2609. مومنوں کا جہنم میں داخل ہونے والے بھائیوں کے حق میں اپنے رب سے مجادلہ بالآخر توحید پرست گنہگار جہنم سے نکل آئیں گے کیا صوم و صلاۃ کے پابند اور حاجی لوگ بھی جہنم میں جا سکتے ہیں؟
“ मोमिनों का अल्लाह तआला से उन भाइयों के लिए बहस करना जो जहन्नम चले जाएंगे , आख़िरकार वे लोग जहन्नम से बाहर आजाएंगे , क्या नमाज़ी , हाजी और रोज़ेदार भी जहन्नम में जाएंगे ”
-" إذا خلص المؤمنون من النار يوم القيامة وامنوا، فما مجادلة احدكم لصاحبه في الحق يكون له في الدنيا باشد مجادلة له من المؤمنين لربهم، في إخوانهم الذين ادخلوا النار. قال: يقولون: ربنا! إخواننا كانوا يصلون معنا ويصومون معنا ويحجون معنا، فادخلتهم النار. قال: فيقول: اذهبوا فاخرجوا من عرفتم، فياتونهم، فيعرفونهم بصورهم، لا تاكل النار صورهم، فمنهم من اخذته النار إلى انصاف ساقيه ومنهم من اخذته النار إلى كعبيه، فيخرجونهم، فيقولون: ربنا! اخرجنا من امرتنا. ثم يقول: اخرجوا من كان قلبه في وزن دينار من الإيمان، ثم من كان في قلبه وزن نصف دينار من الإيمان، حتى يقول: من كان في قلبه مثقال ذرة - قال ابو سعيد: فمن لم يصدق بهذا فليقرا هذه الآية: * (إن الله لا يظلم مثقال ذرة وإن تك حسنة يضاعفها ويؤت من لدنه اجرا عظيما) * (¬1) - قال: فيقولون: ربنا! قد اخرجنا من امرتنا، فلم يبق في النار احد فيه خير. قال: ثم يقول الله: شفعت الملائكة وشفع الانبياء وشفع المؤمنون وبقي ارحم الراحمين. قال: فيقبض قبضة من النار - او قال: قبضتين - ناس لم يعملوا لله خيرا قط، قد احترقوا حتى صاروا حمما. قال: فيؤتى بهم إلى ماء يقال له: ماء الحياة فيصب عليهم، فينبتون كما تنبت الحبة في حميل السيل، فيخرجون من اجسادهم مثل ¬ __________ (¬1) النساء: الآية: 40. اهـ. اللؤلؤ، في اعناقهم الخاتم: عتقاء الله. قال: فيقال لهم: ادخلوا الجنة، فما تمنيتم او رايتم من شيء فهو لكم، عندي افضل من هذا. قال: فيقولون: ربنا! وما افضل من ذلك؟ قال: فيقول: رضائي عليكم، فلا اسخط عليكم ابدا".-" إذا خلص المؤمنون من النار يوم القيامة وأمنوا، فما مجادلة أحدكم لصاحبه في الحق يكون له في الدنيا بأشد مجادلة له من المؤمنين لربهم، في إخوانهم الذين أدخلوا النار. قال: يقولون: ربنا! إخواننا كانوا يصلون معنا ويصومون معنا ويحجون معنا، فأدخلتهم النار. قال: فيقول: اذهبوا فأخرجوا من عرفتم، فيأتونهم، فيعرفونهم بصورهم، لا تأكل النار صورهم، فمنهم من أخذته النار إلى أنصاف ساقيه ومنهم من أخذته النار إلى كعبيه، فيخرجونهم، فيقولون: ربنا! أخرجنا من أمرتنا. ثم يقول: أخرجوا من كان قلبه في وزن دينار من الإيمان، ثم من كان في قلبه وزن نصف دينار من الإيمان، حتى يقول: من كان في قلبه مثقال ذرة - قال أبو سعيد: فمن لم يصدق بهذا فليقرأ هذه الآية: * (إن الله لا يظلم مثقال ذرة وإن تك حسنة يضاعفها ويؤت من لدنه أجرا عظيما) * (¬1) - قال: فيقولون: ربنا! قد أخرجنا من أمرتنا، فلم يبق في النار أحد فيه خير. قال: ثم يقول الله: شفعت الملائكة وشفع الأنبياء وشفع المؤمنون وبقي أرحم الراحمين. قال: فيقبض قبضة من النار - أو قال: قبضتين - ناس لم يعملوا لله خيرا قط، قد احترقوا حتى صاروا حمما. قال: فيؤتى بهم إلى ماء يقال له: ماء الحياة فيصب عليهم، فينبتون كما تنبت الحبة في حميل السيل، فيخرجون من أجسادهم مثل ¬ __________ (¬1) النساء: الآية: 40. اهـ. اللؤلؤ، في أعناقهم الخاتم: عتقاء الله. قال: فيقال لهم: ادخلوا الجنة، فما تمنيتم أو رأيتم من شيء فهو لكم، عندي أفضل من هذا. قال: فيقولون: ربنا! وما أفضل من ذلك؟ قال: فيقول: رضائي عليكم، فلا أسخط عليكم أبدا".
