سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
نصيحتين اور دل کو نرم کرنے والی احادیث
नसीहतें और दिल को नरम करने वाली हदीसें
1566. اعمال صالحہ انسان کو جنت میں داخل نہیں کر سکتے، لیکن پھر بھی . . .
“ केवल अच्छे कर्म जन्नत में जाने का कारण नहीं बन सकते लेकिन फिर भी... ”
حدیث نمبر: 2331
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" لن يدخل احدا منكم عمله الجنة [ولا ينجيه من النار]، قالوا: ولا انت يا رسول الله؟ قال: ولا انا -[واشار بيده هكذا على راسه:]- إلا ان يتغمدني الله منه بفضل ورحمة، [مرتين او ثلاثا] [فسددوا وقاربوا] [ وابشروا] [واغدوا وروحوا، وشيء من الدلجة، والقصد القصد تبلغوا] [ واعلموا ان احب العمل إلى الله ادومه وإن قل]".-" لن يدخل أحدا منكم عمله الجنة [ولا ينجيه من النار]، قالوا: ولا أنت يا رسول الله؟ قال: ولا أنا -[وأشار بيده هكذا على رأسه:]- إلا أن يتغمدني الله منه بفضل ورحمة، [مرتين أو ثلاثا] [فسددوا وقاربوا] [ وأبشروا] [واغدوا وروحوا، وشيء من الدلجة، والقصد القصد تبلغوا] [ واعلموا أن أحب العمل إلى الله أدومه وإن قل]".
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تم میں سے کسی ایک کو اس کا عمل جنت میں داخل نہیں کرے گا اور نہ ہی اس کو نجات دلائے گا۔ صحابہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! اور آپ کو بھی نہیں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ہاں! نہ ہی مجھے۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنے ہاتھ سے اپنے سر کی طرف اشارہ کیا۔ ہاں اگر اللہ تعالیٰ اپنے فضل و کرم سے مجھے ڈھانپ لے (تو کام بن جائے گا)۔ یہ بات آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے دو یا تین دفعہ ذکر کی۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: رائے صواب پر چلتے رہو، میانہ روی اختیار کرو، خوشخبریاں سناتے رہو اور صبح کو، شام کو اور کچھ وقت رات کو عبادت کرتے رہو اور میانہ روی اختیار کرو، اعتدال کو اپناو، منزل مقصود تک پہنچ جاؤ گے اور جان لو اللہ تعالیٰ کے ہاں سب سے پسندیدہ عمل وہ ہے، جس پر ہمیشگی اختیار کی جائے، اگرچہ وہ تھوڑا ہی ہو۔ یہ حدیث متعدد صحابہ سے مروی ہے، ان میں سیدنا ابوہریرہ، سیدہ عائشہ، سیدنا جابر، سیدنا ابوسعید خدری، سیدنا اسامہ بن شریک رضی اللہ عنہم شامل ہیں۔
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! ’’ तुम में से किसी एक को उस का कर्म जन्नत में नहीं लेकर जाए गा और न ही उस को मुक्ति दिलाए गा।” सहाबा ने कहा ऐ अल्लाह के रसूल, क्या आप को भी नहीं ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! ’’ हाँ ! न ही मुझे।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने हाथ से अपने सिर की ओर इशारा किया। “हाँ यदि अल्लाह तआला अपनी रहमत से मुझे ढाँप ले (तो काम बन जाए गा)।” यह बात आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दो या तीन दफ़ा कही। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “सच्चे रस्ते पर चलते रहो, मध्यम रस्ता अपनाओ, अच्छी ख़बरें सुनाते रहो और सुबह को, शाम को और कुछ समय रात को इबादत करते रहो और मध्यम रस्ता अपनाओ, संयम से काम लो, ठिकाने तक पहुंच जाओ गे और जान लो अल्लाह तआला के हाँ सब से पसंदीदा कर्म वह है, जिसे सदा के लिये अपनाया जाए, चाहे वह थोड़ा ही हो।” यह हदीस बहुत सहाबा से रिवायत है, इन में हज़रत अबु हुरैरा, हज़रत आयशा, हज़रत जाबिर, हज़रत अबु सईद ख़ुदरी, हज़रत उसामा बिन शरीक रज़ि अल्लाह अन्हुम शामिल हैं।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2602

قال الشيخ الألباني:
- " لن يدخل أحدا منكم عمله الجنة [ولا ينجيه من النار] ، قالوا: ولا أنت يا رسول الله؟ قال: ولا أنا -[وأشار بيده هكذا على رأسه:]- إلا أن يتغمدني الله منه بفضل ورحمة، [مرتين أو ثلاثا] [فسددوا وقاربوا] [ وأبشروا] [واغدوا وروحوا، وشيء من الدلجة، والقصد القصد تبلغوا] [ واعلموا أن أحب العمل إلى الله أدومه وإن قل] ".
