مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر

مختصر صحيح بخاري
گرہن کے بیان میں
ग्रहण के बारे में
2. سورج گرہن میں صدقہ دینا۔
“ सूर्यग्रहण के समय सदक़ा करना ”
حدیث نمبر: 562
Save to word مکررات اعراب Hindi
ام المؤمنین عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے دور میں (ایک مرتبہ) سورج گرہن ہوا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے لوگوں کو نماز پڑھائی اور (نماز میں) بہت طویل قیام کیا۔ پھر رکوع کیا تو وہ بھی بہت طویل کیا۔ پھر (رکوع کے بعد) قیام کیا تو بہت طویل قیام کیا اور پہلے قیام سے کم تھا۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے طویل رکوع کیا اور پہلے رکوع سے کم تھا۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے سجدہ کیا اور بہت طویل سجدہ کیا۔ پھر دوسری رکعت میں بھی اسی کے مثل کیا جو پہلی رکعت میں کیا تھا اس کے بعد نماز مکمل کی اور اس وقت تک آفتاب صاف ہو چکا تھا۔ پھر لوگوں کے سامنے خطبہ دیا، اللہ کی حمد و ثنا بیان کی اور فرمایا: آفتاب اور ماہتاب اللہ کی نشانیوں میں سے دو نشانیاں ہیں، نہ کسی کے مرنے سے گرہن میں آتے ہیں اور نہ کسی کی زندگی سے۔ پس تم جب اسے دیکھو تو اللہ سے دعا کرو اور اس کی بڑائی بیان کرو اور نماز پڑھو اور صدقہ دو۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اے امت محمد! اللہ کی قسم! اللہ سے زیادہ کوئی اس بات کی غیرت نہیں رکھتا کہ اس کا غلام یا اس کی لونڈی زنا کرے۔ اے امت محمد! اللہ کی قسم! اگر تم لوگ ان باتوں کو جان لو جو میں جانتا ہوں تو تمہیں ہنسی بہت کم اور رونا بہت زیادہ آئے۔
उम्मुल मोमिनीन आयशा सिद्दीक़ा रज़ि अल्लाहु अन्हा कहती हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के समय में (एक दफ़ा) सूर्यग्रहण हुआ तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लोगों को नमाज़ पढ़ाई और (नमाज़ में) बहुत लम्बा क़याम किया। फिर रुकू किया तो वह भी बहुत लम्बा किया। फिर (रुकू के बाद) क़याम किया तो बहुत लम्बा क़याम किया और पहले क़याम से कम था। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लम्बा रुकू किया और पहले रुकू से कम था। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सज्दा किया और बहुत लम्बा सज्दा किया। फिर दूसरी रकअत में भी इसी के जैसा किया जो पहली रकअत में किया था इसके बाद नमाज़ पूरी की और उस समय तक सूर्य साफ़ हो चुका था। फिर लोगों के सामने ख़ुत्बा दिया, अल्लाह की तारीफ़ और बड़ाई बयान की और फ़रमाया ! “सूर्य और चाँद अल्लाह की निशानियों में से दो निशानियाँ हैं, न किसी के मरने से ग्रहण में आते हैं और न किसी के जीवन से। बस तुम जब इसे देखो तो अल्लाह से दुआ करो और उसकी बड़ाई बयान करो और नमाज़ पढ़ो और सदक़ा दो।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “ऐ मुहम्मद की उम्मत, अल्लाह की क़सम अल्लाह से अधिक कोई इस बात की ग़ैरत नहीं रखता कि उसका ग़ुलाम या उसकी लौंडी ज़िना करे। ऐ मुहम्मद की उम्मत, अल्लाह की क़सम, यदि तुम लोग उन बातों को जानलो जो मैं जानता हूँ तो तुम हँसोगे कम और रोओगे अधिक।”


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