سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر

سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
خرید و فروخت، کمائی اور زہد کا بیان
ख़रीदना, बेचना, कमाई और परहेज़गारी
727. خرید و فروخت کی ممنوعہ صورتیں ایک سودے میں بیع بھی اور قرض بھی، ایک سودے میں دو شرطیں ایسی چیز کا سودا کرنا جو بائع کے پاس نہ ہو
“ ख़रीदने और बेचने के मना किये गए तरीक़े ● एक ही सौदे में बिक्री भी उधार भी ● एक ही सौदे में दो शर्तें ● ऐसी चीज़ का सौदा करना जो बेचने वाले के पास न हो ”
حدیث نمبر: 1066
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" اتدري إلى اين ابعثك؟ إلى اهل الله وهم اهل مكة، فانههم عن اربع: عن بيع وسلف، وعن شرطين في بيع، وربح ما لم يضمن، وبيع ما ليس عندك".-" أتدري إلى أين أبعثك؟ إلى أهل الله وهم أهل مكة، فانههم عن أربع: عن بيع وسلف، وعن شرطين في بيع، وربح ما لم يضمن، وبيع ما ليس عندك".
سیدنا عبداللہ بن عمرو بن عاص رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے عتاب بن اسید کو مکہ کی طرف (بطور حاکم) روانہ کیا اور فرمایا: کیا تم جانتے ہو کہ میں تجھے کہاں بھیج رہا ہوں؟ اہل اللہ کی طرف، جو کہ اہل مکہ ہیں۔ تم نے ان کو ان چار چیزوں سے منع کرنا ہے: (۱) اس سے کہ ایک ہی معاملہ میں بیع بھی ہو اور قرض بھی، (۲) ایک سودے میں دو شرطوں سے، (۳) ایسی چیز کے نفع سے جس کے نقصان کا آدمی ضامن نہ ہو اور (۴) ایسی چیز کی بیع جو تیرے پاس نہ ہو۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अमरो बिन आस रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अत्ताब बिन उसेद को मक्का की ओर रवाना किया और फ़रमाया ! “क्या तुम जानते हो कि मैं तुझे कहाँ भेज रहा हूँ ? अल्लाह वालों की ओर, जो कि मक्का के रहने वाले हैं। तुम ने उनको इन चार चीज़ों से मना करना है। (1) एक ही सौदे में बिक्री भी हो और उधार भी। (2) एक ही सौदे में दो शर्तों से। (3) ऐसी चीज़ के लाभ से जिस के नुक़सान का आदमी ज़मानती न हो। (4) ऐसी चीज़ को बेचना जो तेरे पास न हो।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1212

