”اے اللہ! ساتوں آسمانوں اور زمینوں کے رب، اور عرش عظیم کے رب، ہمارے رب اور ہر چیز کے رب، اے دانے اور گٹھلی کو پھاڑنے والے، اور تورات، انجیل، اور قرآن کو نازل کرنے والے، میں ہر اس چیز کے شر سے تیری پناہ میں آتا ہوں جسے تو پیشانی کے بالوں سے پکڑے ہوئے ہے، اے اللہ! تو ہی اول ہے، تجھ سے پہلے کوئی چیز نہیں اور تو ہی آخر ہے تیرے بعد کوئی چیز نہیں، تو غالب ہے، تیرے اوپر کوئی چیز نہیں، تو ہی باطن ہے تجھ سے مخفی کوئی چیز نہیں، ہمارا قرض ادا فرما دے اور ہمیں محتاجی سے خوشحالی عطا فرما۔“[صحيح مسلم: 2713]
“ऐ अल्लाह ! सातों आसमानों और ज़मीनों के रब, और विशाल अर्श के रब, हमारे रब और हर चीज़ के रब, ऐ दाने और गुठली को फाड़ने वाले, और तोराह, इंजील, और क़ुरान को उतारने वाले, मैं हर उस चीज़ की बुराई से तेरी शरण में आता हूँ जिसे तू माथे के बालों से पकड़े हुए है, ऐ अल्लाह ! तू ही अव्वल (सबसे पहला) है, तुझ से पहले कोई चीज़ नहीं और तू ही आख़िर (सबसे अंतिम) है तेरे बाद कोई चीज़ नहीं, तू प्रमुख है, तेरे उपर कोई चीज़ नहीं, तू ही भीतर है तुझ से छुपी कोई चीज़ नहीं, हमारा क़र्ज़ा अदा कर दे और हमें कंगाली से ख़ुशहाली दे ।” [सहीह मुस्लिम: 2713]