-" من يرد الله به خيرا يفقهه في الدين وإن هذا المال حلو خضر فمن ياخذه بحقه يبارك له فيه، وإياكم والتمادح فإنه الذبح".-" من يرد الله به خيرا يفقهه في الدين وإن هذا المال حلو خضر فمن يأخذه بحقه يبارك له فيه، وإياكم والتمادح فإنه الذبح".
معبد جہنی کہتے ہیں کہ سیدنا معاویہ رضی اللہ عنہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے کم احادیث بیان کرتے تھے، اور ان کلمات کو تو کم ہی چھوڑتے تھے (یا راوی نے کہا: کہ) جمعہ کے خطبوں میں بیان کرتے تھے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اللہ تعالیٰ جس کے ساتھ خیر و بھلائی کا ارادہ کرتے ہیں، اس کو دین میں فقاہت عطا کر دیتے ہیں۔ یہ مال میٹھا سرسبز و شاداب (اور پرکشش) ہے، جو اس کو اس کے حق کے ساتھ حاصل کرے گا، اس کے لیے اس میں برکت کی جائے گی اور تم لوگ ایک دوسرے کی تعریف کرنے سے بچو، کیونکہ ایسے کرنا ذبح کرنے کے (مترادف ہے)۔“
मअबद जुहनी कहते हैं कि हज़रत मुआव्या रज़ि अल्लाहु अन्ह रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कम अहादीस कहते थे, और इन शब्दों को तो कम ही छोड़ते थे (या रिवायत करने वाले ने कहा कि) जुमा के ख़ुतबों में कहते थे कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अल्लाह तआला जिस के साथ अच्छाई और भलाई का इरादा करता है, उसको दीन की समझ दिया करता है। ये माल मीठा हराभरा करने वाली और शादाब (और आकर्षक) है, जो उसको उसके हक़ के साथ पाएगा, उसके लिए उस में बरकत की जाएगी और तुम लोग एक दूसरे की ताअरीफ़ करने से बचो, क्यूंकि ऐसा करना ज़िबह करने के (बराबर है)।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1196
قال الشيخ الألباني: - " من يرد الله به خيرا يفقهه في الدين وإن هذا المال حلو خضر فمن يأخذه بحقه يبارك له فيه، وإياكم والتمادح فإنه الذبح ". _____________________ أخرجه الطحاوي في " المشكل " (2 / 279) وأحمد (4 / 92 و 93 و 98 و 99) عن سعد بن إبراهيم عن معبد الجهني قال: كان معاوية قلما يحدث عن رسول الله صلى الله عليه وسلم شيئا، ويقول هؤلاء الكلمات قلما يدعهن أو يحدث بهن في الجمع عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: فذكره. وهذا سند حسن رجاله كلهم ثقات رجال الستة غير معبد الجهني قال أبو حاتم: " هو أول من تكلم بالقدر وكان صدوقا في الحديث ". ونحوه قال الحافظ في التقريب ". والحديث روى ابن ماجه منه الجملة الأخيرة: " إياكم والتمادح ". وستأتي (1284) . ¤