سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
اذان اور نماز
अज़ान और नमाज़
404. اگر نیند یا نسیاں کی وجہ سے نماز رہ جائے، جان بوجھ کر نماز ترک کرنے والا قضائی نہیں دے سکتا
“ यदि सो जाने या भूल जाने के कारण नमाज़ नहीं पढ़ी तो ...और जानबूझ कर छोड़ी हुई नमाज़ की क़ज़ाअ नहीं ”
حدیث نمبر: 612
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" ما تقولون؟ إن كان امر دنياكم فشانكم، وإن كان امر دينكم فإلي".-" ما تقولون؟ إن كان أمر دنياكم فشأنكم، وإن كان أمر دينكم فإلي".
سیدنا ابوقتادہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ سفر میں تھے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر تمہیں کل پانی نہ ملا تو پیاس غالب آ جائے گی۔ جلد باز لوگ پانی (کی تلاش) کے ارادے سے چل پڑے۔ میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ چمٹا رہا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی سواری ایک طرف جھکنے لگی اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو اونگھ آ گئی، میں نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو سہارا دیا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم سنبھل گئے۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم (اونگھ کی وجہ سے) جھکنے لگے، میں نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو سہارا دیا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم سنبھل گئے۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم اس قدر جھکے قریب تھا کہ سواری سے گر پڑیں، میں نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو سہارا دیا، اتنے میں آپ صلی اللہ علیہ وسلم بیدار ہو گئے اور پوچھا: یہ آدمی کون ہے؟ میں نے کہا: ابوقتادہ ہوں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: کب سے چل رہے ہو؟ میں نے کہا: رات سے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ تیری حفاظت کرے جس طرح کہ تو نے اس کے رسول کی حفاظت کی ہے۔ پھر فرمایا: اگر ہم سستا لیں (تو بہتر ہو گا)۔ پھر ایک درخت کی طرف مڑے اور وہیں اتر پڑے اور فرمایا: دیکھو، آیا کوئی آدمی نظر آ رہا ہے؟ میں نے کہا: یہ ایک سوار ہے، یہ دو سوار آ گئے ہیں، یہاں تک کہ کل سات افراد جمع ہو گئے۔ ہم نے کہا: ذرا نماز فجر کا خیال رکھنا، کہیں سو ہی نہ جائیں۔ (لیکن ہم سب سو گئے اور) سورج کی گرمی نے ہم کو جگایا، ہم بیدار ہوئے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم سوار ہو کر چل پڑے، ہم بھی آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ تھے، تھوڑے ہی چلے تھے کہ اتر پڑے اور پوچھا: کیا تمہارے پاس پانی ہے؟ میں نے کہا: جی ہاں، میرے پاس وضو کا برتن ہے، اس میں معمولی سا پانی ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: لے آؤ۔ میں لے آیا، پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: پانی لیجئے، پانی لیجئے۔ سب لوگوں نے وضو کر لیا اور لوٹے میں صرف ایک گھونٹ پانی باقی بچا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوقتادہ! اس پانی کو محفوظ کر لو، عنقریب اس کی بنا پر عظیم (معجزہ) رونما ہو گا۔ پھر سیدنا بلال رضی اللہ عنہ نے اذاں دی، لوگوں نے فجر سے پہلے والی دو سنتیں پڑھیں اور پھر نماز فجر ادا کی۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم سوار ہوئے اور ہم بھی۔ ہم آپس میں ایک دوسرے کو کہنے لگے کہ ہم سے نماز میں کمی واقع ہو گئی ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: کیا کہہ رہے ہو؟ اگر کوئی دنیوی بات ہے تو خود حل کر لو اور اگر دینی معاملہ ہے تو میری طرف لاؤ۔ ہم نے کہا: اے اللہ کے رسول! ہم نے نماز میں کمی کی ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: نیند (کی وجہ سے تاخیر ہونے سے) کوئی کوتاہی نہیں ہوتی، کوتاہی تو یہ ہے کہ جیتے جاگتے (نماز کو لیٹ کر دیا جائے)، اگر اس طرح ہو جائے (جس طرح کہ آج ہوا ہے تو) اسی وقت نماز پڑھ لیا کرو، اور دوسرے دن نماز اپنے وقت میں ادا کیا کرو۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے مزید فرمایا: قوم کے بارے میں اندازہ لگاؤ۔ انہوں نے کہا: آپ نے تو کل کہا: تھا کہ اگر کل پانی نہ ملا تو پیاس غالب آ جائے گی۔ اور ہمارے پاس تو پانی ہے۔ فرمایا: جب صبح ہوئی اور (بڑی جماعت کے) لوگوں نے اپنے نبی کو مفقود پایا تو کوئی کہنے لگا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کہیں پانی پر ہوں گے۔ ابوبکر اور عمر بھی موجود تھے، انہوں نے کہا: لوگو! یہ نہیں ہو سکتا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم پانی کی طرف تم سے سبقت لے جائیں اور تمہیں پیچھے چھوڑ جائیں اور اگر لوگ ابوبکر و عمر کی پیروی کر لیں تو وہ ہدایت پا جائیں گے۔ یہ کلمات تین دفعہ کہے۔ جب دن کی سخت گرمی شروع ہوئی اور لوگوں کو نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم بھی نظر آ گئے تو انہوں نے کہا: اے اللہ کے رسول! ہم پیاس کی وجہ سے ہلاک ہو رہے ہیں اور حلق پیاس کی وجہ سوکھ کر کانٹا بن گیا ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: آج تم پر کوئی ہلاکت نازل نہیں ہو گی۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوقتادہ! وضو کا برتن لاؤ (جس میں ایک گھونٹ پانی تھا)۔ میں لے آیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میرے پیالے کا ڈھکن اٹھاؤ۔ میں نے ڈھکن کھولا اور پیالہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس لے آیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم اس میں پانی بہاتے گئے اور لوگوں کو پلاتے گئے، لوگ بڑی تعداد میں اکھٹے ہو گئے۔ پھر رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: لوگو! اچھے انداز میں بھرو، ہر کوئی سیراب ہو کر لوٹے گا۔ میرے اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے علاوہ تمام لوگوں نے پانی پی لیا۔ بالآخر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے میرے لیے پانی انڈیلا اور فرمایا: ابوقتادہ! پیو۔ میں نے کہا: اے اللہ کے رسول! آپ پئیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم فرمایا: لوگوں کو پلانے والا آخر میں پیتا ہے۔ اس لیے میں نے اور پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پانی پیا اور وضودان میں اتنا پانی موجود تھا، جتنا کہ پہلے تھا۔ اس دن لشکر کی تعداد تین سو تھی۔
हज़रत अबु क़तादा रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि हम रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ एक यात्रा में थे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अगर तुम्हें कल पानी न मिला तो प्यास हावी हो जाएगी।” जल्द बाज़ लोग पानी (की तलाश) के इरादे से चल पड़े। मैं रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ चिमटा रहा। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सवारी एक तरफ़ झुकने लगी और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ऊंघ आगई, मैं ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सहारा दिया, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम संभल गए। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (ऊंघ के कारण) झुकने लगे, मैं ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सहारा दिया, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम संभल गए। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस हद तक झुके कि क़रीब था कि सवारी से गिर पड़ें, मैं ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सहारा दिया, इतने में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जाग गए और पूछा कि “ये आदमी कौन है ?” मैं ने कहा कि अबु क़तादा हूँ, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा कि “कब से चल रहे हो ?” मैं ने कहा कि रात से, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “अल्लाह तेरी सुरक्षा करे जिस तरह कि तू ने उसके रसूल की सुरक्षा की है।” फिर फ़रमाया कि “अगर हम सुस्ता लें (तो अच्छा होगा)।” फिर एक पेड़ की तरफ़ मुड़े और वहीं उतर पड़े और फ़रमाया कि “देखो, क्या कोई आदमी नज़र आ रहा है ?” मैं ने कहा कि ये एक सवार है, ये दो सवार आगए हैं, यहाँ तक कि सब मिलाकर सात लोग जमा होगए। हम ने कहा कि ज़रा फ़जर की नमाज़ का ध्यान रखना, कहीं सो ही न जाएं। (लेकिन हम सब सो गए और) सूर्य की गर्मी ने हम को जगाया, हम जागे और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सवार हो कर चल पड़े, हम भी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ थे, थोड़ा ही चले थे कि उतर पड़े और पूछा कि “क्या तुम्हारे पास पानी है ?” मैं ने कहा कि जी हाँ, मेरे पास वुज़ू का बर्तन है, उस में थोड़ा सा पानी है। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “ले आओ” मैं ले आया, फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “पानी लीजिए, पानी लीजिए” सब लोगों ने वुज़ू कर लिया और लोटे में केवल एक घूंट पानी बाक़ी बचा। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “अबु क़तादा, इस पानी को बचाके रखो, जल्द इसकी बिना पर महान (चमत्कार) होगा।” फिर हज़रत बिलाल रज़ि अल्लाहु अन्ह ने अज़ान दी, लोगों ने फ़जर से पहले वाली दो सुन्नतें पढ़ीं और फिर फ़जर की नमाज़ पढ़ी। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सवार हुए और हम भी। हम आपस में एक दूसरे से कहने लगे कि हम से नमाज़ में कमी हो गई है। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा कि “क्या कह रहे हो ? अगर कोई दुनिया की बात है तो ख़ुद समाधान निकाल लो और अगर दीन का मआमला है तो मेरी तरफ़ लाओ।” हम ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, हम ने नमाज़ में कमी की है। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “नींद (के कारण देर होने से) कोई कमी नहीं होती, कमी तो ये है कि जीते जागते (नमाज़ में देर करदी जाए), अगर इस तरह हो जाए (जिस तरह कि आज हुआ है तो) उसी समय नमाज़ पढ़ लिया करो, और दूसरे दिन नमाज़ अपने समय में पढ़ लिया करो।” आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा कि “क़ौम के बारे में अंदाज़ा लगाओ।” उन्हों ने कहा कि आप ने तो कल कहा था कि अगर कल पानी न मिला तो प्यास हावी हो जाएगी। और हमारे पास तो पानी है। फ़रमाया कि जब सुबह हुई और लोगों ने अपने नबी को मौजूद न पाया तो कोई कहने लगा कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कहीं पानी पर गए होंगे। अबु बक्र और उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुम भी मौजूद थे, उन्हों ने कहा कि लोगो ये नहीं हो सकता कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पानी की तरफ़ तुम से आगे चले जाएं और तुम्हें पीछे छोड़ जाएं और अगर लोग अबु बक्र और उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुम की पैरवी करलें तो वे हिदायत पा जाएंगे। ये शब्द तीन दफ़ा कहे। जब दिन की सख़्त गर्मी शुरू हुई और लोगों को नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी नज़र आगए तो उन्हों ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल हम प्यास के कारण हलाक हो रहे हैं और हलक़ प्यास के कारण सूख कर कांटा बन गया है। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “आज तुम पर कोई हलाकत नहीं आएगी।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “अबु क़तादा, वुज़ू का बर्तन लाओ (जिस में एक घूंट पानी था)।” मैं ले आया, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “मेरे पियाले का ढक्कन उठाओ,” मैं ने ढक्कन खोला और प्याला आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास ले आया। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उसमें से पानी बहाते गए और लोगों को पिलाते गए, लोग बड़ी संख्या में इकट्ठे होगए। फिर रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “लोगो, अच्छे तरीक़े से भरो, हर कोई संतुष्ट हो कर लौटे गा।” मेरे और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सिवा सारे लोगों ने पानी पी लिया। अंत में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मेरे लिए पानी उंडेला और फ़रमाया कि “अबु क़तादा, पियो” मैं ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, आप पिएं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “लोगों को पिलाने वाला अंत में पीता है।” इस लिए मैं ने और फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पानी पिया और वुज़ू के बर्तन में उतना ही पानी मौजूद था, जितना कि पहले था। उस दिन फ़ौजियों की संख्या तीन सौ थी।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2225

قال الشيخ الألباني:
- " ما تقولون؟ إن كان أمر دنياكم فشأنكم، وإن كان أمر دينكم فإلي ".
