हज़रत अबु सुफ़ियान बिन हर्ब रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि (रोम के राजा) हिरक़्ल ने उसको बुलाने के लिए उसकी तरफ़ एक आदमी भेजा, जब वह क़ुरैश के एक कारवां में था, उस समय ये लोग व्यापार के लिए शाम गए हुए थे और ये वह समय था, जब रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़ुरैश और सुफ़ियान से एक अस्थायी समझौता किया हुआ था, अबु सुफ़ियान और दूसरे लोग हिरक़्ल के पास एलिया पहुंच गए, हिरक़्ल ने दरबार लगाया हुआ था, उसके आस पास रोम के बड़े बड़े लोग (ज्ञानी, मंत्रि और प्रधान) बैठे हुए थे। हिरक़्ल ने उनको और अपने प्रवक्ता को बुलवाया, फिर उनसे पूछा कि तुम में से कौन सा व्यक्ति पैग़म्बर होने का दावा करने वाले के बहुत क़रीबी है ? अबु सुफ़ियान कहते हैं, मैं बोल उठा कि मैं उस का सब से अधिक क़रीबी रिश्तेदार हूँ (ये सुनकर) हिरक़्ल ने हुक्म दिया कि इस (सुफ़ियान) को मेरे क़रीब लाकर बिठाओ और इसके साथियों को इसके पीठ के पीछे बिठा दो, फिर अपने प्रवक्ता से कहा कि इन लोगों से कहदो कि मैं अबु सुफ़ियान से उस व्यक्ति (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के हालात पूछता हूँ, अगर ये मुझ से किसी बात में झूट बोलदे तो तुम इस का झूट बता देना। (अबु सुफ़ियान का कहना है कि) अल्लाह की क़सम, अगर मुझे इस बात कि शर्म न होती कि यह लोग मेरा झूठ पकड़ लेंगे तो मैं आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में ज़रूर झूठी बातों से काम लेता। पहली बात जो हिरक़्ल ने मुझ से पूछी वह यह कि तुम लोगों में उस व्यक्ति का परिवार केसा है ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि वह बड़े ऊँचे वंश वाला है। हिरक़्ल ने पूछा कि इस से पहले भी किसी ने तुम लोगों में ऐसी बात कही थी ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि नहीं। हिरक़्ल ने पूछा कि उस के बड़ों में कोई बादशाह हुआ था ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि नहीं। हिरक़्ल ने पूछा कि बड़े लोगों ने उसकी पैरवी को अपनाया है या कमज़ोरों ने ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि कमज़ोरों ने अपनाया है। हिरक़्ल ने पूछा कि उसके आज्ञाकारी प्रतिदिन बढ़रहे हैं या घट रहे हैं ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि बढ़रहे हैं। हिरक़्ल ने पूछा कि क्या कोई उसका दीन स्वीकार करने के बाद उस दीन को पसंद न करते हुए पलट भी गया है ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि नहीं। हिरक़्ल ने पूछा कि क्या इस नबवत का दावा करने से पहले तुम लोग उसपर झूट का आरोप लगाते थे ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि नहीं। हिरक़्ल ने पूछा कि क्या वह धोका करता है ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि नहीं लेकिन अभी हमारा उसके साथ एक अस्थायी समझौता है, माअलूम नहीं वह इस में क्या करने वाला है। मैं इस बात के सिवा और कोई (झूठ) इस बातचीत में जोड़ न सका। हिरक़्ल ने पूछा कि किया तुम्हारी उस से कभी लड़ाई हुई है ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि हाँ। हिरक़्ल ने पूछा कि तुम्हारी और उसकी जंग का क्या हाल हुआ ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि कभी उसके समर्थकों को सफलता हुई और कभी हमारे समर्थकों को, कभी वह जीत जाते कभी हम। हिरक़्ल ने पूछा कि वह तुम्हें किस चीज़ का हुक्म देता है ? अबु सुफ़ियान ने कहा कि वह केहता है अल्लाह की इबादत करो, जो एक और अकेला है, उसके साथ किसी को शरीक (भागीदार) न ठहराव और अपने पूर्वजों वाली (शिर्क वाली) बातें छोड़ दो और हमें नमाज़ पढ़ने, सच्च बोलने, परहेज़गारी