-" إن للصلاة اولا وآخرا، وإن اول وقت صلاة الظهر حين تزول الشمس وآخر وقتها حين يدخل وقت العصر، وإن اول وقت صلاة العصر حين يدخل وقتها وإن آخر وقتها-" إن للصلاة أولا وآخرا، وإن أول وقت صلاة الظهر حين تزول الشمس وآخر وقتها حين يدخل وقت العصر، وإن أول وقت صلاة العصر حين يدخل وقتها وإن آخر وقتها
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے مروی ہے، وہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”جہاں نماز کی ابتدا کا وقت ہے وہاں اس کی انتہا کا بھی وقت ہے۔ ظہر کے وقت کا آغاز سورج کے ڈھلنے سے ہوتا ہے اور جب عصر کا وقت داخل ہوتا ہے تو ظہر کا وقت ختم ہو جاتا ہے، نماز عصر کا پہلا وقت وہی ہے جو ہے اور جب سورج زرد ہو جاتا ہے تو اس کا (مختار) آخری وقت ختم ہو جاتا ہے، مغرب کا وقت غروب آفتاب سے شروع ہوتا ہے اور افق (یعنی سرخی) کے غائب ہوتے ہی ختم ہو جاتا ہے، عشاء کا وقت افق (یعنی سرخی) کے غروب ہونے سے شروع ہوتا ہے اور نصف رات کو ختم ہو جاتا ہے اور فجر کا پہلا وقت طلوع فجر سے شروع ہوتا ہے اور جب سورج طلوع ہوتا ہے تو اس کا وقت ختم ہو جاتا ہے۔“
हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है, वह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जहां नमाज़ की शुरुआत का समय है वहां उस के अंत का भी समय है। ज़ोहर के समय की शुरुआत सूर्य के ढलने से होती है और जब अस्र का समय शुरु होता है तो ज़ोहर का समय ख़त्म हो जाता है और अस्र की नमाज़ का पहला समय वही है, जब सूर्य नारंगी हो जाता है तो उस का अंतिम समय ख़त्म हो जाता है, मग़रिब का समय सूर्य के डूबने से शुरू होता है और उफ़क़ (यानी नारंगी रंग) के ग़ायब होते ही ख़त्म हो जाता है, इशा का समय उफ़क़ (यानी नारंगी रंग) के ख़त्म होने से शुरू होता है और आधी रात को ख़त्म हो जाता है और फ़जर का पहला समय फ़जर के फटने से शुरू होता है और जब सूर्य निकलता है तो उस का समय ख़त्म हो जाता है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1696
قال الشيخ الألباني: - " إن للصلاة أولا وآخرا، وإن أول وقت صلاة الظهر حين تزول الشمس وآخر وقتها حين يدخل وقت العصر، وإن أول وقت صلاة العصر حين يدخل وقتها وإن آخر وقتها _____________________ أخرجه الترمذي (1 / 284 - شاكر) والطحاوي في " شرح المعاني " (1 / 89) والدارقطني في " السنن " (ص 97) والبيهقي (1 / 375 - 376) وأحمد (2 / 232) من طريق محمد بن فضيل عن الأعمش عن أبي صالح عن أبي هريرة قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : فذكره. قلت: وهذا إسناد صحيح على شرط الشيخين، وقد أعلوه بأن غير ابن فضيل من الثقات قد رووه عن الأعمش عن مجاهد مرسلا. وهذه ليست علة قادحة لاحتمال أن يكون للأعمش فيه إسنادان: أحدهما عن أبي صالح عن أبي هريرة. والآخر عنه عن مجاهد مرسلا. ومثل هذا كثير في أحاديث الثقات، فمثله لا يرد به الحديث، لاسيما وكل ما فيه قد جاء في الأحاديث الصحيحة، فليس فيه ما يستنكر. والله أعلم. وقد بسط القول في رد هذه العلة المحقق العلامة أحمد شاكر في تعليقه على الترمذي (1 / 284 - 285) فأجاد. فمن شاء البسط فليراجع إليه. ¤