-" إن بين يدي الساعة الهرج، قالوا: وما الهرج؟ قال: القتل، إنه ليس بقتلكم المشركين، ولكن قتل بعضكم بعضا (حتى يقتل الرجل جاره ويقتل اخاه ويقتل عمه ويقتل ابن عمه) قالوا: ومعنا عقولنا يومئذ؟ قال: إنه لتنزع عقول اهل ذلك الزمان، ويخلف له هباء من الناس، يحسب اكثرهم انهم على شيء وليسوا على شيء".-" إن بين يدي الساعة الهرج، قالوا: وما الهرج؟ قال: القتل، إنه ليس بقتلكم المشركين، ولكن قتل بعضكم بعضا (حتى يقتل الرجل جاره ويقتل أخاه ويقتل عمه ويقتل ابن عمه) قالوا: ومعنا عقولنا يومئذ؟ قال: إنه لتنزع عقول أهل ذلك الزمان، ويخلف له هباء من الناس، يحسب أكثرهم أنهم على شيء وليسوا على شيء".
سیدنا ابوموسیٰ اشعری رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”قیامت سے پہلے «هرج» ہو گا۔“ کسی نے پوچھا: «هرج» کا کیا معنی ہے؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اس کا معنی قتل ہے، (ذہن نشین کر لو کہ) اس سے مراد تمہارا مشرکوں کو قتل کرنا نہیں ہے، بلکہ آپس میں ایک دوسرے کو قتل کرنا ہے، (اور بات یہاں تک جا پہنچے گی کہ) آدمی اپنے پڑوسی کو، بھائی کو، چچا کو اور چچا زاد کو قتل کر ڈالے گا۔“ صحابہ نے کہا: کیا اس وقت ہم میں عقل باقی ہو گی؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اس زمانے والوں کی عقلیں سلب کر لی جائیں گی وہ بیوقوف ہوں گے، ان کی اکثریت اپنے آپ کو بزعم خود کسی حقیقت پر خیال کرے گی، لیکن وہ کسی حقیقت پر نہیں ہوں گے۔“ ابوموسیٰ نے کہا اس ذ ات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! اگر ایسے ایام ہم کو پا لیں تو ان سے راہ فرار کا ایک ہی طریقہ ہو گا کہ جیسے ہم داخل ہوئے ایسے ہی وہاں سے نکل آئیں، نہ کسی کا خون بہائیں اور نہ کسی کا مال چھینیں۔
हज़रत अबु मूसा अशअरी रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “क़यामत से पहले « هرج » होगा।” किसी ने पूछा कि « هرج » का क्या मतलब है ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “इस का मतलब क़त्ल है, इस से मुराद तुम्हारा मुशरिकों को क़त्ल करना नहीं है, बल्कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करना है, (और बात यहाँ तक जा पहुंचेगी कि) आदमी अपने पड़ोसी को, भाई को, चाचा को और चचेरे को क़त्ल कर डालेगा।” सहाबा ने कहा ! क्या उस समय हमारी बुद्धि काम नहीं करेगी ? नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा कि " उस समय के लोगों की बुद्धि छीन ली जाएगी, वे मूर्ख होंगे। उनमें से अधिकतम लोग अपनेआप को सचाई पर समझेंगे, लेकिन वह किसी सच्च पर नहीं होंगे।” अबु मूसा ने कहा उस ज़ात की क़सम जिस के हाथ में मेरी जान है, यदि ऐसे दिन हमारे जीवन में आजाएं तो उन से बचने का एक ही उपाए होगा कि जैसे ही हम आएं तो तुरंत ही वहां से निकल जाएं, न किसी का ख़ून बहाएं और न किसी का माल छीनें।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1682