और रहम दिली का हुक्म देता है। (ये सुनकर) हिरक़्ल ने अपने प्रवक्ता को कहा कि अबु सुफ़ियान से कहदे कि मैं ने तुम से उसका वंश पूछा तो तुम ने कहा कि वह हम में ऊँचे वंश का है और पैग़म्बर अपनी क़ौम में ऊँचे वंश के ही होते हैं। मैं ने पूछा कि (नबवत के दावे की) ये बात तुम्हारे अंदर इस से पहले किसी और ने भी कही थी, तुम ने जवाब दिया नहीं। तब मैं ने (अपने दिल में) कहा कि अगर ये बात इस से पहले किसी ने कही होती तो मैं ये समझता कि उस व्यक्ति ने भी वह ही बात कही है, जो पहले कही जा चुकी है। मैं ने तुम से पूछा उसके बड़ों में कोई बादशाह भी गुज़रा है, तुम ने कहा कि नहीं, मैं ने (दिल में) कहा कि अगर उसके पूर्वजों में से कोई बादशाह गुज़रा होता तो कह देता वह व्यक्ति (ये बहाना बनाकर) अपने पूर्वजों की बादशाहत और उनका देश (दोबारा) पाना चाहता है और मैं ने तुम से पूछा कि इस बात के कहने (यानी पैग़म्बर होने का दावा करने) से पहले तुम ने कभी उस पर झूट बोलने का आरोप लगाया है, तुम ने कहा कि नहीं, मैं ने समझ लिया जो व्यक्ति लोगों के साथ झूठी बातों से बचे वह अल्लाह के बारे में कैसे झूठी बात कह सकता है, और मैं ने तुम से पूछा कि बड़े उसकी पैरवी करते हैं या कमज़ोर आदमी, तुम ने कहा कि कमज़ोरों ने उसकी पैरवी की है, (असल में) यही लोग पैग़म्बरों की पैरवी करने वाले होते हैं और में ने तुम से पूछा कि उस के साथी बढ़ रहे हैं या कम हो रहे हैं, तुम ने कहा कि वह बढ़ रहे हैं और ईमान की हालत यही होती है यहां तक के वह पूरा हो जाता है और मैं ने तुम से पूछा कि क्या कोई व्यक्ति उस के दीन से ख़ुश न होकर पलट भी जाता है, तुम ने कहा कि नहीं। सच्च में ईमान की विशेषता भी यही है जिनके दिलों में उसकी ख़ुशी रचबस जाए वह उस से पलट नहीं जाते हैं और मैं ने तुम से पूछा कि क्या उस ने कभी वादा भी तोड़ा है, तुम ने कहा कि नहीं, पैग़म्बरों का यही हाल होता है कि वह वादे के विपरीत नहीं करते और मैं ने तुम से कहा कि वह तुम्हें किस चीज़ का हुक्म देता है, तुम ने कहा कि वह हमें हुक्म देता है कि अल्लाह तआला की इबादत करो, उसके साथ किसी को शरीक (भागीदार) न ठहराव और तुम्हें मूर्तियों की पूजा से रोकता है, सच्च बोलने और परहेज़गारी का हुक्म देता है। यदि ये बातें, जो तुम कह रहे हो, सच्च हैं तो जल्द ही वह इस जगह का मालिक बन जाएगा, जहां मेरे दो पांव हैं। मुझे मालूम था वह (पैग़म्बर) आने वाला है, लेकिन ये मालूम नहीं था वह तुम्हारे अंदर होगा, यदि मैं जानता कि उस तक पहुंच सकूंगा तो उस से मिलने के लिए हर तकलीफ़ बर्दाश्त करता। यदि मैं उसके पास होता तो उसके पांव धोता। हिरक़्ल ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का वह पत्र मंगवाया, जो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दहया कलबी रज़ि अल्लाहु अन्ह के द्वारा बसरा के प्रधान को भेजा था और उसने वह हिरक़्ल के पास भेज दिया था, फिर उसको पढ़ा तो उस में लिखा था, « بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ » “बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम” ये पत्र अल्लाह के बंदे और पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ़ से रोम के राजा की तरफ़ है। उस व्यक्ति पर सलाम जो हिदायत की पैरवी करे इसके बाद मैं तुम को इस्लाम की तरफ़ बुलाता हूँ, यदि आप इस्लाम ले आएंगे तो (आप को दीन और दुनिया में) सुरक्षा नसीब होगी, अल्लाह तआला आप को दोहरा सवाब देगा और अगर आप मेरी दावत को ठुकराएंगे तो आप की प्रजा का पाप भी आप ही पर होगा और ऐ एहले किताब, एक ऐसी बात पर आ जाओ जो हमारे और तुम्हारे बीच एक जैसी है, वह ये कि हम अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करें और किसी को उसका शरीक (भागीदार) न ठहराएं और न हम में से कोई किसी को अल्लाह के सिवा अपना रब्ब बनाए। फिर अगर वह एहले किताब (इस बात से) मुंह फेरलें तो (मुसलमानों) तुम उनसे कह दो कि (तुम मानो या न मानो) हम तो एक अल्लाह की आज्ञा का पालन करने वाले हैं। अबु सुफ़ियान कहते हैं कि जब हिरक़्ल ने जो कुछ कहना था कह दिया और पूरा पत्र पढ़ चुका तो उसके आस पास बहुत शोर और हलचल हुई। बहुत सी आवाज़ें उठीं और हमें बाहर निकाल दिया गया। तब मैं ने अपने साथियों से कहा अबु कबशह के बेटे (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का मामला तो बहुत बढ़ गया। उस से रोमियों का बादशाह भी डरता है। मुझे उस समय इस बात का यक़ीन हो गया कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जल्द ही सफलता पाने वाले हैं, यहां तक कि अल्लाह तआला ने मुझे मुसलमान बना दिया। (रावी कहता है) नातोर का बेटा और शाम के ईसाइयों का लाट पादरी कहता है कि हिरक़्ल जब एलिया आया, तो एक दिन सुबह को परेशान उठा, उसके दरबारियों ने पूछा कि आज हम आपकी हालत बदली हुई पाते हैं (क्या कारण है ?)। नातोर के बेटे का कहना है कि हिरक़्ल ज्योतिषी था, वह सितारों के ज्ञान में पूरा अनुभव रखता था, उसने अपने साथियों को बताया मैं ने आज रात सितारों पर नज़र डाली कि ख़तना करने वालों का बादशाह हमारे देश पर हावी होगया है। (भला) इस ज़माने में कौन लोग ख़तना करते हैं ? उन्हों ने कहा कि यहूदियों के सिवा कोई ख़तना नहीं करता, तो इन से परेशान न हों, राज्य के सारे शहरों में ये हुक्म लिख भेजिए कि वहां जितने यहूदी हों सब क़त्ल कर दिए जाएं। वे लोग इन ही बातों में लगे हुए थे कि हिरक़्ल के पास एक आदमी लाया गया, जिसे ग़स्सान के राजा ने भेजा था, उसने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में बताया। जब हिरक़्ल ने सारे हालात सुन लिए तो कहा जाकर देखो कि वह ख़तना किए हुए है या नहीं ? उन्होंने उसे देखा तो बताया कि वह ख़तना किए हुए है। हिरक़्ल ने जब उस व्यक्ति से अरब लोगों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह ख़तना करते हैं, तब हिरक़्ल ने कहा कि ये वही (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उस उम्मत के बादशाह हैं जो पैदा हो चुके हैं। फिर उसने अपने एक दोस्त को पत्र लिखा और वह भी सितारों का ज्ञान हिरक़्ल की तरह जनता था। फिर वहां से हिरक़्ल हिम्स चला गया। अभी हिम्स से नहीं निकला था कि उसके दोस्त का जवाब आ गया। उस की राय भी रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नबी होने के बारे में हिरक़्ल की राय से मेल खाती थी कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (सच्च में) पैग़म्बर हैं। इसके बाद हिरक़्ल ने रोम के बड़े लोगों को हिम्स के महल में बुलाया और उसके हुक्म से महल के दरवाज़े बंद करदिए गए। फिर वह (अपने विशेष महल से) बाहर आया और कहा कि ऐ रोम वालो, क्या हिदायत और सफलता में कुछ भाग तुम्हारे लिए भी है ? अगर तुम अपने राज्य की सुरक्षा चाहते हो तो फिर उस नबी की बात मान लो और मुसलमान हो जाओ (ये सुनना ही था कि) वे सब जंगली गधों की तरह दरवाज़ों की तरफ़ दौड़े, मगर दरवाज़ों को बंद पाया। आख़िर जब हिरक़्ल ने (इस बात से) उनकी ये नफ़रत देखी और उनके ईमान लाने से निराश होगया तो कहने लगा कि इन लोगों को मेरे पास लाओ। (जब वह दोबारा आए) तो उसने कहा कि मैं ने जो बात कही थी उस से यह देखना चाहता था की तुम अपने दीन के कितने पक्के हो, तो मैं ने उसको देख लिया। तो (ये बात सुनकर) वे सबके सब उसके सामने सज्दे में गिर पड़े और उस से ख़ुश हो गए। ये हिरक़्ल का अंतिम मामला था।