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‏‏‏‏ورد عن جمع من الصحابة رضي الله عنهم، منهم: أبو هريرة وعائشة وجابر
‏‏‏‏وأبو سعيد الخدري وأسامة بن شريك.
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 195__________
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‏‏‏‏1 - أما حديث أبي هريرة، فله عنه طرق:
‏‏‏‏الأولى: عن أبي عبيد مولى عبد الرحمن بن عوف عنه قال: قال رسول الله صلى الله
‏‏‏‏عليه وسلم. أخرجه البخاري (4 / 48) ومسلم (8 / 140) وأحمد (2 / 264)
‏‏‏‏والسياق لمسلم، وفيه عند البخاري الزيادة السابعة. الثانية: عن سعيد المقبري
‏‏‏‏عنه به، وفيه الزيادة السادسة. أخرجه البخاري (4 / 222) وأحمد (2 / 514
‏‏‏‏، 537) . الثالثة: عن بسر بن سعيد عنه به، وفيه بعض الزيادة الرابعة بلفظ:
‏‏‏‏" ولكن سددوا ". أخرجه مسلم (8 / 139) وأحمد (2 / 451) . الرابعة: عن
‏‏‏‏محمد بن سيرين عنه به. أخرجه مسلم، وأحمد (2 / 235 و 326 و 390 و 473 و 509
‏‏‏‏و524) . وفيه عند مسلم الزيادة الثانية، وعند أحمد الزيادة الأولى
‏‏‏‏والثانية والثالثة. الخامسة: عن أبي صالح عنه به، وفيه الزيادة الرابعة.
‏‏‏‏أخرجه مسلم، وابن ماجه (4201) وأحمد (2 / 344 و 495) . السادسة: عن
‏‏‏‏زياد المخزومي عنه. وفيه الزيادة الثانية. أخرجه أحمد (2 / 256 و 473) .
‏‏‏‏السابعة: عن محمد بن زياد عنه. وفيه الزيادة الثانية. أخرجه أحمد (2 / 385
‏‏‏‏- 386 و 469) وإسناده صحيح.
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 196__________
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‏‏‏‏الثامنة: عن عبد الرحمن بن أبي عمرة عنه.
‏‏‏‏وفيه الزيادة الرابعة والخامسة. أخرجه أحمد (2 / 482) وإسناده جيد في
‏‏‏‏المتابعات. التاسعة: عن أبي مصعب عنه. أخرجه أحمد (2 / 488) . العاشرة:
‏‏‏‏عن أبي سلمة عنه وفيه الزيادة الرابعة. أخرجه أحمد (2 / 503 و 509)
‏‏‏‏وإسناده حسن. 2 - وأما حديث عائشة، فيرويه موسى بن عقبة قال: سمعت أبا سلمة
‏‏‏‏بن عبد الرحمن ابن عوف يحدث عن عائشة به. وفيه الزيادة الرابعة والسابعة.
‏‏‏‏أخرجه البخاري (4 / 223) ومسلم (8 / 141) وأحمد (6 / 125) . 3 - وأما
‏‏‏‏حديث جابر، فله عنه طريقان: الأولى: عن أبي سفيان عنه أخرجه مسلم، وأحمد (
‏‏‏‏2 / 495 و 3 / 337 و 362) والدارمي (2 / 305) وفيه عنده الزيادة الرابعة.
‏‏‏‏الأخرى: عن أبي الزبير عنه، وفيه الزيادة الأولى. أخرجه مسلم، وأبو نعيم
‏‏‏‏في " صفة الجنة " (ق 9 / 1) . 4 - وأما حديث أبي سعيد، فيرويه عطية العوفي
‏‏‏‏عنه، وفيه الزيادة الثانية. أخرجه أحمد (3 / 52) وعطية ضعيف، وقال
‏‏‏‏المنذري (4 / 200) :
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 197__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏" رواه أحمد بإسناد حسن، ورواه البزار والطبراني من
‏‏‏‏حديث أبي موسى والطبراني أيضا من حديث أسامة بن شريك، والبزار أيضا من حديث
‏‏‏‏شريك بن طارق بإسناد جيد ". قلت: وتحسينه لإسناد أحمد غير حسن لضعف عطية،
‏‏‏‏إلا إن كان يعني تحسينه لغيره، فهو مقبول. 5 - وأما حديث أسامة، فيرويه
‏‏‏‏المفضل بن صالح عن زياد بن علاقة عنه، وفيه الزيادة الثانية. أخرجه الطبراني
‏‏‏‏في " المعجم الكبير " (1 / 25 / 2) والمفضل هذا ضعيف أيضا. وفي الباب عن
‏‏‏‏جمع آخر من الصحابة، فمن شاء فليراجع " المجمع " (10 / 356 - 357) . واعلم