سیدنا ابوسعید خدری رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”جب مومن روز قیامت جہنم کی آگ سے آزاد ہو کر امن و اطمینان میں آ جائیں گے تو وہ دوزخ میں داخل ہونے والے اپنے بھائیوں کے بارے میں رب تعالیٰ سے بڑی شدومد کے ساتھ مجادلہ کریں گے، جس طرح تم میں سے کوئی اپنے دوست کے حق کی خاطر جھگڑا کرتا ہے۔ وہ کہیں گے: اے ہمارے رب! ہمارے بھائی، جو ہمارے ساتھ نماز پڑھتے تھے، روزے رکھتے تھے اور حج کرتے تھے، لیکن تو نے ان کو آگ میں داخل کر دیا ہے۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: جاؤ اور جن کو پہچانتے ہو، نکال لاؤ۔ وہ جائیں گے اور ان کے چہروں کو دیکھ کر انہیں پہچان لیں گے، کیونکہ آگ ان کے چہروں پر کوئی اثر نہیں کر سکے گی، کسی کو آگ نے پنڈلیوں کے نصف تک جلا دیا ہو گا اور کسی کو گھٹنوں تک۔ (بہرحال) وہ ان کو نکال کر لے آئیں گے اور کہیں گے: اے ہمارے رب! ہم ان مومنوں کو نکال لائے ہیں جن کے بارے میں تو نے حکم دیا تھا۔ پھر اللہ تعالیٰ فرمائے گا: جس کے دل میں دینار کے بقدر ایمان ہے اسے بھی دوزخ سے نکال لاؤ . . .، پھر جس کے دل میں نصف دینار کے بقدر ایمان ہے اسے بھی نکال لاؤ۔ حتیٰ کہ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: جس کے دل میں ذرہ برابر ایمان ہے (اسے بھی جہنم سے باہر نکال لاؤ)۔ ” سیدنا ابوسعید خدری رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: جو آدمی اس حدیث کی تصدیق نہیں کرتا، وہ یہ آیت پڑھ لے: «إِنَّ اللَّـهَ لَا يَظْلِمُ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ وَإِنْ تَكُ حَسَنَةً يُضَاعِفْهَا وَيُؤْتِ مِنْ لَدُنْهُ أَجْرًا عَظِيمًا»(۴-النساء:۴۰) ”بیشک اللہ تعالیٰ ایک ذرہ برابر ظلم نہیں کرتا اور اگر نیکی ہو تو اسے دگنی کر دیتا ہے اور خاص اپنے پاس سے بہت بڑا ثواب دیتا ہے۔“(حدیث مبارکہ کا بقیہ حصہ یہ ہے) وہ کہیں گے: اے ہمارے رب! ہم تیرے حکم کے مطابق مومنوں کو جہنم سے نکال لائے ہیں، اب وہاں وہی رہ گیا ہے جس میں کسی قسم کی خیر و بھلائی نہیں ہے۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: فرشتوں نے سفارش کر لی، انبیاء بھی سفارش کر چکے اور مومنوں نے بھی سفارش کر لی ہے، اب صرف ارحم الراحمین باقی رہ گئے ہیں۔ پھر اللہ تعالیٰ آگ سے ایسے لوگوں کی ایک یا دو مٹّھیاں بھریں گے، جنہوں نے کوئی نیک عمل نہیں کیا ہو گا اور وہ جل کر کوئلہ بن چکے ہوں گے۔ ان کو «ماء الحياة»(آب حیات) کے پاس لا کر ان پر یہ پانی بہایا جائے گا، ان کا جسم سیلاب کے بہاؤ میں اگنے والے دانے کی طرح اگے گا اور وہ لؤلؤ موتی کی طرح ہو گا، ان کی گردنوں میں «عتقاء الله»(اللہ تعالیٰ کے آزاد کردہ) نقش کی مہر ہو گی۔ ان سے کہا جائے گا: جنت میں داخل ہو جاؤ، تم جو آرزو کرو گے یا جو چیز دیکھو گے وہ تمہیں دے دی جائے گی اور بعض نعمتیں اس سے بھی بڑھ کر ہوں گی۔ وہ کہیں گے: اے ہمارے رب! وہ نعمتیں کون سی ہیں؟ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: میں تم پر راضی ہو گیا ہوں، کبھی ناراض نہیں ہوں گا۔“