قال الشيخ الألباني: - " إن بين يدي الساعة الهرج، قالوا: وما الهرج؟ قال: القتل، إنه ليس بقتلكم المشركين، ولكن قتل بعضكم بعضا (حتى يقتل الرجل جاره ويقتل أخاه ويقتل عمه ويقتل ابن عمه) قالوا: ومعنا عقولنا يومئذ؟ قال: إنه لتنزع عقول أهل ذلك الزمان، ويخلف له هباء من الناس، يحسب أكثرهم أنهم على شيء وليسوا على شيء ". _____________________ أخرجه أحمد (4 / 391 - 392 و 414) من طريق علي بن زيد عن حطان بن عبد الله الرقاشي عن أبي موسى الأشعري أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: فذكره . قال أبو موسى: " والذي نفسي بيده ما أجد لي ولكم منها مخرجا إن أدركتني وإياكم - إلا أن نخرج منها كما دخلنا فيها، لم نصب منها دما ولا مالا ". قلت: وهذا سند ضعيف، علي بن زيد وهو ابن جدعان لا يحتج به، لكنه لم يتفرد به، فقد أخرجه أحمد (4 / 406) وابن ماجة (3959) من طريقين عن الحسن: حدثنا أسيد بن المتشمس قال: حدثنا أبو موسى حدثنا رسول الله صلى الله عليه وسلم فذكره، وفيه الزيادة التي بين القوسين. قلت: وهذا سند صحيح رجاله ثقات رجال الشيخين غير أسيد وهو ثقة كما قال الحافظ في " التقريب ". وأخرجه ابن حبان (1870) من طريق هزيل بن شرحبيل عن أبي موسى الأشعري مرفوعا بلفظ: " إن بين يدي الساعة لفتنا كقطع الليل المظلم، يصبح الرجل فيها مؤمنا __________جزء : 4 /صفحہ : 248__________ (الحديث) وفيه: كسروا قسيكم وقطعوا أوتاركم واضربوا بسيوفكم الحجارة فإن دخل على أحدكم بيته فليكن كخير ابني آدم ". وسنده صحيح. وللطرف الأول منه شاهد من حديث عزرة بن قيس عن خالد بن الوليد قال: " كتب إلي أمير المؤمنين حين ألقى الشام بوانيه بثنية وعسلا، فأمرني أن أسير إلى الهند، والهند (في أنفسنا) يومئذ البصرة، قال: وأنا لذلك كاره ، قال: فقام رجل فقال لي: يا أبا سليمان اتق الله فإن الفتن قد ظهرت، قال: فقال: وابن الخطاب حي؟ ! إنما تكون بعده. والناس بذي بليان، أو بذي بليان بمكان كذا وكذا، فينظر الرجل فيتفكر هل يجد مكانا لم ينزل به مثل ما نزل بمكانه الذي هو فيه من الفتنة والشر فلا يجده، قال: وتلك الأيام التي ذكر رسول الله صلى الله عليه وسلم : " بين يدي الساعة الهرج "، فنعوذ بالله أن تدركنا وإياكم تلك الأيام ". أخرجه أحمد (4 / 90) والطبراني (رقم - 3841 ) بسند حسن في المتابعات والشواهد. عزرة بن قيس لم يوثقه غير ابن حبان، وسائر رواته ثقات. (هباء) أي قليل العقل. (بوانيه) أي خيره وما فيه من السعة والنعمة. و (البواني) في الأصل: أضلاع الصدر وقيل الأكتاف والقوائم الواحدة: (بانية) كما في " النهاية ". (بثنية) قال ابن الأثير : " البثنية: خطة منسوبة إلى (البثنة) وهي ناحية من رستاق دمشق. وقيل هي الناعمة اللينة، من الرملة اللينة، يقال لها: بثنة. وقيل: هي الزبدة، أي صارت كأنها زبدة وعسل، لأنها صارت تجبى أموالها من غير تعب ". قوله: (بذي بليان أو بذي بليان) ، هذه رواية أحمد، وقال الطبراني: __________جزء : 4 /صفحہ : 249__________ " ... وذي بليان " ولا يخلو من شيء، ولعل الصواب ما في " النهاية ": " ... بذي بلي وذي بلى. وفي رواية: بذي بليان. أي إذا كانوا طوائف وفرقا من غير إمام. وكل من بعد عنك حتى لا تعرف موضعه فهو بذي بلي. وهو من بلى في الأرض إذا ذهب. أراد ضياع أمور الناس بعده ". ¤