‏‏‏‏أن هذا الحديث قد يشكل على بعض الناس، ويتوهم أنه مخالف لقوله تعالى: * (
‏‏‏‏وتلك الجنة التي أورثتموها بما كنتم تعملون) * ونحوها من الآيات والأحاديث
‏‏‏‏الدالة على أن دخول الجنة بالعمل، وقد أجيب بأجوبة أقربها إلى الصواب: أن
‏‏‏‏الباء في قوله في الحديث: " بعمله " هي باء الثمنية، والباء في الآية باء
‏‏‏‏السببية، أي أن العمل الصالح سبب لابد منه لدخول الجنة، ولكنه ليس ثمنا
‏‏‏‏لدخول الجنة، وما فيها من النعيم المقيم والدرجات. قال شيخ الإسلام ابن
‏‏‏‏تيمية رحمه الله تعالى في بعض فتاويه: " ولهذا قال بعضهم: الالتفات إلى
‏‏‏‏الأسباب شرك في التوحيد، ومحو الأسباب أن تكون سببا نقص في العقل، والإعراض
‏‏‏‏عن الأسباب بالكلية قدح
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 198__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏في الشرع، ومجرد الأسباب لا يوجب حصول المسبب، فإن
‏‏‏‏المطر إذا نزل وبذر الحب لم يكن ذلك كافيا في حصول النبات، بل لابد من ريح
‏‏‏‏مربية بإذن الله، ولابد من صرف الانتفاء عنه، فلابد من تمام الشروط وزوال
‏‏‏‏الموانع، وكل ذلك بقضاء الله وقدره. وكذلك الولد لا يولد بمجرد إنزال
‏‏‏‏الماء في الفرج، بل كم ممن أنزل ولم يولد له، بل لابد من أن الله شاء خلقه
‏‏‏‏فتحبل المرأة وتربيه في الرحم وسائر ما يتم به خلقه من الشروط وزوال الموانع
‏‏‏‏. وكذلك أمر الآخرة ليس بمجرد العمل ينال الإنسان السعادة، بل هي سبب،
‏‏‏‏ولهذا قال النبي صلى الله عليه وسلم : (فذكر الحديث) ، وقد قال تعالى: * (
‏‏‏‏ادخلوا الجنة بما كنتم تعملون) *. فهذه باء السبب، أي بسبب أعمالكم، والذي
‏‏‏‏نفاه النبي صلى الله عليه وسلم باء المقابلة، كما يقال: اشتريت هذا بهذا. أي
‏‏‏‏ليس العمل عوضا وثمنا كافيا في دخول الجنة، بل لابد من عفو الله وفضله
‏‏‏‏ورحمته، فبعفوه يمحو السيئات، وبرحمته يأتي بالخيرات، وبفضله يضاعف الدرجات
‏‏‏‏. وفي هذا الموضع ضل طائفتان من الناس: 1 - فريق آمنوا بالقدر وظنوا أن ذلك
‏‏‏‏كاف في حصول المقصود فأعرضوا عن الأسباب الشرعية والأعمال الصالحة. وهؤلاء
‏‏‏‏يؤول بهم الأمر إلى أن يكفروا بكتب الله ورسله ودينه. 2 - وفريق أخذوا
‏‏‏‏يطلبون الجزاء من الله كما يطلبه الأجير من المستأجر، متكلين على حولهم
‏‏‏‏وقوتهم وعملهم، وكما يطلبه المماليك. وهؤلاء جهال ضلال: فإن الله لم يأمر
‏‏‏‏العباد بما أمرهم به حاجة إليه، ولا نهاهم عما نهاهم عنه بخلا به، ولكن
‏‏‏‏أمرهم بما فيه صلاحهم، ونهاهم عما فيه فسادهم. وهو سبحانه
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 199__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏كما قال: " يا
‏‏‏‏عبادي إنكم لن تبلغوا ضري فتضروني، ولن تبلغوا نفعي فتنفعوني ". فالملك إذا
‏‏‏‏أمر مملوكيه بأمر أمرهم لحاجته إليهم، وهم فعلوه بقوتهم التي لم يخلقها لهم
‏‏‏‏فيطالبون بجزاء ذلك، والله تعالى غني عن العالمين، فإن أحسنوا أحسنوا
‏‏‏‏لأنفسهم، وإن أساءوا فلها. لهم ما كسبوا، وعليهم ما اكتسبوا، * (من عمل
‏‏‏‏صالحا فلنفسه، ومن أساء فعليها وما ربك بظلام للعبيد) * ". انتهى كلام شيخ
‏‏‏‏الإسلام رحمه الله منقولا من " مجموعة الفتاوى " (8 / 70 - 71) ومثله في "
‏‏‏‏مفتاح دار السعادة " لتلميذه المحقق العلامة ابن قيم الجوزية (ص 9 - 10) و "
‏‏‏‏تجريد التوحيد المفيد " (ص 36 - 43) للمقريزي.
‏‏‏‏¤


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