हज़रत अबु सईद ख़ुदरी रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जब मोमिन क़यामत के दिन जहन्नम की आग से से मुक्ति पाकर संतुष्ट हो जाएंगे तो वे जहन्नम में जाने वाले अपने भाइयों के बारे में अल्लाह तआला से बड़े ज़ोर शोर के साथ बहस करेंगे, जिस तरह तुम में से कोई अपने दोस्त की सच्चाई के लिये झगड़ा करता है। वे कहेंगे, ऐ हमारे रब्ब, हमारे भाई, जो हमारे साथ नमाज़ पढ़ते थे, रोज़े रखते थे और हज्ज करते थे, लेकिन तू ने उनको आग में डाल दिया है। अल्लाह तआला कहेगा, जाओ और जिन को पहचानते हो, निकाल लाओ। वे जाएंगे और उनके चेहरों को देखकर इन्हें पहचान लेंगे, क्योंकि आग उनके चेहरों पर कोई असर नहीं कर सकेगी, किसी को आग ने आधी पिंडलियों तक जला दिया होगा और किसी को घुटनों तक। (वैसे भी) वे उनको निकाल कर ले आएंगे और कहेंगे कि ऐ हमारे रब्ब, हम इन मोमिनों को निकाल लाए हैं जिनके बारे में तू ने हुक्म दिया था। फिर अल्लाह तआला कहेगा, जिस के दिल में दीनार के बराबर ईमान है उसे भी जहन्नम से निकाल लाओ ..., फिर जिस के दिल में आधे दीनार के बराबर ईमान है उसे भी निकाल लाओ। यहां तक कि अल्लाह तआला कहेगा कि जिस के दिल में ज़र्रा बराबर ईमान है (उसको भी जहन्नम से बाहर निकाल लाओ)। “हज़रत अबु सईद ख़ुदरी रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि जो आदमी इस हदीस को नहीं मानता, वह यह आयत पढ़ले ! « إِنَّ اللَّـهَ لَا يَظْلِمُ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ وَإِنْ تَكُ حَسَنَةً يُضَاعِفْهَا وَيُؤْتِ مِنْ لَدُنْهُ أَجْرًا عَظِيمًا » “बेशक अल्लाह तआला एक ज़र्रा बराबर ज़ुल्म नहीं करता और यदि नेकी हो तो उसे दुगुनी कर देता है और विशेष रूप से अपने पास से बहुत बड़ा बदला देता है।” (सूरत अन-निसा: 40) (हदीस का बाक़ी भाग यह है) वे कहेंगे कि ऐ हमारे रब्ब, हम तेरे हुक्म के अनुसार मोमिनों को जहन्नम से निकाल लाए हैं, अब वहां वही रह गया है जिस में किसी तरह की कोई अच्छाई और भलाई नहीं है। अल्लाह तआला कहेगा, फ़रिश्तों ने सिफ़ारिश करली, नबियों ने भी सिफ़ारिश करली और मोमिनों ने भी सिफ़ारिश करली है, अब केवल अरहमुर राहिमिन बाक़ी है। फिर अल्लाह तआला आग से ऐसे लोगों की एक या दो मुट्ठियां भरेगा, जिन्हों ने कोई नेक अमल नहीं किया होगा और वे जलकर कोयला बन चुके होंगे। उनको « ماء الحياة » (आब हयात) के पास लाकर उन पर यह पानी बहाया जाएगा, उनका शरीर बाढ़ के बहाओ में उगने वाले दाने की तरह उगेगा और वे लुलु मोती की तरह होगा, उनकी गर्दनों में « عتقاء اللہ » (अल्लाह तआलाने मुक्त किआ) निशान की मुहर होगी। उनसे कहा जाएगा, जन्नत में चले जाओ, तुम जो इच्छा करोगे या जो चीज़ देखोगे वह तुम्हें देदी जाएगी और कुछ नअमतें इस से भी बढ़कर होंगी । वे कहेंगे कि ऐ हमारे रब्ब, वे नअमतें कौन सी हैं ? अल्लाह तआला कहेगा कि मैं तुम से ख़ुश हो गया हूँ, कभी नाराज़ नहीं होंगा।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2250
