سیدنا براء بن عازب رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے بیت المقدس کی طرف سولہ مہینے یا سترہ مہینے نماز پڑھی۔ (یہاں تک کہ اللہ تعالیٰ نے سورۃ البقرہ کی 142 سے 144 تک آیات اتار دیں) یہ حدیث پہلے گزر چکی ہے (دیکھئیے کتاب: ایمان کا بیان۔۔۔ باب: نماز (قائم کرنا) ایمان میں سے ہے۔۔۔) اور دونوں حدیثوں میں الفاظ مختلف ہیں۔
हज़रत बराअ बिन आज़िब रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बेत अल-मुक़ददस की ओर सोलह महीने या सतरा महीने नमाज़ पढ़ी। (यहाँ तक कि अल्लाह तआला ने सूरह अल-बक़रह की 142 से 144 तक आयतें उतार दीं) यह हदीस पहले गुज़र चुकी है (देखिए किताब, ईमान का बयान। बॉब, नमाज़ (की पाबंदी करना) ईमान में से है) और दोनों हदीसों में शब्द अलग हैं।