428- مالك عن سمي مولى ابى بكر عن ابى صالح السمان عن ابى هريرة ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”من اغتسل يوم الجمعة غسل الجنابة ثم راح فى الساعة الاولى فكانما قرب بدنة، ومن راح فى الساعة الثانية فكانما قرب بقرة، ومن راح فى الساعة الثالثة فكانما قرب كبشا اقرن، ومن راح فى الساعة الرابعة فكانما قرب دجاجة، ومن راح فى الساعة الخامسة فكانما قرب بيضة، فإذا خرج الإمام حضرت الملائكة يستمعون الذكر.“428- مالك عن سمي مولى أبى بكر عن أبى صالح السمان عن أبى هريرة أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”من اغتسل يوم الجمعة غسل الجنابة ثم راح فى الساعة الأولى فكأنما قرب بدنة، ومن راح فى الساعة الثانية فكأنما قرب بقرة، ومن راح فى الساعة الثالثة فكأنما قرب كبشا أقرن، ومن راح فى الساعة الرابعة فكأنما قرب دجاجة، ومن راح فى الساعة الخامسة فكأنما قرب بيضة، فإذا خرج الإمام حضرت الملائكة يستمعون الذكر.“
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”جو آدمی جمعہ کے دن غسل جنابت کرے پھر پہلے وقت میں (نماز جمعہ کے لئے) جائے تو گویا اس نے اونٹ کی قربانی پیش کی اور جو دوسرے وقت میں جائے تو گویا اس نے گائے کی قربانی پیش کی اور جو تیسرے وقت میں جائے تو گویا اس نے سینگوں والے مینڈھے کی قربانی پیش کی اور جو چوتھے وقت میں جائے تو گویا اس نے ایک مرغی قربان کی اور جو پانچویں وقت میں جائے تو گویا اس نے ایک انڈا بطور قربانی پیش کیا، پھر جب امام (خطبے کے لئے) نکلتا ہے تو فرشتے (رجسٹر بند کر کے خطبہ) ذکر سننے کے لئے حاضر ہو جاتے ہیں۔“
हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जो आदमी जुमाअ के दिन शरई ग़ुस्ल करे यानि सुन्नत तरीक़े से नहाए फिर पहले समय में (नमाज़ जुमाअ के लिए) जाए तो जैसे उस ने ऊंट की क़ुरबानी की है और जो दूसरे समय में जाए तो जैसे उस ने गाय की क़ुरबानी की है और जो तीसरे समय में जाए तो जैसे उस ने सींगों वाले मेंढे की क़ुरबानी की है और जो चौथे समय में जाए तो जैसे उस ने एक मुर्ग़ी क़ुरबान की है और जो पांचवीं समय में जाए तो जैसे उस ने एक अंडा क़ुरबानी के तोर पर दिया है, फिर जब इमाम (ख़ुत्बे के लिए) निकलता है तो फ़रिश्ते (रजिस्टर बंद कर के) ख़ुत्बा सुनने के लिए आ जाते हैं।”
تخریج الحدیث: «428- متفق عليه، الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 101/1 ح 223، ك 5 ب 1 ح 1) التمهيد 21/22، 22، الاستذكار: 195، و أخرجه البخاري (881) ومسلم (850) من حديث مالك به.»