سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
اذان اور نماز
अज़ान और नमाज़
397. گرجا گھر کو مسجد میں تبدیل کرنے کا طریقہ
“ गिरजा घर की जगह पर मस्जिद बनाने का तरीक़ा ”
حدیث نمبر: 601
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" اذهبوا بهذا الماء، فإذا قدمتم بلدكم فاكسروا بيعتكم وانضحوا مكانها من هذا الماء واتخذوا مكانها مسجدا".-" اذهبوا بهذا الماء، فإذا قدمتم بلدكم فاكسروا بيعتكم وانضحوا مكانها من هذا الماء واتخذوا مكانها مسجدا".
قیس بن طلق اپنے باپ سیدنا طلق سے روایت کرتے ہیں کہ ہم چھ افراد وفد کی صورت میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف نکلے، پانچ کا تعلق قبیلہ بنوحنیفہ سے تھا اور ایک بنوضبیعہ بن ربیعہ سے تھا۔ ہم آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس پہنچے، آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی بیعت کی اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ نماز پڑھی۔ ہم نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو بتایا کہ ہماری زمین میں ایک گرجا گھر ہے (ہم اسے مسجد بنانا چاہتے ہیں، اس لیے) ہم نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم سے وضو سے بچا ہوا پانی طلب کیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پانی منگوایا اور وضو کیا اور کلی کی، پھر وہ پانی ایک برتن میں انڈیلا اور ہمیں دے دیا اور فرمایا: یہ پانی لے کر چلے جاؤ، جب تم اپنے ملک میں پہنچو تو گرجا گھر گرا دو، وہاں یہ پانی چھڑکو اور اس جگہ پر مسجد بنا لو۔ ہم نے کہا: اے اللہ کے رسول! ہمارا ملک بہت دور ہے، اس لیے پانی خشک ہو جائے گا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اس میں پانی ملاتے جانا وہ اس کی اس کی پاکیزگی میں اضافہ کرے گا۔ ہم نکل پڑے، لیکن پانی والے برتن کو اٹھانے کے بارے میں جھگڑنے لگے (یعنی کوئی دوسرے کو دینے کے لیے تیار نہیں تھا)، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے باریاں مقرر کر دیں کہ ہر آدمی ایک رات اور ایک دن اٹھائے گا۔ پس ہم نکل پڑے، حتی کہ اپنے ملک میں پہنچ گئے، ہم نے پہنچ کر وہی کیا جو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے حکم دیا تھا۔ طی قبیلے کا ایک پادری تھا، جب ہم نے اذان دی تو اس نے کہا: یہ دعوت حق ہے۔ (اس قرار کے بعد) وہ کہیں بھاگ گیا اور اس کے بعد نظر نہ آیا۔
क़ेस बिन तल्क़ अपने पिता हज़रत तल्क़ से रिवायत करते हैं कि हम एक समूह की तरह रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ़ निकले, पांच का संबंध क़बीला बनो हनीफ़ह से था और एक बनु ज़ुबेअ बिन रबिआ से था। हम आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास पहुंचे, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बैअत की और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ नमाज़ पढ़ी। हमने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बताया कि हमारी ज़मीन पर एक गिरजा घर है (हम उसे मस्जिद बनाना चाहते हैं, इस लिए) हम ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से वुज़ू का बचा हुआ पानी मांगा। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पानी मंगवाया और वुज़ू किया और कुल्ली की, फिर वह पानी एक बर्तन में उंडेल दिया और हमें दे दिया और फ़रमाया ! “यह पानी लेकर चले जाओ, जब तुम अपने देश में पहुंचो तो गिरजा घर गिरा देना, वहां यह पानी छिड़कना और उस जगह पर मस्जिद बना लेना।” हम ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, हमारा देश बहुत दूर है, इस लिए पानी सूख जाएगा। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “इस में पानी मिलाते जाना वह इसकी पवित्रता में बढ़त करेगा।” हम निकल पड़े, लेकिन पानी वाले बर्तन को उठाने के बारे में झगड़ने लगे (यानी कोई दूसरे को देने के लिए तैयार नहीं था), आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बारयाँ तय कर दीं कि हर आदमी एक रात और एक दिन उठाए गा। बस हम निकल पड़े, यहां तक कि अपने देश में पहुंच गए, हम ने पहुंच कर वही किया जो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हुक्म दिया था। तयी क़बीले का एक पादरी था, जब हम ने अज़ान दी तो उसने कहा कि यह हक़ का बुलावा है। इसके बाद वह कहीं भाग गया और इसके बाद नज़र न आया।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1430

قال الشيخ الألباني:
- " اذهبوا بهذا الماء، فإذا قدمتم بلدكم فاكسروا بيعتكم وانضحوا مكانها من هذا الماء واتخذوا مكانها مسجدا ".
‏‏‏‏_____________________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه ابن حبان (304) وكذا النسائي (1 / 114) وأحمد (4 / 23) وابن سعد
‏‏‏‏(5 / 552) وأبو نعيم في " دلائل النبوة " (ص 22 - 23) من طريق عبد الله بن
‏‏‏‏بدر عن قيس بن طلق عن أبيه قال: " خرجنا ستة وافدا إلى رسول الله صلى الله
‏‏‏‏عليه وسلم، خمسة من بني حنيفة ورجل من بني ضبيعة بن ربيعة حتى قدمنا على رسول
‏‏‏‏الله صلى الله عليه وسلم ، فبايعناه وصلينا معه وأخبرناه أن بأرضنا بيعة لنا
‏‏‏‏واستوهبناه من فضل طهوره، فدعا بماء فتوضأ منه ومضمض، ثم صب لنا في إداوة
‏‏‏‏ثم قال: (فذكره) . فقلنا: يا رسول الله! البلد بعيد والماء ينشف، قال:
‏‏‏‏فأمدوه من الماء فإنه لا يزيده إلا طيبا، فخرجنا، فتشاحنا على حمل الإداوة
‏‏‏‏أينا يحملها، فجعلها رسول الله صلى الله عليه وسلم نوبا بيننا، لكل رجل منا
‏‏‏‏يوما وليلة، فخرجنا بها حتى قدمنا بلدنا، فعملنا الذي أمرنا، وراهب القوم
‏‏‏‏رجل من طيء، فنادينا بالصلاة فقال الراهب: دعوة حق، ثم هرب فلم ير بعد ".
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد صحيح، رجاله كلهم ثقات. ¤


https://islamicurdubooks.com/ 2005-2024 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to https://islamicurdubooks.com will be appreciated.