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‏‏‏‏أخرجه الإمام أحمد (5 / 298) عن حماد بن سلمة عن ثابت عن عبد الله بن رباح عن
‏‏‏‏أبي قتادة قال: " كنا مع رسول الله صلى الله عليه وسلم في سفر، فقال:
‏‏‏‏إنكم إن لا تدركوا الماء غدا تعطشوا وانطلق سرعان الناس يريدون الماء ولزمت
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم ، فمالت برسول الله صلى الله عليه وسلم راحلته،
‏‏‏‏فنعس رسول الله صلى الله عليه وسلم ، فدعمته، فادعم، ثم مال، فدعمته، فأدعم
‏‏‏‏، ثم مال حتى كاد أن ينجفل عن راحلته، فدعمته، فانتبه، فقال: من الرجل؟
‏‏‏‏قلت: أبو قتادة. قال: منذ كم كان مسيرك؟ قلت: منذ الليلة. قال: حفظك
‏‏‏‏الله كما حفظت رسوله. ثم قال: لو عرسنا، فمال إلى شجرة فنزل، فقال: انظر
‏‏‏‏هل ترى أحد؟ قلت: هذا راكب، هذان راكبان، حتى بلغ سبعة، فقلنا: احفظوا
‏‏‏‏علينا صلاتنا، فنمنا، فما أيقظنا إلا حر الشمس، فانتبهنا، فركب رسول الله
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم ، فسار وسرنا هنيهة، ثم نزل فقال: أمعكم ماء؟ قال: قلت
‏‏‏‏: نعم. معي ميضأة فيها شيء من ماء، قال: ائت بها. فأتيته بها، فقال: مسوا
‏‏‏‏منها، مسوا منها. فتوضأ القوم، وبقيت جرعة، فقال: ازدهر بها يا أبا قتادة
‏‏‏‏! فإنه سيكون
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 265__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏لها نبأ، ثم أذن بلال وصلوا الركعتين قبل الفجر، ثم صلوا الفجر
‏‏‏‏، ثم ركب وركبنا، فقال بعضهم لبعض: فرطنا في صلاتنا، فقال رسول الله صلى
‏‏‏‏الله عليه وسلم: (فذكره) ، قلنا: يا رسول الله! فرطنا في صلاتنا: فقال:
‏‏‏‏لا تفريط في النوم، إنما التفريط في اليقظة، فإذا كان ذلك فصلوها، ومن الغد
‏‏‏‏وقتها، ثم قال: ظنوا بالقوم، قالوا: إنك قلت بالأمس: إن لا تدركوا الماء
‏‏‏‏غدا تعطشوا، فالناس بالماء. فقال: أصبح الناس وقد فقدوا نبيهم، فقال بعضهم
‏‏‏‏لبعض: إن رسول الله صلى الله عليه وسلم بالماء، وفي القوم أبي بكر وعمر،
‏‏‏‏فقالا: أيها الناس! إن رسول الله صلى الله عليه وسلم لم يكن ليسبقكم إلى
‏‏‏‏الماء ويخلفكم، وإن يطع الناس أبا بكر وعمر يرشدوا. قالها ثلاثا، فلما
‏‏‏‏اشتدت الظهيرة، رفع لهم رسول الله صلى الله عليه وسلم ، فقالوا: يا رسول الله
‏‏‏‏! هلكنا عطشا تقطعت الأعناق. فقال: لا هلك عليكم، ثم قال: يا أبا قتادة!
‏‏‏‏ائت بالميضأة، فأتيته بها. فقال: احلل لي غمري، يعني: قدحه، فحللته،
‏‏‏‏فأتيته به، فجعل يصب فيه ويسقي الناس، فازدحم الناس عليه، فقال رسول الله
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم : يا أيها الناس! أحسنوا الملء فكلكم يصدر عن ري، فشرب
‏‏‏‏القوم حتى لم يبق غيري وغير رسول الله صلى الله عليه وسلم ، فصب لي. فقال:
‏‏‏‏اشرب يا أبا قتادة! قال: قلت: اشرب أنت يا رسول الله! قال: إن ساقي القوم
‏‏‏‏آخرهم. فشربت وشرب بعدي، وبقي في الميضأة نحو مما كان فيها. وهم يومئذ
‏‏‏‏ثلاثمائة ". قلت: وهذا إسناد صحيح على شرط مسلم وقد أخرجه في " صحيحه " دون
‏‏‏‏موضع الشاهد منه، وهو رواية لأحمد.
‏‏‏‏¤


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