اصبحنا واصبح الملك للٰه رب العالمين، اللٰهم إني اسالك خير هذا اليوم فتحه، ونصره، ونوره، وبركته، وهداه، واعوذ بك من شر ما فيه وشر ما بعده“ ”امسينا وامسى الملك للٰه رب العالمين، اللٰهم إني اسالك خير هذه الليلة فتحها، ونصرها، ونورها، وبركتها، وهداها، واعوذ بك من شر ما فيها وشر ما بعدها أَصْبَحْنَا وَأَصْبَحَ الْمُلْكُ لِلَٰهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ، اللَٰهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ خَيْرَ هَذَا الْيَوْمِ فَتْحَهُ، وَنَصْرَهُ، وَنُورَهُ، وَبَرَكَتَهُ، وَهُدَاهُ، وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ مَا فِيهِ وَشَرِّ مَا بَعْدَهُ“ ”أَمْسَيْنَا وَأَمْسَى الْمُلْكُ لِلَٰهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ، اللَٰهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ خَيْرَ هَذِهِ اللَّيْلَةِ فَتْحَهَا، وَنَصْرَهَا، وَنُورَهَا، وَبَرَكَتَهَا، وَهُدَاهَا، وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ مَا فِيهَا وَشَرِّ مَا بَعْدَهَا
”ہم نے صبح کی اور اللہ رب العالمین کے لئے (بادشاہت) نے بھی صبح کی، اے اللہ! میں تجھ سے اس دن کی بھلائی، فتح، نصرت، نور، برکت اور اس کی ہدایت کا سوال کرتا ہوں اور اس پر جو شر ہے اور اس کے بعد جو شر ہے اس سے تیری پناہ میں آتا ہوں۔“، ”ہم نے شام کی اور اللہ رب العالمین کے لئے کائنات نے شام کی، اے اللہ! میں تجھ سے اس رات کی بھلائی، فتح، نصرت، نور، برکت اور اس کی ہدایت کا سوال کرتا ہوں، اور اس کے شر سے اور اس کے بعد جو شر ہے اس سے تیری پناہ میں آتا ہوں۔“، جس شخص نے یہ کلمات صبح و شام تین مرتبہ کہے اللہ تعالیٰ پر واجب ہو جاتا ہے کہ قیامت کے دن اسے راضی کرے۔ [اسناده ضعيف، سنن ابي داؤد:5076]
“हम ने सुबह की और अल्लाह रब अलआलमीन के लिए सारे जगत ने भी सुबह की, ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से इस दिन की भलाई, विजय, सहायता, रोशनी, बरकत और इस के मार्गदर्शन का सवाल करता हूँ और इस पर जो बुराई है और इस के बाद जो बुराई है उस से तेरी शरण में आता हूँ ।”, “हम ने शाम की और अल्लाह रब अलआलमीन के लिए सारे जगत ने शाम की, ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से इस रात की भलाई, विजय, सहायता, रोशनी, बरकत और इस में मार्गदर्शन का सवाल करता हूँ, और इस की बुराई से और इस के बाद जो बुराई है उस से तेरी शरण में आता हूँ ।” जिस व्यक्ति ने ये शब्द सुबह और शाम तीन मर्तबा कहे अल्लाह तआला पर ज़रूरी हो जाता है कि क़यामत के दिन उसे ख़ुश करे । [असनादा ज़ईफ़, सुनन अबी दाऊद: 5076]