”اے اللہ! میں نے اپنی جان کو تیرا فرمانبردار بنا لیا، اپنا کام تیرے سپرد کر دیا، اپنا چہرہ تیری طرف متوجہ کر لیا، اپنی کمر تیرے لئے جھکا دی، تیری طرف رغبت کرتے ہوئے اور تجھ سے ڈرتے ہوئے، نہ تجھ سے بھاگ کر جانے کی کوئی پناہ ہے نہ راہ نجات ہے مگر تیری طرف ہی، میں تیری اس کتاب پر ایمان لایا جسے تو نے نازل کیا اور تیرے اس نبی پر ایمان لایا جسے تو نے بھیجا۔“ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اگر کوئی شخص یہ کلمات پڑھنے کے بعد فوت ہو گیا تو وہ فطرت پر فوت ہو گا۔“[صحيح بخاري: 6313، صحيح مسلم: 2710] اور یہ لفظ بخاری کے ہیں۔
“ऐ अल्लाह ! मैं ने अपनी जान को तेरा आज्ञाकारी बना लिया, अपना काम तेरे हवाले कर दिया, अपना चेहरा तेरी ओर ही कर लिया, अपनी कमर तेरे लिए झुका दी, तेरी तरफ़ झुकाव करते हुए और तुझ से डरते हुए, न तुझ से भाग कर जाने का कोई स्थान है जहां शरण मिल जाए न बचने का कोई रास्ता है मगर तेरी ओर ही, मैं तेरी उस किताब पर ईमान लाया जिसे तू ने उतारा और तेरे उस नबी पर ईमान लाया जिसे तू ने भेजा ।” आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “अगर कोई व्यक्ति ये शब्द पढ़ने के बाद मर गया तो वह फ़ितरत (इस्लाम) पर मौत पा गया ।” [सहीह बुख़ारी: 6313, सहीह मुस्लिम: 2710] और ये लफ़्ज़ बुख़ारी के हैं ।