قال الشيخ الألباني: - " إذا خلص المؤمنون من النار يوم القيامة وأمنوا، فما مجادلة أحدكم لصاحبه في الحق يكون له في الدنيا بأشد مجادلة له من المؤمنين لربهم، في إخوانهم الذين أدخلوا النار. قال: يقولون: ربنا! إخواننا كانوا يصلون معنا ويصومون معنا ويحجون معنا، فأدخلتهم النار. قال: فيقول: اذهبوا فأخرجوا من عرفتم، فيأتونهم، فيعرفونهم بصورهم، لا تأكل النار صورهم، فمنهم من أخذته النار إلى أنصاف ساقيه ومنهم من أخذته النار إلى كعبيه، فيخرجونهم، فيقولون: ربنا! أخرجنا من أمرتنا. ثم يقول: أخرجوا من كان قلبه في وزن دينار من الإيمان، ثم من كان في قلبه وزن نصف دينار من الإيمان، حتى يقول: من كان في قلبه مثقال ذرة - قال أبو سعيد: فمن لم يصدق بهذا فليقرأ هذه الآية: * (إن الله لا يظلم مثقال ذرة وإن تك حسنة يضاعفها ويؤت من لدنه أجرا عظيما) * (¬1) - قال: فيقولون: ربنا! قد أخرجنا من أمرتنا، فلم يبق في النار أحد فيه خير. قال: ثم يقول الله: شفعت الملائكة وشفع الأنبياء وشفع المؤمنون وبقي أرحم الراحمين. قال: فيقبض قبضة من النار - أو قال: قبضتين - ناس لم يعملوا لله خيرا قط، قد احترقوا حتى صاروا حمما. قال: فيؤتى بهم إلى ماء يقال له: ماء الحياة فيصب عليهم، فينبتون كما تنبت الحبة في حميل السيل، فيخرجون من أجسادهم مثل ¬ __________ (¬1) النساء: الآية: 40. اهـ. اللؤلؤ، في أعناقهم الخاتم: عتقاء الله. قال: فيقال لهم: ادخلوا الجنة، فما تمنيتم أو رأيتم من شيء فهو لكم، عندي أفضل من هذا. قال: فيقولون: ربنا! وما أفضل من ذلك؟ قال: فيقول: رضائي عليكم، فلا أسخط عليكم أبدا ". _____________________ أخرجه الإمام أحمد في " مسنده " (2 / 49) : حدثنا عبد الرزاق - وهذا في " مصنفه " (11 / 409 / 20857) - قال: أخبرنا معمر عن زيد بن أسلم عن عطاء بن يسار عن أبي سعيد الخدري قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : فذكره. وكذلك أخرجه النسائي (5010) وابن ماجة (60) وابن خزيمة في " التوحيد " ( 184) ، كلهم عن عبد الرزاق به إلا أن النسائي وقعت الآية عنده: * (إن الله لا يغفر أن يشرك به ويغفر ما دون ذلك لمن يشاء) * (¬1) . وهو مخالف لرواية الآخرين، ولا أدري ممن الوهم ولكن رواية الجماعة الأولى، والأخرى شاذة. وإن مما يؤيد ذلك أن الحديث أخرجه البخاري (7439) من طريق سعيد بن أبي هلال ، ومسلم (1 / 114 - 117) من طريق حفص بن ميسرة كلاهما عن زيد بن أسلم به مطولا بالآية الأولى. ¤