قال الشيخ الألباني:
- " أتدري إلى أين أبعثك؟ إلى أهل الله وهم أهل مكة، فانههم عن أربع: عن بيع وسلف، وعن شرطين في بيع، وربح ما لم يضمن، وبيع ما ليس عندك ".
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‏‏‏‏" أخرجه البغوي في " حديث عيسى بن سالم الشاشي " (ق 108 / 1) حدثنا عيسى
‏‏‏‏حدثنا عبيد الله بن عمرو عن زيد بن أبي أنيسة عن عمرو بن شعيب عن أبيه عن جده
‏‏‏‏عبد الله بن عمرو بن العاص: أن رسول الله صلى الله عليه وسلم بعث عتاب بن
‏‏‏‏أسيد إلى مكة، فقال: فذكره.
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد جيد رجاله كلهم ثقات معروفون من رجال " التهذيب " غير عيسى
‏‏‏‏ابن سالم الشاشي أورده ابن أبي حاتم في " الجرح والتعديل " (3 / 278) وكناه
‏‏‏‏بـ (أبو سعيد) وقال: " ولقبه (عويس) ، وروى عن عبيد الله بن عمرو. روى
‏‏‏‏عنه أبو زرعة رحمه الله ". ولم يذكر فيه جرحا ولا تعديلا. لكن أبو زرعة لا
‏‏‏‏يروي إلا عن ثقة. والحديث صحيح، فقد جاء من طرق عن عمرو بن شعيب به دون قصة
‏‏‏‏بعث عتاب بن أسيد رضي الله عنه. أخرجه أصحاب السنن وأحمد والحاكم (2 / 17)
‏‏‏‏وصححه، وهو مخرج عندي في " أحاديث البيوع " و " المشكاة " (2870)
‏‏‏‏و" إرواء الغليل " (1293)
‏‏‏‏__________جزء : 3 /صفحہ : 212__________
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‏‏‏‏وأخرجه الحاكم أيضا من طريق عطاء الخراساني عن
‏‏‏‏عمرو بن شعيب به مع القصة، وأخرجه ابن حبان أيضا (6108) ، لكن سقط منه
‏‏‏‏" عمرو بن شعيب عن أبيه ". وله شواهد، فرواه محمد بن إسحاق عن عطاء عن صفوان
‏‏‏‏ابن يعلى عن أبيه قال: فذكره بتمامه. أخرجه البيهقي (5 / 313) ورجال
‏‏‏‏إسناده ثقات لولا عنعنة ابن إسحاق. ثم أخرجه من طريق مقدام بن داود حدثنا يحيى
‏‏‏‏ابن بكير حدثنا يحيى بن صالح عن إسماعيل بن أمية عن عطاء بن أبي رباح عن ابن
‏‏‏‏عباس مرفوعا به. وقال: " تفرد به يحيى بن صالح الأيلي، وهو منكر بهذا
‏‏‏‏الإسناد ".
‏‏‏‏قلت: وفيما قبله غنية عنه.
‏‏‏‏غريب الحديث: " بيع وسلف ": قال ابن الأثير: " هو مثل أن يقول: بعتك هذا
‏‏‏‏العبد بألف على أن تسلفني في متاع، أو على أن تقرضني ألفا لأنه إنما يقرضه
‏‏‏‏ليحابيه في الثمن، فيدخل في حد الجهالة، ولأن كل قرض جر منفعة فهو ربا ".
‏‏‏‏" شرطين في بيع ": قال ابن الأثير: " هو كقولك: بعتك هذا الثوب نقدا بدينار
‏‏‏‏، ونسيئة بدينارين، وهو كالبيعتين في بيعة ".
‏‏‏‏قلت: وقد صح النهي عن بيعتين في بيعة من حديث أبي هريرة وعبد الله بن مسعود
‏‏‏‏وعبد الله بن عمر، وهي مخرجة في المصادر المشار إليها آنفا، وهو رواية في
‏‏‏‏حديث الترجمة عند البيهقي. وتتابع الرواة على تفسير البيعتين في بيعة، بمثل
‏‏‏‏ما تقدم في تفسير الشرطين في بيع، فمنهم سماك بن حرب في حديث ابن مسعود عند
‏‏‏‏أحمد، وعبد الوهاب بن عطاء في حديث أبي هريرة عند البيهقي، والنسائي ترجم
‏‏‏‏بذلك لحديث الباب بقوله:
‏‏‏‏__________جزء : 3 /صفحہ : 213__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏" شرطان في بيع، وهو أن يقول: أبيعك هذه السلعة
‏‏‏‏إلى شهر بكذا، وإلى شهرين بكذا ". ثم ترجم لحديث أبي هريرة بقوله:
‏‏‏‏" بيعتين في بيعة، وهو أن يقول: أبيعك هذه السلعة بمائة درهم نقدا وبمائتي
‏‏‏‏درهم نسيئة ".
‏‏‏‏(وربح ما لم يضمن) : " هو أن يبيعه سلعة قد اشتراها ولم يكن قبضا فهي من
‏‏‏‏ضمان البائع الأول، ليس من ضمانه، فهذا لا يجوز بيعه حتى يقبضه فيكون من
‏‏‏‏ضمانه ". قاله الخطابي في " معالم السنن " (5 / 144) . (وبيع ما ليس عندك
‏‏‏‏) : قال الخطابي: " يريد بيع العين دون بيع الصفة ألا ترى أنه أجاز السلم إلى
‏‏‏‏الآجال، وهو بيع ما ليس عند البائع في الحال، وإنما نهى عن بيع ما ليس عند
‏‏‏‏البائع من قبل الغرر، وذلك مثل أن يبيع عبده الآبق، أو جمله الشارد ". ¤


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