سیدنا ابومسعود انصاری رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم جب ہمیں صدقہ کا حکم دیتے تھے تو کوئی شخص ہم میں سے بازار کی طرف جاتا اور بار برداری کرتا۔ پھر اگر اسے مزدوری میں ایک مد (غلہ وغیرہ) مل جاتا تو اسی کو صدقہ میں دے دیتا۔ (اس وقت ایسی تنگدستی کی حالت تھی) اور آج بعض لوگوں کے پاس ایک لاکھ درہم موجود ہیں۔
हज़रत अबु मसऊद अन्सारी रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब हमें सदक़ा का हुक्म देते थे तो कोई व्यक्ति हम में से बाज़ार की ओर जाता और मज़दूरी करता। फिर यदि उसे मज़दूरी में एक मद अनाज मिल जाता तो उसीको सदक़े में दे देता। (उस समय ऐसी तंगदस्ती की हालत थी) और आज कुछ लोगों के पास एक लाख दरहम मौजूद हैं।