سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
فضائل قرآن، دعا ئیں، اذکار، دم
क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
2110. زنا کی اجازت مانگنے والے کو سمجھانے کا انداز نبوی اور اس کے لیے دعا
“ ज़िना की अनुमति मांगने वाले को समझाने का नबी ﷺ का तरीक़ा और उसके लिए दुआ ”
حدیث نمبر: 3138
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" اللهم اغفر ذنبه، وطهر قلبه، وحصن فرجه".-" اللهم اغفر ذنبه، وطهر قلبه، وحصن فرجه".
سیدنا ابوامامہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: ایک نوجوان نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا اور اس نے کہا: اے اللہ کے رسول! مجھے زنا کی اجازت دیجئیے۔ لوگ اس کی طرف متوجہ ہوئے اسے ڈانٹ ڈپٹ کی اور کہا: اوئے رک جا، اوئے رک جا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ذرا قریب ہو۔ وہ آپ کے قریب آیا اور بیٹھ گیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اسے فرمایا: کیا تم اس چیز کو اپنی ماں کے لیے پسند کرتے ہو؟ اس نے کہا: مجھے اللہ آپ پر قربان کرے، نہیں، اللہ کی قسم! (‏‏‏‏نہیں)۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: لوگ بھی اپنی ماؤں کے لیے اس (‏‏‏‏خباثت) کو پسند نہیں کرتے، (‏‏‏‏ اچھا یہ بتاؤ کہ) کیا تم اسے اپنی بیٹی کے لیے پسند کرو گے؟ اس نے کہا: اے اللہ کے رسول! میں آپ پر قربان ہوں، نہیں، اللہ کی قسم! (‏‏‏‏ نہیں)۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اسی طرح لوگ ہیں کہ وہ بھی اپنی بیٹیوں کے لیے اس چیز کو ناپسند کرتے ہیں، (‏‏‏‏ اچھا یہ بتاؤ کہ) کیا تم اسے اپنی بہن کے لیے پسند کرو گے؟ اس نے کہا: اللہ تعالیٰ مجھے آپ پر قربان کر دے، نہیں، اللہ کی قسم! (‏‏‏‏نہیں)۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: لوگ بھی اس چیز کو اپنے بہنوں کے لیے ناپسند کرتے ہیں، (‏‏‏‏اچھا یہ بتاؤ کہ) کیا تم اسے اپنی پھوپھی کے لیے پسند کرو گے؟ اس نے کہا: نہیں، اللہ کی قسم! میں آپ پر قربان ہوں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تیری طرح لوگ بھی اپنے پھوپھیوں کے لیے اسے ناپسند کرتے ہیں، (‏‏‏‏اچھا یہ بتاؤ کہ) کیا تم اسے اپنی خالہ کے لیے پسند کرو گے؟ اس نے کہا: میں آپ پر قربان ہوں، نہیں، اللہ کی قسم! (‏‏‏‏نہیں)۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: لوگ بھی اس چیز کو اپنی خالاؤں کے لیے ناپسند کرتے ہیں۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اس پر اپنا ہاتھ رکھا اور یہ دعا دی: اے اللہ! اس کے گناہ بخش دے اور اس کی شرمگاہ کی حفاظت فرما۔ اس کے بعد وہ نوجوان کسی چیز کی طرف متوجہ نہیں ہوتا تھا۔
हज़रत अबु उमामह रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि एक युवा नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया और उस ने कहा ! ऐ अल्लाह के रसूल, मुझे ज़िना की अनुमति दीजिये। लोगों ने उस की ओर ध्यान किया और डांट-डपट की और कहा ! ओए रुक जा, ओए रुक जा। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “ज़रा पास आजाओ।” वह आप के पास आया और बैठ गया। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस से फ़रमाया ! “क्या तुम इस चीज़ को अपनी माता के लिये पसंद करते हो ? उस ने कहा कि मुझे अल्लाह आप पर क़ुरबान करे, नहीं, अल्लाह की क़सम (नहीं)। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “लोग भी अपनी माताओं के लिये इस (बुरे काम) को पसंद नहीं करते, (अच्छा यह बताओ) क्या तुम इसे अपनी बेटी के लिये पसंद करोगे ?” उस ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, मैं आप पर क़ुरबान हूँ, नहीं, अल्लाह की क़सम (‏‏‏‏नहीं)। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “इसी तरह लोग हैं कि वे भी अपनी बेटियों के लिये इस चीज़ को पसंद नहीं करते हैं, (अच्छा यह बताओ) क्या तुम इसे अपनी बहन के लिये पसंद करोगे ?” उस ने कहा कि अल्लाह तआला मुझे आप पर क़ुरबान करदे, नहीं, अल्लाह की क़सम (नहीं)। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “लोग भी इस चीज़ को अपनी बहनों के लिये पसंद नहीं करते हैं, (अच्छा यह बताओ) क्या तुम इसे अपनी बुआ के लिये पसंद करोगे ?” उस ने कहा कि नहीं, अल्लाह की क़सम, मैं आप पर क़ुरबान हूँ। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “तेरी तरह लोग भी अपनी बुआ के लिये इसे पसंद नहीं करते हैं, (अच्छा यह बताओ) क्या तुम इसे अपनी मौसी के लिये पसंद करोगे ?” उस ने कहा कि मैं आप पर क़ुरबान हूँ, नहीं, अल्लाह की क़सम (नहीं)। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “लोग भी इस चीज़ को अपनी मौसी के लिये पसंद नहीं करते हैं।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस पर अपना हाथ रखा और यह दुआ दी ! “ऐ अल्लाह, इस के पाप क्षमा करदे और इस के निजी अंग की सुरक्षा कर।” इस के बाद से वह युवा किसी चीज़ की ओर ध्यान नहीं होता था।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 370

قال الشيخ الألباني:
- " اللهم اغفر ذنبه، وطهر قلبه، وحصن فرجه ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (5 / 256 - 257) : حدثنا يزيد بن هارون حدثنا حريز حدثنا سليم
‏‏‏‏ابن عامر عن أبي أمامة قال:
‏‏‏‏" إن فتى شابا أتى النبي صلى الله عليه وسلم فقال: يا رسول الله ائذن لي
‏‏‏‏بالزنا، فأقبل القوم عليه فزجروه وقالوا: مه مه! فقال: ادنه، فدنا منه
‏‏‏‏قريبا قال: فجلس، قال: أتحبه لأمك؟ قال: لا والله جعلني الله فداءك، قال
‏‏‏‏: ولا الناس يحبونه لأمهاتهم، قال: أفتحبه لابنتك؟ قال: لا والله يا رسول
‏‏‏‏الله جعلني الله فداءك، قال: ولا الناس يحبونه لبناتهم، قال: أفتحبه لأختك
‏‏‏‏؟ قال: لا والله جعلني الله فداءك، قال: ولا الناس يحبونه لأخواتهم قال:
‏‏‏‏أفتحبه لعمتك. قال: لا والله جعلني الله فداءك، قال: ولا الناس يحبونه
‏‏‏‏لعماتهم، قال: أفتحبه لخالتك؟ قال: لا والله جعلني الله فداءك، قال:
‏‏‏‏ولا الناس يحبونه لخالاتهم، قال: فوضع يده عليه وقال: اللهم اغفر
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 712__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏ذنبه وطهر
‏‏‏‏قلبه وحصن فرجه. فلم يكن بعد ذلك الفتى يلتفت إلى شيء ".
‏‏‏‏وهذا سند صحيح رجاله كلهم ثقات رجال الصحيح. ¤


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