سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس کھجوریں کٹتے ہی آنے لگتیں، کبھی یہ شخص اپنی کھجوریں لیے آ رہا ہے کبھی وہ اپنی کھجوریں لیے آ رہا ہے۔ یہاں تک کہ کھجوروں کے انبار آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے سامنے لگ جاتے تھے۔ (ایک دن) حسن رضی اللہ عنہ اور حسین رضی اللہ عنہ ان کھجوروں کے ساتھ کھیلنے لگے۔ ان دونوں میں سے کسی نے ایک کھجور لے کر اپنے منہ میں رکھ لی تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی نظر اس پر پڑی اور (فوراً) وہ کھجور ان کے منہ سے نکال لی اور فرمایا: ”کیا تم نہیں جانتے کہ آل محمد صدقہ نہیں کھاتے۔“
हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास खजूरें कटते ही आने लगतीं, कभी यह व्यक्ति अपनी खजूरें लिए आरहा है कभी वह अपनी खजूरें लिए आरहा है। यहाँ तक कि खजूरों के ढेर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने लग जाते थे। (एक दिन) हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा उन खजूरों के साथ खेलने लगे। इन दोनों में से किसी ने एक खजूर लेकर अपने मुंह में रखली तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नज़र उस पर पड़ी और (तुरंत ही) वह खजूर उनके मुंह से निकाल ली और फ़रमाया ! “क्या तुम नहीं जानते कि आल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) सदक़ा नहीं खाते।”