الْمُلْكُ, وَلَهُ الْحَمْدُ, وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ » “अल्लाह के सिवा कोई सच्चा ईश्वर नहीं वह अकेला है, उस का कोई साझी नहीं, उसी के लिए बादशाहत है और उसी के लिए सारी ताअरीफ़ें, और वह हर चीज़ पर नियंत्रण रखता है ।” वह सारा दिन शैतान की बुराई से सुरक्षित रहता है । अज़ान की आवाज़ सुन कर भी शैतान भाग जाता है । [सहीह बुख़ारी: 3293, सहीह मुस्लिम: 2291]